ETV Bharat / state

सहारनपुर: ये कैसा बाल दिवस, रस्सी पर करतब दिखा रही डिजिटल भारत की बेटियां

author img

By

Published : Nov 15, 2019, 4:25 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST

यूपी के सहानपुर में एक 7 वर्षीय बच्ची रस्सी पर खतरनाक करतब दिखा रही है. पढ़ाई-लिखाई और खेलने कूदने की उम्र में मासूम बेटी रस्सी पर करतब दिखाकर दो वक्त रोटी कमाने को मजबूर है.

7 साल की उम्र में जान जोखिम में डालकर करतब दिखा रही मासूम

सहारनपुर: एक ओर जहां पूरा देश बाल दिवस मना कर देश का भविष्य सुधारने के दावे कर रहा है. वहीं सहारनपुर से आई ये तस्वीरें न सिर्फ बाल दिवस पर सवाल खड़े कर रही हैं, बल्कि केंद्र सरकार के नारे "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" की भी पोल खोल रही हैं. जहां पढ़ाई लिखाई और खेल कूदने की उम्र में मासूम बेटी रस्सी पर करतब दिखाकर दो वक्त रोटी कमाने को मजबूर है.

खास बात यह है कि जान जोखिम में डालकर 7 वर्षीय बच्ची रस्सी पर खतरनाक करतब दिखा रही है. इसके साथ ही राहगीर और स्थानीय लोग बच्ची के करतब देखकर मनोरंजन कर रहे, लेकिन रस्सी पर चल रहे बचपन का कोई विरोध नहीं कर रहा है. जिसके चलते विशेष जाति में यह कुप्रथा बनती जा रही है. हालांकि समाजशास्त्री रस्सी पर करतब दिखाने वाले खेल पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं.

7 साल की उम्र में जान जोखिम में डालकर करतब दिखा रही मासूम.

7 साल की उम्र में जान जोखिम में डालकर करतब दिखा रही मासूम
देशभक्ति की गीतों की तर्ज पर 7 साल की उम्र में पापी पेट के लिए जान जोखिम में डालकर करतब दिखा रही यह मासूम बच्ची सहारनपुर के नट बिरादरी से है, जो करीब 8 फीट की ऊंचाई पर हाथ में लाठी लेकर न सिर्फ रस्सी पर चलकर करतब दिखा रही है, बल्कि सिर के ऊपर कई लोटे रखे हुए हैं. जिन का संतुलन बनाना अच्छे-अच्छे को छका देता है. पढ़ने-लिखने की उम्र में यह मासूम बच्ची अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी कमाने में लगी हुई है.

चार-पांच साल की उम्र में बेटियों को रस्सी पर चलना सिखाया जाता है
आधुनिक युग में जहां दुनिया चांद पर पहुंच चुकी हैं, वहीं कुछ कुरीतियां भारतीय समाज में आज भी प्रचलित हैं. बाल दिवस मनाने वाले देश में देश का भविष्य गली मोहल्लों में जाकर रस्सियों पर करतब दिखा रहा है. जबकि सरकार बेटियों को पढ़ाने लिखाने पर विशेष ध्यान दे रही है. नट समाज में पढ़ने लिखने की बजाय चार पांच साल की उम्र में बेटियों को रस्सी पर चलना सिखाया जाता है.

जिन हाथों में कलम और खिलौने चाहिए, उनके हाथों में घर की जिम्मेदारी और लाठी, रस्सी थमा दी जाती है. बच्चियां घर से निकलकर स्कूल जाने की बजाए सड़क किनारे रस्सी पर चल कर खतरनाक करतब दिखाती हैं. जान जोखिम में डालकर दो वक्त की रोटी कमाते हुए कई बार रस्सियों से गिरकर इन बच्चियों को चोट भी लग जाती हैं. बावजूद इसके इनका हौसला कम नहीं होता. डिजिटल भारत का सपना देख रहे देशवासियों के बीच मासूम बच्चियों का बचपन सिमट कर रस्सी तक रह गया है.

समाज शास्त्री डॉ. दिनेश कुमार सिंघल का कहना
यदि कोई बच्चा अपना करियर बनाने के लिए ऐसे करतब दिखाता है तो वह सही होता है, लेकिन यदि मासूम बच्चों से केवल रोजी-रोटी के लिए ऐसे खतरनाक करतब दिखाए जाते हैं तो वो समाज में एक कुरीति का काम करता है. सरकार ने सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिया हुआ है. उन्होंने बताया कि नट समाज में यह कुरीति पीढ़ियों दर पीढ़ी चली आ रही है. रस्सी पर बच्चों से खतरनाक करतब दिखाने पर बैन लगाने की मांग की है.

