सहारनपुर: केंद्र की मोदी सरकार ने संसद के दोनों सदनों में ध्वनि मत से कृषि बिल पारित कर दिए हैं, जिसके बाद से किसानों में आक्रोश बना हुआ है. शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन ने देशव्यापी आंदोलन किया. किसान आंदोलन का असर सहारनपुर में भी देखने को मिला, जहां किसानों ने सुबह 9 बजे से ही बड़ी संख्या में ट्रैक्टरों की कतार बनाकर दिल्ली-देहरादून हाईवे पर जाम लगाया हुआ है.
किसानों के चक्का जाम से यात्रियों और राहगीरों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि सरकार ने जो कृषि सम्बन्धी तीन विधेयक पारित किए हैं, वे किसान विरोधी हैं. इन बिलों से किसानों को नुकसान पहुंचेगा. वहीं कॉरपोरेट कंपनियों को फायदा होने वाला है, जिसके चलते किसान सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने को मजबूर हुए हैं. ईटीवी भारत की टीम ने मौके पर पहुंच कर जायजा लिया तो किसानों में बिल को लेकर गुस्सा देखने को मिला.
किसानों ने ईटीवी भारत भारत से बातचीत में बताया कि सरकार ने जो बिल पास किए हैं, वे सब किसान विरोधी हैं. इन बिलों के पास होने से केवल कंपनियों को लाभ मिलेगा. हाल ही में किसानों की धान की फसल की कटाई चल रही है और मंडी में उनकी धान सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य 1,900 रुपये की बजाय 1,200-1,400 रुपये प्रति क्विंटल खरीदी जा रही है, जो उनकी फसल की लागत से भी कम है. उधर किसानों के बकाया गन्ने का भुगतान भी नहीं हो पाया है, जिससे किसान न सिर्फ भुखमरी के कगार पर पहुंच रहा है, बल्कि आत्महत्या करने को मजबूर हैं.
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किसानों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि जो कृषि सम्बन्धी बिल पास किए हैं, उन्हें वापस ले या फिर उनमें संशोधन कर ऐसा कानून बनाए, जिससे न्यूनतम मूल्य से कम दाम पर फसल खरीदने वाले व्यापारी एवं कंपनियों के खिलाफ अपराधिक कार्रवाई की जा सके.