रायबरेली: जिले के लालगंज में स्थापित आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना हमेशा से सुर्खियों में रहा है. कोरोना के शुरुआती दौर में जब एकाएक सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा की गई थी, उस समय फैक्ट्री तेजी से अपने निर्धारित लक्ष्य की तरफ बढ़ रही थी. लेकिन लॉकडाउन के कारण एमसीएफ टारगेट से चंद कदम पीछे रह गई. उसके बाद लॉकडाउन के कारण कुछ महीनों तक निर्माण प्रक्रिया ठप रहा. हालांकि मॉडर्न कोच फैक्ट्री के आला अधिकारी इन विषम परिस्थितियों में भी केवल अगस्त माह में 165 कोच के सफलतापूर्वक उत्पादन करने की बात कह रहे हैं. साथ ही 20 सिंतबर तक कुल 541 कोच बनाने का दावा भी रहे हैं.
एमसीएफ के महाप्रबंधक वीएम श्रीवास्तव की ओर से जारी की गयी विज्ञप्ति के अनुसार इस साल अगस्त माह में ही कुल 165 कोच का उत्पादन एमसीएफ द्वारा किया गया. इसके साथ ही 20 सिंतबर तक इस वित्तीय वर्ष में कुल 541 कोच बनाने में सफल रहने की बात भी कही गई है. हालांकि कोरोना महामारी के कठिन दौर के कारण वित्तीय वर्ष के लिए रेलवे बोर्ड द्वारा निर्धारित लक्ष्य में कटौती करते हुए इसे 1229 कर दिया गया हैै.
एमसीएफ का उत्पादन रिकॉर्ड
2019-20 - 1930 डिब्बे
2018-19 - 1425 डिब्बे
2017-18 - 711 डिब्बे
2016-17 576 डिब्बे
2015-16 - 285 डिब्बो
2014-15 - 140 डिब्बो
2013-14 - 130 डिब्बे
2012-13 - 70 डिब्बे
2011-12 - 18 डिब्बे
आईएसबी कर रहा एमसीएफ पर खोज
हैदराबाद के इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस द्वारा एमसीएफ से जुड़े विषय पर शोध किए जाने की बात भी सामने आई है. इसके जरिए यह पता लगाने का प्रयास किया जाएगा एमसीएफ की स्थापना के बाद से इस पूरे इलाके में क्या बदलाव आया है. इसके चारों तरफ के स्थलों व आसपास के स्थानों में निवास करने वाले लोगों पर इसकी स्थापना का क्या प्रभाव पड़ा है. रिसर्च में यह बात सामने आई है कि एमसीएफ की स्थापना से इस इलाके की रोड कनेक्टिविटी, रोजगार उपलब्धता, शिक्षा तथा स्वास्थ्य पर्याप्त रूप से बढ़ी है. इसके अतिरिक्त खेलकूद की सुविधाएं, पर्यावरण इत्यादि के क्षेत्र में भी अनुकूल प्रभाव पड़ा है.