रामपुरः सपा सांसद आजम खां की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. आजम खान ने जौहर यूनिवर्सिटी पर श्रम विभाग का बकाया सेस 1 करोड़ 37 लाख जमा किया है. अब उनके रिसोर्ट पर खतरे के बादल मंडराने लगा है. तहसीलदार कोर्ट ने 15 दिन का समय दिया है. 15 दिन में बेदखली और जुर्माना वसूली का आदेश दिया गया है.
क्या है पूरा मामला
सपा सांसद आजम खां की शहर से विधायक पत्नी ताजीन फातिमा का पसियापुरा शुमाली में हमसफर रिसोर्ट होटल बना है. जिसमें शिकायत की गई थी, कि उसमें खाद के गड्ढों को रिसोर्ट होटल में कब्जा कर लिया गया है. जिसका मामला तहसीलदार कोर्ट में चल रहा था. इस मामले में एक बड़ा आदेश तहसीलदार कोर्ट ने दिया. जिसमें रिसोर्ट को 15 दिन का समय दिया गया है. इस 15 दिन में बेदखली और जुर्माना वसूली का आदेश दिया गया है.
5 लाख 32 हजार रुपये लिया जाएगा जुर्माना
आदेश के मुताबिक हमसफर रिसोर्ट होटल पसियापुर शुमाली गांव में स्थित है. इस रिसोर्ट के सामने पसियापुरा शुमाली ग्राम समाज की खाद के गड्ढों की जमीन है. आरोप है कि खाद के गड्ढों की जमीन से हमसफर रिसोर्ट को मिलाकर दीवारें और गेट बना दिए गए हैं. रिसोर्ट ने एक करोड़ 6 लाख 40 हजार का राजस्व नुकसान पहुंचाया है. जिसमें 5 फीसदी दंड के आधार पर 5 लाख 32 हजार जुर्माना लिया जाएगा. इस मामले में 19 फरवरी 2021 को बहस हुई थी. जिसमें आजम खां की ओर से कोई भी नहीं पहुंचा. उसके बाद 22 फरवरी तक उन्हें अपना कोई जवाब दाखिल करना था. लेकिन उन्होंने 22 फरवरी तक भी कोई जवाब दाखिल नहीं किया. लिहाजा कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया.
जांच में सही पाया गया था आरोप
इस मामले पर मुख्य शिकायतकर्ता और भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने बताया आजम खान का जो हमसफर रिसोर्ट होटल है, उसे लेकर जिलाधिकारी से ये शिकायत की गई थी. सरकारी जो खाद के गड्ढे होते हैं, जिसमें गांव के लोग अपने घर का कूड़ा डालते हैं, आजम खान ने उस पर कब्जा कर लिया था. जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद तहसीलदार सदर के ये वाद चल रहा था. इस मामले में मंगलवार को निर्णय आया है कि सरकारी खाद के गड्ढों को खाली करवाया जाए. उसमें 5 लाख 32 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
सरकारी संपत्ति पर हुआ कब्जा
वहीं इस मामले के सरकारी वकील कुलदीप पांडे ने बताया खाद के गड्ढे सरकारी भूमि होती है. लेखपाल और एसडीएम ने इसे लेकर निरीक्षण किया. जिसमें अवैध कब्जे की बात सामने आई. जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद कोर्ट से धारा 67 के तहत बेदखली का आदेश पारित हो गया है. खाद के गड्ढे जो सार्वजनिक उपयोग की भूमि होती है, उस पर किसी तरह का कब्जा नहीं कर सकते. ये सरकारी संपत्ति है.