इसे भी पढ़ें-प्रयागराजः आनंद भवन में मनाया गया पं नेहरू का 130 वां जन्मदिवस

सहारनपुर: एक ओर जहां पूरा देश बाल दिवस मना कर देश का भविष्य सुधारने के दावे कर रहा है. वहीं सहारनपुर से आई ये तस्वीरें न सिर्फ बाल दिवस पर सवाल खड़े कर रही हैं, बल्कि केंद्र सरकार के नारे "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" की भी पोल खोल रही हैं. जहां पढ़ाई लिखाई और खेल कूदने की उम्र में मासूम बेटी रस्सी पर करतब दिखाकर दो वक्त रोटी कमाने को मजबूर है.

खास बात यह है कि जान जोखिम में डालकर 7 वर्षीय बच्ची रस्सी पर खतरनाक करतब दिखा रही है. इसके साथ ही राहगीर और स्थानीय लोग बच्ची के करतब देखकर मनोरंजन कर रहे, लेकिन रस्सी पर चल रहे बचपन का कोई विरोध नहीं कर रहा है. जिसके चलते विशेष जाति में यह कुप्रथा बनती जा रही है. हालांकि समाजशास्त्री रस्सी पर करतब दिखाने वाले खेल पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं.

7 साल की उम्र में जान जोखिम में डालकर करतब दिखा रही मासूम.

7 साल की उम्र में जान जोखिम में डालकर करतब दिखा रही मासूम
देशभक्ति की गीतों की तर्ज पर 7 साल की उम्र में पापी पेट के लिए जान जोखिम में डालकर करतब दिखा रही यह मासूम बच्ची सहारनपुर के नट बिरादरी से है, जो करीब 8 फीट की ऊंचाई पर हाथ में लाठी लेकर न सिर्फ रस्सी पर चलकर करतब दिखा रही है, बल्कि सिर के ऊपर कई लोटे रखे हुए हैं. जिन का संतुलन बनाना अच्छे-अच्छे को छका देता है. पढ़ने-लिखने की उम्र में यह मासूम बच्ची अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी कमाने में लगी हुई है.

चार-पांच साल की उम्र में बेटियों को रस्सी पर चलना सिखाया जाता है
आधुनिक युग में जहां दुनिया चांद पर पहुंच चुकी हैं, वहीं कुछ कुरीतियां भारतीय समाज में आज भी प्रचलित हैं. बाल दिवस मनाने वाले देश में देश का भविष्य गली मोहल्लों में जाकर रस्सियों पर करतब दिखा रहा है. जबकि सरकार बेटियों को पढ़ाने लिखाने पर विशेष ध्यान दे रही है. नट समाज में पढ़ने लिखने की बजाय चार पांच साल की उम्र में बेटियों को रस्सी पर चलना सिखाया जाता है.

जिन हाथों में कलम और खिलौने चाहिए, उनके हाथों में घर की जिम्मेदारी और लाठी, रस्सी थमा दी जाती है. बच्चियां घर से निकलकर स्कूल जाने की बजाए सड़क किनारे रस्सी पर चल कर खतरनाक करतब दिखाती हैं. जान जोखिम में डालकर दो वक्त की रोटी कमाते हुए कई बार रस्सियों से गिरकर इन बच्चियों को चोट भी लग जाती हैं. बावजूद इसके इनका हौसला कम नहीं होता. डिजिटल भारत का सपना देख रहे देशवासियों के बीच मासूम बच्चियों का बचपन सिमट कर रस्सी तक रह गया है.

समाज शास्त्री डॉ. दिनेश कुमार सिंघल का कहना
यदि कोई बच्चा अपना करियर बनाने के लिए ऐसे करतब दिखाता है तो वह सही होता है, लेकिन यदि मासूम बच्चों से केवल रोजी-रोटी के लिए ऐसे खतरनाक करतब दिखाए जाते हैं तो वो समाज में एक कुरीति का काम करता है. सरकार ने सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिया हुआ है. उन्होंने बताया कि नट समाज में यह कुरीति पीढ़ियों दर पीढ़ी चली आ रही है. रस्सी पर बच्चों से खतरनाक करतब दिखाने पर बैन लगाने की मांग की है.

