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बाबा के बुलडोजर के खौफ से आजम खान पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, दायर की जौहर यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग न गिराने की याचिका

उच्च न्यायालय इलाहाबाद से भले ही शत्रु संपत्ति मामले में आजम खान को जमानत मिल गई हो लेकिन जमानत की कई शर्तें आजम खान को परेशान किए हुए हैं. इन शर्तों में माननीय न्यायालय ने जोहर यूनिवर्सिटी कैंपस में स्थित शत्रु संपत्ति को कब्जा मुक्त कराए जाने की भी शर्त थी.

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जोहर यूनिवर्सिटी कैंपस
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Published : May 24, 2022, 7:49 PM IST

रामपुर : उच्च न्यायालय इलाहाबाद से भले ही शत्रु संपत्ति मामले में आजम खान को जमानत मिल गई हो लेकिन जमानत की कई शर्तें आजम खान को परेशान किए हुए हैं. इन शर्तों में माननीय न्यायालय ने जौहर यूनिवर्सिटी कैंपस में स्थित शत्रु संपत्ति को कब्जा मुक्त कराए जाने की भी शर्त थी. उच्च न्यायालय के इसी आदेश के पालन में जिला प्रशासन ने जौहर यूनिवर्सिटी कैंपस में पैमाइश कर शत्रु संपत्ति को पिलर और तारबाढ़ लगाकर कब्जा प्राप्त कर लिया. साथ ही जौहर यूनिवर्सिटी के दो भवनों को भी शत्रु संपत्ति पर निर्माण मानते हुए गिराए जाने का नोटिस जिला प्रशासन ने जौहर यूनिवर्सिटी को थमा दिया.

जोहर यूनिवर्सिटी कैंपस

अब इस नोटिस के बाद से ही आजम खान को लगातार बुलडोजर का खौफ सताए जा रहा है जिसके चलते आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट में भवन ना गिराए जाने की गुहार लगाई है. आजम खान के वकीलों का कहना है कि उनके द्वारा दायर की गई रिट सुनवाई के लिए लिस्ट कर दी गई है. ऐसे में अब इसकी सूचना जिला प्रशासन रामपुर को देते हुए उच्चतम न्यायालय के निर्णय आने तक भवन न गिराए जाने को कहा गया है.

इसे भी पढ़ेंः रामपुर में अंडरग्राउंड रहिएगा, एनकाउंटर हो सकता है: आज़म खान

आजम खान के वकील का क्या कहना : आजम खान के वकील जुबैर अहमद के मुताबिक देखिए जो जिला प्रशासन एसडीएम सदर रामपुर की तरफ से मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी को एक नोटिस आया था. उस नोटिस के अंदर यह रिक्वेस्ट की गई थी. यह कहा गया है कि आप यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग को खाली कीजिए. दो बिल्डिंग को और इसको डिमोलिश करना है और उस नोटिस में यह भी कहा गया था कि 312 क्राइम नंबर पर जो मुकदमा दर्ज है. इसमें मोहम्मद आजम खान साहब को बेल मिली है.

उस बेल की कंडीशन की कंप्लायंस में हम ऐसा कर रहे हैं. यूनिवर्सिटी की ओर से ये कहना है कि हमारी कोई भी बिल्डिंग किसी भी शत्रु संपत्ति पर नहीं बनी हुई है और यह एक तरीके से मिस यूज ऑफ प्रोसेस ऑफ लॉ है. इसी बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इसके इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 312 के केस में जो कंडीशन लगाई है, उसको भी चैलेंज किया गया है. यह कल फाइल हुई थी. आज हॉनरेबल सुप्रीम कोर्ट के सामने सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने मेनशन किया था. कोर्ट ने इसकी अर्जेंसी को जानते हुए उसको लिस्ट करने का आदेश दिया है.

