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सहारनपुर: देवबंदी उलेमाओं ने पर्सनल लॉ बोर्ड का किया समर्थन - अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

अयोध्या विवाद पर फैसला आने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक की गई. इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला लिया गया है. वहीं देवबंदी उलेमाओं ने भी AIMPLB के इस फैसले का समर्थन किया है.

उलेमा मुफ्ती अरशद फारूकी.
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Published : Nov 19, 2019, 12:17 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

सहारनपुर: अयोध्या भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला आने के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बैठक की. इस बैठक के बाद दोबारा अपील करने का फैसला लिया गया है. पर्सनल लॉ बोर्ड के इस फैसले का देवबंदी उलेमाओं ने भी समर्थन किया है. उलेमाओं का कहना है कि फैसले के बाद 5 एकड़ जमीन दी जा रही है और उसे कोई मुसलमान कबूल नहीं कर रहा है.

उलेमा मुफ्ती अरशद फारूकी ने दी जानकारी.

उलेमा मुफ्ती अरशद फारूकी ने कहा कि 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का अयोध्या विवाद पर जो फैसला आया है उस पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी की मीटिंग हुई है. बैठक में मुख्य रूप से दो अहम फैसले लिए लिए गए. इनमें से एक फैसला तो यह है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में दोबारा अपील करेगा. यानि अयोध्या मसले पर कानूनी कार्रवाई आगे बढ़ेगी.

इसे भी पढ़ें- कोर्ट का फैसला हमें मंजूर, हम हिंदुस्तान में अमन और सुकून चाहते हैं: इकबाल अंसारी

दूसरी बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए जो पांच एकड़ जमीन देने की बात कही है, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उस जमीन को कबूल नहीं करेगा. क्योंकि बाबरी मस्जिद की जगह की एवज में पैसे लेना, जमीन लेना या कोई और चीज लेना शरीयत के एतबार से जायज नहीं है. इसलिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उस जमीन को कबूल करने से माजरत करता है. यह दोनों फैसले बड़े अहम लिए गए हैं. बोर्ड ने साफ कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी और दी गई जमीन कबूल नहीं की जाएगी.

सहारनपुर: अयोध्या भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला आने के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बैठक की. इस बैठक के बाद दोबारा अपील करने का फैसला लिया गया है. पर्सनल लॉ बोर्ड के इस फैसले का देवबंदी उलेमाओं ने भी समर्थन किया है. उलेमाओं का कहना है कि फैसले के बाद 5 एकड़ जमीन दी जा रही है और उसे कोई मुसलमान कबूल नहीं कर रहा है.

उलेमा मुफ्ती अरशद फारूकी ने दी जानकारी.

उलेमा मुफ्ती अरशद फारूकी ने कहा कि 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का अयोध्या विवाद पर जो फैसला आया है उस पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी की मीटिंग हुई है. बैठक में मुख्य रूप से दो अहम फैसले लिए लिए गए. इनमें से एक फैसला तो यह है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में दोबारा अपील करेगा. यानि अयोध्या मसले पर कानूनी कार्रवाई आगे बढ़ेगी.

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दूसरी बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए जो पांच एकड़ जमीन देने की बात कही है, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उस जमीन को कबूल नहीं करेगा. क्योंकि बाबरी मस्जिद की जगह की एवज में पैसे लेना, जमीन लेना या कोई और चीज लेना शरीयत के एतबार से जायज नहीं है. इसलिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उस जमीन को कबूल करने से माजरत करता है. यह दोनों फैसले बड़े अहम लिए गए हैं. बोर्ड ने साफ कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी और दी गई जमीन कबूल नहीं की जाएगी.

Intro:सहारनपुर : एक ओर जहां अयोध्या मसले पर आए फैसले पर सभी धर्मो के लोगो ने संतुष्टि जाहिर की है वहीं अब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बैठक कर न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने से इनकार कर दिया है बल्कि दोबारा अपील करने का फैसला लिया है। पर्सनल लॉ बोर्ड के इस फैसले का देवबंदी उलेमाओ ने भी समर्थन किया है। उलेमाओ का कहना है कि फैसले के बाद 5 एकड़ जमीन दी जा रही है उसे कोई मुसलमान कबूल नही कर रहा है। उनका कहना है कि जिस मस्जिद की जमीन के बदले दूसरी जमीन या कोई और चीज लेना शरीयत में नाजायज है। इसलिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जो दो फैसले लिए है हिंदुस्तान का मुसलमान उनका समर्थन करता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अब सुप्रीम कोर्ट में दोबारा अपील करने जा रही है।Body:VO 1 - ऑनलाइन फतवा विभाग के चेयरमैन मुफ़्ती अरशद फारूकी ने कहा कि 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का अयोध्या मसले पर जो फैसला आया है उस पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी यानी आमला की मीटिंग हुई है। बैठक में मुख्य रूप से दो अहम फैसले लिए लिए गए। जिनमे एक फैसला तो यह है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड नजरे सानी की शिकायत करेगा और सुप्रीम कोर्ट में दोबारा अपील करेगा। यानि अयोध्या मसले पर कानूनी कार्यवाई आगे बढ़ेगी। वही दूसरी बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए जो पांच एकड़ जमीन देने की बात कही है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उस जमीन को कबूल नही करेगा। क्योंकि बाबरी मस्जिद की जगह की एवज में पैसे लेना, जमीन लेना या कोई और चीज लेना शरीयत के एटबार से जायज नही है। इसलिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उस जमीन को कबूल करने से माजरत करता है। वे दोनों फैसले बड़े अहम लिए गए हैं। मुसलमानों की तजुर्माणी कर रहे हैं। बोर्ड ने साफ कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नजर सानी की जाएगी और दी गई जमीन कबूल नही की जाएगी।

उन्होंने कहा कि पर्सनल लॉ बोर्ड के पदाधिकारी पहले ही कह चुके थे कि सुप्रीम कोर्ट का हर फैसला ऐसा हो कि उस पर अपील ना की जा सके या अपील करके फिर उसमें कोई फैसले को बदला जा सके।

बाईट - मुफ़्ती अरशद फारूकी ( चेयरमैन ऑनलाइन फतवा विभाग )Conclusion:रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
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Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
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