सहारनपुर: पूरा देश 75वां स्वतंत्रता दिवस अमृत महोत्सव के रूप में मनाने की तैयारी में जुटा हुआ है. एक सप्ताह पहले ही पूरा देश तिरंगामय हुआ है. देश भर में तिरंगा यात्रा निकाली जा रही है. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश भक्ति के गीतों के माध्यम से स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों को याद किया जा रहा है, लेकिन इस बीच स्वतंत्रता सेनानियों के परिजन सरकारों पर उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं. शहीद भगत सिंह के परिजन पूछ रहे हैं कि 'कहां है स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों का भारत'.
सहारनपुर में रहने वाले शहीद भगत सिंह के भतीजे किरणजीत सिंह संधू ने उनकी याद में उनके जीवन से जुड़े अनेक दस्तावेज संजों रखे हैं. जो गुजरे जमाने की याद ताजा करता है. भगत सिंह के भतीजे सरदार किरणजीत सिंह ने बताया कि उनके ताऊ भगत सिंह ने देश के लिए अल्प आयु में ही अपनी कुर्बानी दे दी. इन 75 वर्षों में विभिन्न दलों की सरकारें आयी और गयीं. लेकिन आज तक भगत सिंह समेत हजारों बेनाम शहीदों को संवैधानिक रूप से शहीद का दर्जा भी नहीं दिया गया. उनके मुताबिक सरकार ने केवल 1947 के बाद शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियों को ही शहीद का संवैधानिक दर्जा दिया है. जिससे हजारों लाखों परिवारों की अनदेखी हो रही है.
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भगत सिंह द्वारा लिखी हुई ये पंक्तियां "दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फत, मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आएगी" जब भी हमारे कानों तक पहुंचती हैं तो जेहन में महान क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की यादें ताजा हो जाती हैं. यह वही अमर गीत हैं, जो 23 मार्च 1931 को फांसी के तख्ते पर लटकने से पहले इन वीर सपूतों के होठों से गया था.
आपको बता दें कि, सरदार भगत सिंह के छोटे भाई स्व. कुलतार सिंह के बेटे किरणजीत सहारनपुर की आवास विकास कालोनी में रहते हैं. उनके घर में कदम रखते ही शहीद भगत सिंह की यादों को ताजा करने वाले अनेक चित्र दिखाई पड़ते हैं. जिन्हें बेहद संजोकर रखा गया है. शहीद भगत सिंह के भतीजे ने देश के लिए जान कुर्बान करने वाले अपने ताऊ यानी बड़े चाचा की तमाम यादों को बेहद सुरक्षित तरीके से संजो रखा है. भगत सिंह के भतीजे सरदार किरणजीत सिंह कहते हैं कि स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों के परिजनों के लिए 15 अगस्त का दिन एक पुनीत पर्व है. स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए इस दिन से बड़ा कोई पर्व नहीं है.
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उन्होंने कहा कि जिस सपने को लेकर स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिया था, वो सपनों का भारत कहीं खो सा गया है. उनका कहना है कि हमारा भारत देश अभी भी पूरी तरह से आजाद नहीं हुआ है. भारत के देश ज्यादातर देश परिवार आज भी आर्थिक तौर पर गुलामों की जिंदगी जीने को मजबूर है. देश में अभी गरीबी बाकी है, बेरोजगारी, भ्रष्ट्राचार और जातिवाद का जहर पूरे समाज को खोखला कर रहा है. आजादी के 75 साल बीतने के साथ ही स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों का सम्मान करना सरकार के लिए महज एक औपचारिकता रह गई है. जब तक स्वतंत्रता सेनानी जीवित रहे, उन्हें सम्मान पेंशन और थोड़ी बहुत अन्य सुविधाएं भी दी गईं. लेकिन बाद में उनके परिजनों को नजर अंदाज किया जा रहा है.
उन्होंने तमाम स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों की ओर से मांग की है कि जिन वीर सपूतों ने देश की आजादी के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया. उनके परिवार को प्रथम राष्ट्रीय परिवार की उपाधि देने के साथ ही शहीद के जो परिवार गरीब गुरबत में जी रहे हैं उनकी आर्थिक मदद करनी चाहिए. किरणजीत सिंह ने पूर्व एवं मौजूदा केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार आज तक भगत सिंह समेत हजारों शहीदों को सवैधानिक तौर पर शहीद ही नहीं माना. उनकी मांग है कि सरकार को चाहिए कि जितने भी वीर सपूतों ने देश की आजादी के लिए अपना बलिदान दिया है उनको सवैधानिक रूप से शहीद का दर्जा दिया जाए. यही स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अमर शहीदों को सच्ची श्रदांजलि होगी.
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