ETV Bharat / state

सहारनपुर में भाकियू प्रवक्ता की मांग, डिजिटल पर्ची के साथ डिजिटल हो गन्ने का भुगतान

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि डिजिटल पर्ची के साथ गन्ने का भी भुगतान डिजिटल तरह से होना चाहिए.

author img

By

Published : Sep 2, 2020, 7:28 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST

etv bharat
चौधरी राकेश टिकैत प्रवक्ता भारतीय किसान यूनियन.

सहारनपुर: जिले में कोरोना वायरस की वजह से किसानों की ज्यादातर फसलें बर्बाद हो चुकी हैं. वहीं किसानों की बची हुई फसलों का वाजिब दाम नहीं मिलने पर किसान आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. किसानों का अभी तक गन्ने का बकाया भुगतान नहीं हो पाया है. ऐसे में आगामी पेराई सत्र में डिजिटल पर्चियां भेजने की व्यवस्था के बाद से किसानों के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है. इसको लेकर भारतीय किसान यूनियन ने न सिर्फ सवाल खड़े किए, बल्कि राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने डिजिटल पर्चियों के साथ 14 दिन में गन्ने का डिजिटल भुगतान करने की मांग की है.

चौधरी राकेश टिकैत प्रवक्ता भारतीय किसान यूनियन.

भारतीय किसान यूनियन प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि किसान हित के मुद्दों पर चर्चा नहीं हो रही, बल्कि सरकार किसानों की अनदेखी कर रही है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में किसानों के हालात खराब होती जा रहे हैं. किसानों के गन्ने का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है. अगले सीजन के लिए गन्ने की फसल दोबारा तैयार हो चुकी है और धान की फसल भी पकने लगी हैं. ऐसे में धान की खरीद होगी या नहीं होगी ये देखना होगा. एग्रीकल्चर की थीम में सरकार नए अध्यादेश लेकर आ रही है, लेकिन इन अध्यादेशों में किसानों की क्या स्थिति होगी, ये देखना होगा.

उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में 14 हजार करोड़ रुपये गन्ने का बकाया रुका हुआ है.,जबकि गन्ना एक्ट में गन्ने की बिक्री के 14 दिन के भीतर गन्ने का भुगतान करने की व्यवस्था की गई है. अगर किन्हीं कारणों से भुगतान नहीं हो पाता, तो किसानों को उसका ब्याज देना पड़ेगा. इस सरकार में ब्याज तो दूर उनके गन्ने का मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. गन्ना विभाग ने डिजिटल गन्ना पर्चियां मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से भेजने की व्यवस्था की है, जिसका आने वाले समय में ही पता चलेगा कि ये कितनी कारगर साबित हो पाएंगी.

किसानों का गन्ना ओने-पौने दामों पर खरीदा जाता है. सरकार का जो 325 रुपये क्विंटल का MSP है, उससे कम दाम पर गन्ने की खरीद नहीं होनी चाहिए. वहीं उन्होंने इसके लिए विशेष अध्यादेश लागू करने की मांग की है. ऐसा नया कानून लाया जाए, जिससे किसानों की प्रत्येक फसल का मूल्य तय किया जाए और उससे कम रुपए में नहीं खरीदा जाए. हमेशा से गन्ने को कम दाम पर खरीदा जाता रहा है. खांडसारी उद्योगों को भी MSP के हिसाब से ही गन्ने की खरीद करनी पड़ेगी. अन्यथा भारतीय किसान यूनियन सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने को मजबूर होगी.

सहारनपुर: जिले में कोरोना वायरस की वजह से किसानों की ज्यादातर फसलें बर्बाद हो चुकी हैं. वहीं किसानों की बची हुई फसलों का वाजिब दाम नहीं मिलने पर किसान आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. किसानों का अभी तक गन्ने का बकाया भुगतान नहीं हो पाया है. ऐसे में आगामी पेराई सत्र में डिजिटल पर्चियां भेजने की व्यवस्था के बाद से किसानों के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है. इसको लेकर भारतीय किसान यूनियन ने न सिर्फ सवाल खड़े किए, बल्कि राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने डिजिटल पर्चियों के साथ 14 दिन में गन्ने का डिजिटल भुगतान करने की मांग की है.

चौधरी राकेश टिकैत प्रवक्ता भारतीय किसान यूनियन.

भारतीय किसान यूनियन प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि किसान हित के मुद्दों पर चर्चा नहीं हो रही, बल्कि सरकार किसानों की अनदेखी कर रही है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में किसानों के हालात खराब होती जा रहे हैं. किसानों के गन्ने का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है. अगले सीजन के लिए गन्ने की फसल दोबारा तैयार हो चुकी है और धान की फसल भी पकने लगी हैं. ऐसे में धान की खरीद होगी या नहीं होगी ये देखना होगा. एग्रीकल्चर की थीम में सरकार नए अध्यादेश लेकर आ रही है, लेकिन इन अध्यादेशों में किसानों की क्या स्थिति होगी, ये देखना होगा.

उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में 14 हजार करोड़ रुपये गन्ने का बकाया रुका हुआ है.,जबकि गन्ना एक्ट में गन्ने की बिक्री के 14 दिन के भीतर गन्ने का भुगतान करने की व्यवस्था की गई है. अगर किन्हीं कारणों से भुगतान नहीं हो पाता, तो किसानों को उसका ब्याज देना पड़ेगा. इस सरकार में ब्याज तो दूर उनके गन्ने का मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. गन्ना विभाग ने डिजिटल गन्ना पर्चियां मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से भेजने की व्यवस्था की है, जिसका आने वाले समय में ही पता चलेगा कि ये कितनी कारगर साबित हो पाएंगी.

किसानों का गन्ना ओने-पौने दामों पर खरीदा जाता है. सरकार का जो 325 रुपये क्विंटल का MSP है, उससे कम दाम पर गन्ने की खरीद नहीं होनी चाहिए. वहीं उन्होंने इसके लिए विशेष अध्यादेश लागू करने की मांग की है. ऐसा नया कानून लाया जाए, जिससे किसानों की प्रत्येक फसल का मूल्य तय किया जाए और उससे कम रुपए में नहीं खरीदा जाए. हमेशा से गन्ने को कम दाम पर खरीदा जाता रहा है. खांडसारी उद्योगों को भी MSP के हिसाब से ही गन्ने की खरीद करनी पड़ेगी. अन्यथा भारतीय किसान यूनियन सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने को मजबूर होगी.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:22 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.