सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के जनपद सहारनपुर में बिजली विभाग का बड़ा कारनामा सामने आया है. बिजली विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से बिना निजी नलकूप लगे उसका भारी भरकम बिल भेज दिया गया है. इतना ही नहीं, बिल की रिकवरी के लिए नोटिस भी जारी कर दिया गया है. इसके बाद से बेबस किसान अधिकारियों के चक्कर काट कर थक चुका है. आलम यह है कि बिना बिजली के बिल आने से किसान मानसिक तनाव में है.
बिना कनेक्शन के भेजा 78 हजार का बिजली बिल
मामला तहसील रामपुर के गांव बुढ़ाखेड़ा का है. यहां के निवासी किसान शीशराम सैनी ने वर्ष 2008 में खेत पर नलकूप के लिए बिजली कनेक्शन का आवेदन किया था. 4 साल की लंबी प्रक्रिया के बाद कनेक्शन को मंजूरी भी मिल गई, लेकिन इसी बीच 2012 में सपा की सरकार आई, तो सरकार ने डॉ. राम मनोहर लोहिया नलकूप परियोजना के तहत किसान के खेत में सरकारी नलकूप लगा दिया. सरकारी नलकूप के लिए जमीन देने पर जब कोई किसान तैयार नहीं हुआ था, उस वक्त पीड़ित किसान ने ही अपनी जमीन सरकार को दी थी. वहीं सरकारी नलकूप लगाए जाने के बाद बिजली विभाग ने यह कहकर शीशराम का कनेक्शन कैंसिल कर दिया कि सरकारी नलकूप के 400 मीटर के क्षेत्र में प्राइवेट कनेक्शन नहीं दिया जाएगा. इसके बाद बीते साल विभाग ने उसे नोटिस थमा दिया. इस मामले की जानकारी होने पर ईटीवी भारत की टीम ने मौके पर जाकर पड़ताल की.
ETV भारत ने की मौके की पड़ताल
पीड़ित किसान ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि बिजली विभाग ने बिना बिजली की लाइन, खंभे और नलकूप लगाए ही 78 हजार का बिल भेज दिया है. ETV भारत ने मौके पर पहुंच कर पड़ताल की, तो वहां केवल सरकारी नलकूप ही मिला. इतना ही नहीं, बिजली विभाग ने किसान को बिना कोई नोटिस भेजे ही आरसी भी जारी कर दी.
नहीं हुई सुनवाई
इस मामले में किसान ने बताया कि बिजली विभाग ने कनेक्शन रद्द करने के बाद 2014 में इस्टीमेट के हिसाब से बिजली के खंबे और तार गांव में भेज दिए. बीते 6 सालों से पड़े-पड़े खंभे सड़क पर पड़ी मिट्टी में दब चुके हैं और तार किसान के घर में पड़े धूल फांक रहे हैं. कुछ खंभे और तार पहांसु बिजली घर के जेई ने उठवा कर दूसरी जगह इस्तेमाल कर लिये हैं. पीड़ित किसान तभी से अधिकारियों से खंभे और तार वापस लेने की गुजारिश करता रहा, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की.
पड़ोसियों ने किया पीड़ित का समर्थन
इस बाबत किसान के पड़ोसी ने बताया कि उनके खेत पर लगे ट्रांसफार्मर से लाइन खींची जानी थी, लेकिन सरकारी नलकूप लगने के बाद शीशराम को कनेक्शन नहीं दिया गया. बिना कनेक्शन के बिल आने से वह बहुत परेशान हैं.
नहीं लगा है निजी नलकूप
वहीं इसे लेकर जब ग्राम प्रधान पद्म सिंह से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि शीशराम के खेत में बिजली की कोई लाइन नहीं लगी है और न ही उनका कोई निजी नलकूप है. बावजूद इसके विद्युत विभाग ने मनमानी कर उनके नाम पर 78 हजार रुपये का बिल भेज दिया. बिल आने के बाद से वह इस कदर सदमे में है कि वह आत्महत्या भी कर सकता है.
बिजली विभाग कर रहा अपने कर्मचारियों का बचाव
जब इस संबंध में मुख्य अधीक्षण अभियंता ग्रामीण पीके सिंह से बात की गई, तो वह अपने कर्मचारियों एवं अधिकारियों का बचाव करते नजर आए. जब ETV भारत ने किसान के साथ हो रही नाइंसाफी के साक्ष्य दिखाए, तो उन्होंने जांच कराने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया. पीके सिंह का कहना है कि इस मामले की जांच उच्च अधिकारियों द्वारा कराई जाएगी. जांच के बाद जो तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी.
बता दें, विद्युत विभाग की लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी विभाग की लापरवाही से कई किसानों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़े हैं. इस मामले में भी बिजलीघर पहांसु के अमीन और जेई बिल को लेकर किसान पर लगातार दबाव बना रहे हैं.