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दारुल उलूम देवबंद ने जारी किया फतवा, बैंक से मिले ब्याज से कर सकते हैं असहायों की सेवा

कोरोना संकट काल में दारुल उलूम ने फतवा जारी किया है. इस फतवे में कहा गया है कि बैंकों की तरफ से जमा पूंजी पर मिले ब्याज से कोरोना महामारी के दौरान गरीब और जरूरतमंदों की सेवा कर सकते हैं.

दारुल उलूम देवबंद ने जारी किया फतवा
दारुल उलूम देवबंद ने जारी किया फतवा
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Published : May 5, 2020, 1:05 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

सहारनपुर : कोरोना वायरस संकटकाल में दारुल उलूम देवबंद ने एक अहम फतवा जारी किया है. फतवा विभाग की खंडपीठ ने फतवा जारी करते हुए कहा कि लॉकडाउन की स्थिति में मुसलमानों की ओर से बैंक से जमा पूंजी पर मिले ब्याज से तंगहाल और जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकती है. इससे न सिर्फ दानदाता को सबाब मिलेगा बल्कि इस मुश्किल की घड़ी में जरूरतमंद को भोजन मिल जाएगा.

फतवे में कहा गया है कि वैसे तो ब्याज लेना इस्लाम में गलत है लेकिन बैंक में जमा पूंजी पर मिल रहे ब्याज की रकम से जरूरतमंदों की मदद करना शरीयत में जायज है. जानकारी के मुताबिक कर्नाटक निवासी एक शख्स ने दारुल उलूम देवबंद से लिखित सवाल में पूछा कि हमारी मस्जिद के बैंक एकाउंट में जमा रकम पर इंटरेस्ट की काफी रकम बनती है. मौजूदा हालात में जब खाने कमाने वाला तबका बेहद परेशान और तंगहाल है, तो क्या इस स्थिति में बैंक के ब्याज से मोहताज और जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकती है.

सवाल के जवाब में दारुल उलूम के मुफ्तियों की खंडपीठ ने फतवा जारी करते हुए कहा कि बैंक में जमा रकम पर जो ब्याज दिया जाता है वह शरीयत में नाजायज एवं हराम माना जाता है. ब्याज की इस राशि को व्यक्तिगत रूप में या फिर मस्जिद के लिए इस्तेमाल करना हराम है. इसलिए निस्वार्थ भाव से लॉकडाउन की स्थिति में ब्याज की इस राशि को गरीब, असहाय और तंगहाल लोगों की मदद कर सकते हैं. चाहे यह मदद नगदी के तौर पर हो या फिर इस रकम से राशन खरीद कर दिया जा सकता है.

सहारनपुर : कोरोना वायरस संकटकाल में दारुल उलूम देवबंद ने एक अहम फतवा जारी किया है. फतवा विभाग की खंडपीठ ने फतवा जारी करते हुए कहा कि लॉकडाउन की स्थिति में मुसलमानों की ओर से बैंक से जमा पूंजी पर मिले ब्याज से तंगहाल और जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकती है. इससे न सिर्फ दानदाता को सबाब मिलेगा बल्कि इस मुश्किल की घड़ी में जरूरतमंद को भोजन मिल जाएगा.

फतवे में कहा गया है कि वैसे तो ब्याज लेना इस्लाम में गलत है लेकिन बैंक में जमा पूंजी पर मिल रहे ब्याज की रकम से जरूरतमंदों की मदद करना शरीयत में जायज है. जानकारी के मुताबिक कर्नाटक निवासी एक शख्स ने दारुल उलूम देवबंद से लिखित सवाल में पूछा कि हमारी मस्जिद के बैंक एकाउंट में जमा रकम पर इंटरेस्ट की काफी रकम बनती है. मौजूदा हालात में जब खाने कमाने वाला तबका बेहद परेशान और तंगहाल है, तो क्या इस स्थिति में बैंक के ब्याज से मोहताज और जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकती है.

सवाल के जवाब में दारुल उलूम के मुफ्तियों की खंडपीठ ने फतवा जारी करते हुए कहा कि बैंक में जमा रकम पर जो ब्याज दिया जाता है वह शरीयत में नाजायज एवं हराम माना जाता है. ब्याज की इस राशि को व्यक्तिगत रूप में या फिर मस्जिद के लिए इस्तेमाल करना हराम है. इसलिए निस्वार्थ भाव से लॉकडाउन की स्थिति में ब्याज की इस राशि को गरीब, असहाय और तंगहाल लोगों की मदद कर सकते हैं. चाहे यह मदद नगदी के तौर पर हो या फिर इस रकम से राशन खरीद कर दिया जा सकता है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST
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