रायबरेली: 500 वर्ष लंबे इंतज़ार के बाद बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में रामजन्मभूमि परिसर में शिलापूजन के साथ मंदिर निर्माण का श्रीगणेश किया. देश-विदेश के असंख्य हिंदू भगवान की जन्मस्थली की इस अलौकिक छठा का गवाह बने. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के गढ़ रायबरेली में तमाम ऐसे लोग हैं जो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की वर्ष 1986 की पहल को भी बड़ा श्रेय देते हैं. कुछ ऐसे भी हैं, जिनका मानना है कि यदि राजीव गांधी की असामयिक मृत्यु न होती तो शायद यह अवसर कई वर्ष पहले ही आ जाता.
दरअसल वर्ष 1986 में फैज़ाबाद की अदालत के निर्णय के बाद तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा प्रभावी कदम उठाते हुए मंदिर परिसर का ताला खुलवाकर पूजा अर्चना की शुरुआत हुई थी. रायबरेली से जुड़े तमाम क्षेत्रों के जानकार भी मंदिर आंदोलन के तमाम घटनाक्रमों में इसको भी बेहद अहम करार देते हैं. कई लोगों का यह भी मानना है कि आडवाणी की रथ यात्रा से यह कदम कतई कमतर नहीं माना जा सकता. यही कारण है कि स्थानीय कांग्रेसी मंदिर निर्माण की दिशा में राजीव गांधी के प्रयासों को ऐतिहासिक करार देते हैं.
उनके द्वारा पूजा अर्चना के लिए खोले गए ताले को मंदिर के निर्माण में मील का पत्थर करार देते हैं. यही कारण है कि पांच अगस्त को दिवंगत राजीव गांधी के सपने को साकार करने वाला दिन मान रहे हैं. शहर के नामचीन फिरोज गांधी डिग्री कॉलेज के पूर्व प्राचार्य राम बहादुर वर्मा कहते हैं कि अयोध्या में राम जन्मभूमि से जुड़ी ऐतिहासिक तिथियां ज्यादातर कांग्रेस शासनकाल में ही हुई थीं. वर्ष 1948-49 में भगवान की मूर्ति प्रगटीकरण के दौरान भी कांग्रेस ही सत्ता में रही. बाद में दोनों पक्ष में जब विवाद बढ़ा तब परिसर में ताला बंद कर दिया गया. एक फरवरी 1986 को न्यायालय के आदेश के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बंद परिसर में ताला खुलवाने के साथ ही पूजा अर्चना की शुरुआत की थी.
कांग्रेस के स्थानीय संगठन से जुड़े पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय शंकर अग्निहोत्री ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की बदौलत वर्ष 1986 में अयोध्या में राम जन्मभूमि परिसर में पूजा अर्चना की शुरुआत हो सकी थी. लंबे अरसे के बाद वर्ष 1989 में शिलान्यास का भी कार्यक्रम संपन्न हुआ था. पार्टी हमेशा से इस मसले का शांतिपूर्वक निपटारे की बात करती रही है और राम मंदिर के प्रति भी समर्पित रही. सही मायनों में पांच अगस्त के कार्यक्रम से दिवंगत प्रधानमंत्री की आत्मा को भी सुखद अहसास हुआ होगा.
स्थानीय इतिहासकार डॉ. जीतेन्द्र सिंह कहते हैं कि रायबरेली और अमेठी से राजीव गांधी का खास जुड़ाव रहा है. देश की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने की उनके प्रबल इच्छा थी. यही कारण था कि उनके द्वारा उठाया गया यह कदम मंदिर निर्माण में बेहद कारगर रहा. राम लला के मंदिर निर्माण के पक्षधर भी वो रहे और उनके द्वारा उठाएं गए कदम को कमतर करके नही आंका जा सकता है.