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हाईकोर्ट की शरण में पहुंची जौहर यूनिवर्सिटी, जानें क्या है पूरा मामला

मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की भूमि सरकार द्वारा जब्त किए जाने का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है. एडीएम प्रशासन रामपुर के न्यायालय में हाईकोर्ट की दुहाई देते हुए जौहर यूनिवर्सिटी के अधिवक्ता ने कार्रवाई स्थगित करने की मांग की. इस पर एडीएम द्वारा सुनवाई के लिए अगली तारीख 23 नवंबर दे दी गई है.

मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी.
मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी.
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Published : Nov 19, 2020, 12:47 AM IST

रामपुरः मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की भूमि सरकार द्वारा जब्त किए जाने का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है. एडीएम प्रशासन रामपुर के न्यायालय में हाईकोर्ट की दुहाई देते हुए जौहर यूनिवर्सिटी के अधिवक्ता ने कार्रवाई स्थगित करने की मांग की. इस पर एडीएम द्वारा सुनवाई के लिए अगली तारीख 23 नवंबर दे दी गई है. बता दें कि समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान द्वारा रामपुर में स्थापित मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी यूं तो 400 एकड़ से अधिक भूमि में फैली हुई है. जबकि भू राजस्व अधिनियम के अंतर्गत 12.5 एकड़ से अधिक भूमि सरकारी जमीन अधिगृहीत की गई है. ऐसे में जौहर ट्रस्ट द्वारा उत्तर प्रदेश शासन से विशेष अनुमति प्राप्त की गई थी जोकि चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर शासन द्वारा प्रदान की गई.

मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी रामपुर.

23 नवंबर को होगी सुनवाई
रामपुर जिला प्रशासन ने अपनी जांच में जौहर यूनिवर्सिटी में धर्मार्थ कार्य अर्थात चैरिटी का कार्य होता हुआ नहीं पाया गया. इस रिपोर्ट को आधार मानते हुए एडीएम प्रशासन रामपुर के न्यायालय में चला गया. इसके बाद जौहर यूनिवर्सिटी की 12:30 एकड़ से अधिक भूमि को जब्त करने की कार्रवाई की जा रही है. इसी क्रम में 9 नवंबर को एक आदेश पारित किया गया था जिसके विरोध जौहर यूनिवर्सिटी ने हाईकोर्ट की शरण ली. इसकी सूचना देते हुए जौहर यूनिवर्सिटी के अधिवक्ता ने एडीएम न्यायालय में कार्रवाई 1 माह तक स्थगित करने की मांग की थी. जबकि उनके इस प्रार्थना पत्र पर 5 दिन का समय देते हुए अगली तारीख 23 नवंबर तय की गई है.

ट्रस्ट के तरफ से दो प्रार्थना पत्र एसडीएम प्रशासन को सौंपा
सरकारी वकील अजय तिवारी ने बताया कि बुधवार को साढ़े बारह एकड़ से ज्यादा अधिक मामलें में एडीएम प्रशासन जेपी गुप्ता की कोर्ट में बहस होनी थी. पूर्व की तिथि में जो ट्रस्ट है उसकी तरफ से दो प्रार्थना पत्र दिए गए थे. एक प्रार्थना पत्र इस बाबत था की आजम खान और तंजीम फातिमा सीतापुर जेल में बंद हैं. लिहाजा एडवोकेट कमिश्नर के जरिए उनका बयान रिकॉर्ड कर लिया जाए जो साक्ष्य के रूप में पढ़ा जा सके.

ट्रस्ट के अधिवक्ता ने मांगी एक महीने की मोहलत
दूसरा एक रिपोर्ट थी एसडीएम टांडा की जो उन्होंने डीएम रामपुर को भेजी थी. उसके जरिए जो शासन को भेजी गई थी उस रिपोर्ट को तलब करने का प्रार्थना पत्र दिया था तो वो दोनों प्रार्थना पत्रों को न सुनकर पत्रावली बहस में लगा दी गई थी. 9/11 का जो आदेश हुआ था उसके आधार पर ट्रस्ट की तरफ से अधिवक्ता रमेश पाठक ने एक प्रार्थना पत्र दिया. उनका कहना है कि ट्रस्ट उस आदेश के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय चला गया है. उन्होंने वहां जाकर के एक रिट याचिका दाखिल की है लिहाजा हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है तब तक के लिए कार्रवाई में स्थगन दे दिया जाए और 1 महीने के समय की मांग की थी तो कोर्ट ने 23 तारीख लगा दी है.