यहां यह बताना बहुत जरूरी है कि यह जो पिटीशन फाइल हुई है, इस बात की सूचना जिला प्रशासन को और एसडीएम सदर रामपुर को कल ही दे दी गई थी. इसके संबंध में उन्हें ई-मेल भी किया गया था. लेटर भी दिया गया था. उनसे रिक्वेस्ट की गई थी कि जब तक हॉनरेबल सुप्रीम कोर्ट से संबंध में कोई आदेश नहीं हो जाए तब तक आप डिमोलेशन नहीं करें.

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रामपुर : उच्च न्यायालय इलाहाबाद से भले ही शत्रु संपत्ति मामले में आजम खान को जमानत मिल गई हो लेकिन जमानत की कई शर्तें आजम खान को परेशान किए हुए हैं. इन शर्तों में माननीय न्यायालय ने जौहर यूनिवर्सिटी कैंपस में स्थित शत्रु संपत्ति को कब्जा मुक्त कराए जाने की भी शर्त थी. उच्च न्यायालय के इसी आदेश के पालन में जिला प्रशासन ने जौहर यूनिवर्सिटी कैंपस में पैमाइश कर शत्रु संपत्ति को पिलर और तारबाढ़ लगाकर कब्जा प्राप्त कर लिया. साथ ही जौहर यूनिवर्सिटी के दो भवनों को भी शत्रु संपत्ति पर निर्माण मानते हुए गिराए जाने का नोटिस जिला प्रशासन ने जौहर यूनिवर्सिटी को थमा दिया.

जोहर यूनिवर्सिटी कैंपस

अब इस नोटिस के बाद से ही आजम खान को लगातार बुलडोजर का खौफ सताए जा रहा है जिसके चलते आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट में भवन ना गिराए जाने की गुहार लगाई है. आजम खान के वकीलों का कहना है कि उनके द्वारा दायर की गई रिट सुनवाई के लिए लिस्ट कर दी गई है. ऐसे में अब इसकी सूचना जिला प्रशासन रामपुर को देते हुए उच्चतम न्यायालय के निर्णय आने तक भवन न गिराए जाने को कहा गया है.

इसे भी पढ़ेंः रामपुर में अंडरग्राउंड रहिएगा, एनकाउंटर हो सकता है: आज़म खान

आजम खान के वकील का क्या कहना : आजम खान के वकील जुबैर अहमद के मुताबिक देखिए जो जिला प्रशासन एसडीएम सदर रामपुर की तरफ से मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी को एक नोटिस आया था. उस नोटिस के अंदर यह रिक्वेस्ट की गई थी. यह कहा गया है कि आप यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग को खाली कीजिए. दो बिल्डिंग को और इसको डिमोलिश करना है और उस नोटिस में यह भी कहा गया था कि 312 क्राइम नंबर पर जो मुकदमा दर्ज है. इसमें मोहम्मद आजम खान साहब को बेल मिली है.

उस बेल की कंडीशन की कंप्लायंस में हम ऐसा कर रहे हैं. यूनिवर्सिटी की ओर से ये कहना है कि हमारी कोई भी बिल्डिंग किसी भी शत्रु संपत्ति पर नहीं बनी हुई है और यह एक तरीके से मिस यूज ऑफ प्रोसेस ऑफ लॉ है. इसी बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इसके इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 312 के केस में जो कंडीशन लगाई है, उसको भी चैलेंज किया गया है. यह कल फाइल हुई थी. आज हॉनरेबल सुप्रीम कोर्ट के सामने सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने मेनशन किया था. कोर्ट ने इसकी अर्जेंसी को जानते हुए उसको लिस्ट करने का आदेश दिया है.

यहां यह बताना बहुत जरूरी है कि यह जो पिटीशन फाइल हुई है, इस बात की सूचना जिला प्रशासन को और एसडीएम सदर रामपुर को कल ही दे दी गई थी. इसके संबंध में उन्हें ई-मेल भी किया गया था. लेटर भी दिया गया था. उनसे रिक्वेस्ट की गई थी कि जब तक हॉनरेबल सुप्रीम कोर्ट से संबंध में कोई आदेश नहीं हो जाए तब तक आप डिमोलेशन नहीं करें.

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