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रायबरेली: सरकारी दावों की खुली पोल, कागजों पर चल रहा वन स्टॉप सेंटर - रायबरेली में वन स्टॉप सेंटर

यूपी के रायबरेली जिले में वन स्टॉप सेंटर के दावों की पोल खुल गई. यहां पीड़ित महिलाओं को सुरक्षा दिलाने के लिए बनाया गया वन स्टॉप सेंटर सिर्फ कागजों पर चल रहा है.

कागजों पर चल रहा वन स्टॉप सेंटर
कागजों पर चल रहा वन स्टॉप सेंटर.
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Published : Aug 16, 2020, 8:54 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

रायबरेली: देश की लोकसभा को सोनिया गांधी और स्मृति ईरानी सरीखे महिला सांसद प्रदान करने वाला जनपद रायबरेली खुद में आधी आबादी सी जुड़ी योजनाओं को साकार रूप देने में विफल साबित हो रहा है. जिस संसदीय क्षेत्र को भारत की पहली और एकमात्र महिला पीएम देने का गौरव हासिल है, उसी क्षेत्र में पीड़ित और शोषित महिलाओं को एक सुरक्षित ठिकाना नसीब होता नहीं दिख रहा है.

वन स्टॉप सेंटर की जमीनी हकीकत का रियलिटी चेक.

रायबरेली से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कई वर्षों से सांसद चुनकर आती हैं. वहीं इस बार खुद केंद्रीय महिला और बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी भी चुनकर लोकसभा पहुंची हैं. सांसद स्मृति ईरानी महिला अधिकारों की बात बहुत ही मुखरता के साथ रखने के लिए जानी जाती हैं. लेकिन ऐसे में उनके लोकसभा क्षेत्र से जुडे जिले में महिलाओं के लिए बनाए गए वन स्टॉप सेंटर की इस बदहाल व्यवस्था पर आखिर मंत्री जी का ध्यान कब जाएगा. भले ही मंत्रालय की वेबसाइट पर सूबे के सभी जनपदों में इन केंद्रों के संचालन का दावा किया जा रहा है, लेकिन खुद मंत्री के संसदीय क्षेत्र से जुड़े जनपद में इसका संचालन ठप होना काफी हद तक बड़ी लापरवाही की पोल खोलता नज़र आता है.

लॉकडाउन के पहले तक जिस आशा ज्योति केंद्र - '181 वीमेन हेल्पलाइन' के परिसर में वन स्टॉप सेंटर का कथित तौर पर संचालन करने का दावा किया जा रहा था, उस परिसर में भी अब ताला जड़ दिया गया है. यही कारण है कि अब इस ठिकाने में भी पीड़ित महिलाओं को फिलहाल आश्रय नहीं मिल सकेगा.

दरअसल, वन स्टॉप सेंटर बनाने का मकसद बेसहारा नारी को न केवल आश्रय देना था, बल्कि जरूरत पड़ने पर चिकित्सकीय और अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराई जानी थी. ईटीवी भारत के स्पॉट रियलिटी चेक में स्थानीय प्रशासनिक अमले की पोल खोलने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. सरकारी दस्तावेजों में जिस परिसर में वन स्टॉप सेंटर के संचालन का दावा वर्ष 2018-19 से किया जा रहा है. स्थानीय लोगों का दावा है कि वहां पर बीते 6 माह से तालाबंदी चल रही है. आशा ज्योति केंद्र के उक्त परिसर में तैनात सुगमकर्ताओं को भी लंबे अरसे से वेतन न मिलने के कारण उन्होंने केंद्र आना बंद कर दिया.

181 वीमेन हेल्पलाइन आशा ज्योति केंद्र के बगल परिसर में रह रहे श्रमिक पवन ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि महीनों से यह परिसर बंद पड़ा है. इसके स्टाफ से जुड़े लोग भी अब नहीं आते हैं. इस दौरान किसी बड़े अधिकारी के औचक निरक्षण भी न होने की वो तस्दीक करते हैं.

इस विषय पर जब रायबरेली के प्रशासनिक महकमें की मुखिया जिला अधिकारी शुभ्रा सक्सेना से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा. वहीं अपर जिलाधिकारी राम अभिलाष से बात की गई तो उनका कहना था कि वन स्टॉप सेंटर के खुद के भूखंड के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. पहले चयन किए गए भूखंड पर विवाद होने के कारण किसी अन्य स्थल को इसके लिए चयनित किया गया है. उम्मीद है कि जल्द ही इसका अधिग्रहण करके निर्माण कार्य शुरू किया जा सकेगा. खुद के परिसर में इसके संचालन के दौरान पांच बेड के अलावा किचन, बाथरूम समेत चिकित्सकों की सुविधा के साथ मुकम्मल सुरक्षा व्यवस्था देने के लिए पुलिस चौकी का भी प्रावधान किया जाएगा.

