रामपुर: सपा सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे आजम खान के करीबी पूर्व सीओ सिटी आले हसन को एमपी-एमएलए कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. दरअसल, किसानों की जमीन कब्जा कर उसे जौहर यूनिवर्सिटी में शामिल करना, धमकाने और मारपीट करने के मामलों में आले हसने ने कोर्ट में जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दिए थे. इसे शुक्रवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
सरकारी वकील अरुण प्रकाश सक्सेना के मुताबिक पूर्व सीओ सिटी आले हसन खां की ओर से एमपी एमएलए कोर्ट में अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र दिए गए थे. इसमें प्रॉसीक्यूशन की ओर से हमने बहस करते हुए उसका विरोध किया है. अभियोग पक्ष के वकील ने कोर्ट मे दलील दी कि ग्राम सीगंन खेड़ा में भूमिधर किसानों की जमीन जो जौहर यूनिवर्सिटी में जबरदस्ती ले ली गई है. प्रथम सूचना रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि आले हसन खान, थाना अध्यक्ष कुशल वीर आदि ने मोहम्मद आजम खान के कहने पर किसान और उनके बच्चों को जबरदस्ती थानों में रोका.
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अभियोग पक्ष के वकील ने आगे बताया कि किसानों पर यूनिवर्सिटी के नाम जमीन करने का दवाब बनाया. इतना ही नहीं बैनामा नहीं करने पर अफीम और चरस के झूठे मुकदमों में जेल भेजने की धमकियां दी गईं. इसके बाद बिना बैनामे की जमीन यूनिवर्सिटी के चारदीवारी के अंदर ले ली गई. पुलिस द्वारा इनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य जुटाए गए है. शुक्रवार को न्यायालय ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद पूर्व सीओ सिटी आले हसन की जमानत याचिका को रद्द कर दिया है.
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