इसे भी पढ़ें-प्रयागराजः आनंद भवन में मनाया गया पं नेहरू का 130 वां जन्मदिवस

Intro:सबन्धित विजूल्स wrap से भेजे है।

सहारनपुर : एक और जहां पूरा देश बाल दिवस मना कर देश का भविष्य सुधारने के दावे कर रहा है वहीं सहारनपुर से आई ये तस्वीरें न सिर्फ बाल दिवस पर सवाल खड़े कर रही है बल्कि केंद्र सरकार के नारे "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" की भी पोल खोल रही हैं। जहां पढ़ाई लिखाई एवं खेल कूदने की उम्र में मासूम बेटी रस्सी पर करतब दिखाकर 2 जून की रोटी कमाने को मजबूर है। खास बात यह है कि जान जोखिम में डालकर 7 वर्षीय बच्ची रस्सी पर खतरनाक करतब दिखा रही है और राहगीर व स्थानीय लोग बच्ची के करतब देखकर मनोरंजन कर रहे लेकिन रस्सी पर चल रहे बचपन का कोई विरोध नहीं कर रहा है। जिसके चलते विशेष जाति में यह कुप्रथा बनती जा रही है। हालांकि समाज शास्त्री रस्सी पर करतब दिखाने वाले खेल पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं।


Body:VO 1 - आपको बता दें कि देशभक्ति गीतों की तर्ज पर 7 साल की उम्र में पापी पेट के लिए जान जोखिम में डालकर करतब दिखा रही यह मासूम बच्ची सहारनपुर के नट बिरादरी से है। जो करीब 8 फीट की ऊंचाई पर हाथ में लाठी लेकर न सिर्फ सिर्फ रस्सी पर चलकर करतब दिखा रही है बल्कि सिर के ऊपर कई लौटे रखे हुए हैं। जिन का संतुलन बनाना अच्छे अच्छे को छका देता है। लेकिन पढ़ने-लिखने की उम्र में मासूम बच्ची अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी कमाने में लगी हुई है।

आपको आधुनिक युग में जहां दुनिया चांद पर पहुंच चुकी हैं वहीं कुछ कुरीतियां भारतीय समाज में आज भी प्रचलित हैं। बाल दिवस मनाने वाले देश में देश का भविष्य गली मोहल्लों में जाकर रसिया पर करतब दिखा रहा है। जबकि सरकार बेटियों को पढ़ाने लिखाने पर विशेष ध्यान दे रही हैं। नट समाज में पढ़ने लिखने की बजाय चार पांच साल की उम्र में बेटियों को रस्सी पर चलना सिखाया जाता है। जिन हाथों में कलम और खिलौने चाहिए उनके हाथों में घर की जिम्मेदारी और लाठी, रस्सी थमा दी जाती है। बच्चियां घर से निकल कर स्कूल जाने की बजाए सड़क किनारे रस्सी पर चल कर खतरनाक करतब दिखाती हैं। जान जोखिम में डालकर 2 जून की रोटी कमाते हुए कई बार रस्सियों से गिरकर इन बच्चियों को चोट भी लग जाती हैं बावजूद इसके इनका हौसला कम नहीं होता। डिजिटल भारत का सपना देख रहे देशवासियों के बीच मासूम बच्चियों का बचपन सिमट कर रस्सी तक रह गया है।

वही समाज शास्त्री डॉ दिनेश कुमार सिंघल का कहना है कि यदि कोई बच्चा अपना करियर बनाने के लिए ऐसे करतब दिखाता है तो वह सही होता है लेकिन यदि मासूम बच्चो से केवल रोजी रोटी के लिए ऐसे खतरनाक करतब दिखाए जाते है तो वो समाज मे एक कुरीति का काम करता है। सरकार ने सभी बच्चो को शिक्षा का अधिकार दिया हुआ है। उन्होंने बताया कि नट बादी समाज मे यह कुरीति पीढ़ियों दर पीढ़ी चली आ रही है। रस्सी पर बच्चो से खतरनाक करतब दिखाने पर बैन लगाने की मांग की है।

बाईट - डॉ दिनेश कुमार सिंघल ( समाज शास्त्री जे वी जैन कॉलेज )


Conclusion:रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
9121293042
9759945153
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:21 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.