हैदराबादः रामपुर और आजमगढ़ में लोकसभा उपचुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हो गए. इस बार रामपुर में 41.01% और आजमगढ़ में 48.58% मतदान हुआ. अगर बीते लोकसभा चुनाव की तुलना की जाए तो दोनों ही सीटों पर इस बार काफी कम वोटिंग हुई. इस बार रामपुर में 22.44% मतदान कम हुआ. आजमगढ़ में 8.82% वोट कम पड़े.
रामपुर में आजम खान भी वोटरों को नहीं निकाल सके
आजम खान के इस्तीफे से खाली हुई रामपुर की लोकसभा सीट पर आजम खान के ही करीबी मोहम्मद आसिम रजा को सपा ने उतारा था. वहीं, कभी आजम के बेहद खास रहे घनश्याम लोधी को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया था. आसिम रजा को जिताने के लिए आजम खान ने खुद मोर्चा संभाला था. जेल से आने के बाद वह लगातार जनसभाओं में अपनी जेल की तकलीफों का जिक्र करते नजर आए थे. सिय़ासी पंडितों का अनुमान था कि ये भावुक अपीलें मतदान प्रतिशत बढ़ाने में बड़ा काम करेंगी. जब मतदान का वक्त आया तो ऐसा आंकड़ा आया जिसने सभी को अंचभित कर दिया. 2019 के लोकसभा चुनाव में रामपुर में 63.45% वोटिंग हुई थी. वहीं, गुरुवार को हुए उपचुनाव में 41.01% वोट ही पड़े. इस बार रामपुर में 22.44% मतदान कम हुआ. आपको बता दें कि 2019 के चुनाव में आजम खान को 559177 और बीजेपी की जयाप्रदा नाहटा को 449180 वोट मिले थे. इस बार रामपुर वालों ने मतदान में कम रुचि ली. रामपुर लोकसभा क्षेत्र में 17 लाख से अधिक वोटर हैं. यहां 50 प्रतिशत हिंदू और करीब 49 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं. आजम खान के जेल से बाहर आने के बाद यहां का सियासी परिदृश्य जिस तरह तेजी से बदला था, उस हिसाब से इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही थी लेकिन इस बार वोटरों की उदासीनता ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया. फिलहाल उम्मीदवारों की किस्मत मतपेटियों में कैद हो चुकी है.
आजमगढ़ में भी गिरा वोटिंग ग्राफ, क्या सलामत रहेगा सपा का किला?
बीते लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार आजमगढ़ में भी वोटिंग का ग्राफ नीचे गया है. 2019 में जहां 57.40% फीसदी वोटिंग हुई थी तो वहीं इस बार यहां 48.58% वोट पड़े. इस बार यहां पिछले लोकसभा चुनाव में 8.82% वोट कम पड़े. यहां भी वोटर उदासीन नजर आए. इस सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है. सपा से धर्मेंद्र यादव, भाजपा से दिनेश लाल यादव निरहुआ और बसपा से गुड्डू जमाली मैदान में हैं. 2019 के चुनाव में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को 621578 और बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ को 361704 वोट मिले थे. इस बार अखिलेश यादव के मैदान में न होने से बीजेपी इसे बड़ा अवसर मान रही है.
पार्टी के नेताओं का मानना है कि यदि गुड्डू जमाली के खाते में मुस्लिम वोट चले जाएंगे तो काफी हद तक वह सपा को इस बार इस सीट पर पटखनी दे सकती है. इस चुनाव में अखिलेश यादव ने खुलकर प्रचार भी नहीं किया. वहीं, बीजेपी की ओर से सीएम योगी समेत प्रदेश के कई दिग्गज नेता खुलकर प्रचार करते नजर आए. 2019 में सपा ने यहां हुई कुल वोटिंग में करीब 60 फीसदी मत हासिल किए थे. वहीं, बीजेपी को 35 फीसदी वोट ही मिले थे. इस बार वोटिंग घटने से समीकरण बिगड़ सकते हैं. आने वाली 26 जून को ही दोनों सीटों की तस्वीर साफ होगी.
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