रायबरेली: देश की लोकसभा को सोनिया गांधी और स्मृति ईरानी सरीखे महिला सांसद प्रदान करने वाला जनपद रायबरेली खुद में आधी आबादी सी जुड़ी योजनाओं को साकार रूप देने में विफल साबित हो रहा है. जिस संसदीय क्षेत्र को भारत की पहली और एकमात्र महिला पीएम देने का गौरव हासिल है, उसी क्षेत्र में पीड़ित और शोषित महिलाओं को एक सुरक्षित ठिकाना नसीब होता नहीं दिख रहा है.

वन स्टॉप सेंटर की जमीनी हकीकत का रियलिटी चेक.

रायबरेली से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कई वर्षों से सांसद चुनकर आती हैं. वहीं इस बार खुद केंद्रीय महिला और बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी भी चुनकर लोकसभा पहुंची हैं. सांसद स्मृति ईरानी महिला अधिकारों की बात बहुत ही मुखरता के साथ रखने के लिए जानी जाती हैं. लेकिन ऐसे में उनके लोकसभा क्षेत्र से जुडे जिले में महिलाओं के लिए बनाए गए वन स्टॉप सेंटर की इस बदहाल व्यवस्था पर आखिर मंत्री जी का ध्यान कब जाएगा. भले ही मंत्रालय की वेबसाइट पर सूबे के सभी जनपदों में इन केंद्रों के संचालन का दावा किया जा रहा है, लेकिन खुद मंत्री के संसदीय क्षेत्र से जुड़े जनपद में इसका संचालन ठप होना काफी हद तक बड़ी लापरवाही की पोल खोलता नज़र आता है.

लॉकडाउन के पहले तक जिस आशा ज्योति केंद्र - '181 वीमेन हेल्पलाइन' के परिसर में वन स्टॉप सेंटर का कथित तौर पर संचालन करने का दावा किया जा रहा था, उस परिसर में भी अब ताला जड़ दिया गया है. यही कारण है कि अब इस ठिकाने में भी पीड़ित महिलाओं को फिलहाल आश्रय नहीं मिल सकेगा.

दरअसल, वन स्टॉप सेंटर बनाने का मकसद बेसहारा नारी को न केवल आश्रय देना था, बल्कि जरूरत पड़ने पर चिकित्सकीय और अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराई जानी थी. ईटीवी भारत के स्पॉट रियलिटी चेक में स्थानीय प्रशासनिक अमले की पोल खोलने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. सरकारी दस्तावेजों में जिस परिसर में वन स्टॉप सेंटर के संचालन का दावा वर्ष 2018-19 से किया जा रहा है. स्थानीय लोगों का दावा है कि वहां पर बीते 6 माह से तालाबंदी चल रही है. आशा ज्योति केंद्र के उक्त परिसर में तैनात सुगमकर्ताओं को भी लंबे अरसे से वेतन न मिलने के कारण उन्होंने केंद्र आना बंद कर दिया.

181 वीमेन हेल्पलाइन आशा ज्योति केंद्र के बगल परिसर में रह रहे श्रमिक पवन ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि महीनों से यह परिसर बंद पड़ा है. इसके स्टाफ से जुड़े लोग भी अब नहीं आते हैं. इस दौरान किसी बड़े अधिकारी के औचक निरक्षण भी न होने की वो तस्दीक करते हैं.

इस विषय पर जब रायबरेली के प्रशासनिक महकमें की मुखिया जिला अधिकारी शुभ्रा सक्सेना से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा. वहीं अपर जिलाधिकारी राम अभिलाष से बात की गई तो उनका कहना था कि वन स्टॉप सेंटर के खुद के भूखंड के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. पहले चयन किए गए भूखंड पर विवाद होने के कारण किसी अन्य स्थल को इसके लिए चयनित किया गया है. उम्मीद है कि जल्द ही इसका अधिग्रहण करके निर्माण कार्य शुरू किया जा सकेगा. खुद के परिसर में इसके संचालन के दौरान पांच बेड के अलावा किचन, बाथरूम समेत चिकित्सकों की सुविधा के साथ मुकम्मल सुरक्षा व्यवस्था देने के लिए पुलिस चौकी का भी प्रावधान किया जाएगा.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST
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