रामपुरः मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की भूमि सरकार द्वारा जब्त किए जाने का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है. एडीएम प्रशासन रामपुर के न्यायालय में हाईकोर्ट की दुहाई देते हुए जौहर यूनिवर्सिटी के अधिवक्ता ने कार्रवाई स्थगित करने की मांग की. इस पर एडीएम द्वारा सुनवाई के लिए अगली तारीख 23 नवंबर दे दी गई है. बता दें कि समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान द्वारा रामपुर में स्थापित मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी यूं तो 400 एकड़ से अधिक भूमि में फैली हुई है. जबकि भू राजस्व अधिनियम के अंतर्गत 12.5 एकड़ से अधिक भूमि सरकारी जमीन अधिगृहीत की गई है. ऐसे में जौहर ट्रस्ट द्वारा उत्तर प्रदेश शासन से विशेष अनुमति प्राप्त की गई थी जोकि चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर शासन द्वारा प्रदान की गई.

मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी रामपुर.

23 नवंबर को होगी सुनवाई
रामपुर जिला प्रशासन ने अपनी जांच में जौहर यूनिवर्सिटी में धर्मार्थ कार्य अर्थात चैरिटी का कार्य होता हुआ नहीं पाया गया. इस रिपोर्ट को आधार मानते हुए एडीएम प्रशासन रामपुर के न्यायालय में चला गया. इसके बाद जौहर यूनिवर्सिटी की 12:30 एकड़ से अधिक भूमि को जब्त करने की कार्रवाई की जा रही है. इसी क्रम में 9 नवंबर को एक आदेश पारित किया गया था जिसके विरोध जौहर यूनिवर्सिटी ने हाईकोर्ट की शरण ली. इसकी सूचना देते हुए जौहर यूनिवर्सिटी के अधिवक्ता ने एडीएम न्यायालय में कार्रवाई 1 माह तक स्थगित करने की मांग की थी. जबकि उनके इस प्रार्थना पत्र पर 5 दिन का समय देते हुए अगली तारीख 23 नवंबर तय की गई है.

ट्रस्ट के तरफ से दो प्रार्थना पत्र एसडीएम प्रशासन को सौंपा
सरकारी वकील अजय तिवारी ने बताया कि बुधवार को साढ़े बारह एकड़ से ज्यादा अधिक मामलें में एडीएम प्रशासन जेपी गुप्ता की कोर्ट में बहस होनी थी. पूर्व की तिथि में जो ट्रस्ट है उसकी तरफ से दो प्रार्थना पत्र दिए गए थे. एक प्रार्थना पत्र इस बाबत था की आजम खान और तंजीम फातिमा सीतापुर जेल में बंद हैं. लिहाजा एडवोकेट कमिश्नर के जरिए उनका बयान रिकॉर्ड कर लिया जाए जो साक्ष्य के रूप में पढ़ा जा सके.

ट्रस्ट के अधिवक्ता ने मांगी एक महीने की मोहलत
दूसरा एक रिपोर्ट थी एसडीएम टांडा की जो उन्होंने डीएम रामपुर को भेजी थी. उसके जरिए जो शासन को भेजी गई थी उस रिपोर्ट को तलब करने का प्रार्थना पत्र दिया था तो वो दोनों प्रार्थना पत्रों को न सुनकर पत्रावली बहस में लगा दी गई थी. 9/11 का जो आदेश हुआ था उसके आधार पर ट्रस्ट की तरफ से अधिवक्ता रमेश पाठक ने एक प्रार्थना पत्र दिया. उनका कहना है कि ट्रस्ट उस आदेश के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय चला गया है. उन्होंने वहां जाकर के एक रिट याचिका दाखिल की है लिहाजा हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है तब तक के लिए कार्रवाई में स्थगन दे दिया जाए और 1 महीने के समय की मांग की थी तो कोर्ट ने 23 तारीख लगा दी है.

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