रायबरेली: योगी सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में रायबरेली और अमेठी के कई विधायक जगह बनाने में असफल साबित हुए. वैसे मंत्री बनने वाले संभावित विधायकों में सुबह तक सलोन से विधायक और पूर्व मंत्री दल बहादुर कोरी का नाम शुमार रहा पर जब शपथ लेने वाले विधायकों की फाइनल लिस्ट आई, तो उसमें उनका नाम शामिल नहीं था. विधायक से मंत्री बनने की हसरत पालने वाले रायबरेली और अमेठी में ऐसे कई भाजपा के एमएलए व एमएलसी रहे, जो तमाम जतन करने के बाद भी मंत्री पद पाने में असफल ही दिखाई दिए.
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स्मृति ईरानी की अमेठी जीत में निर्णायक भूमिका में रहे दल बहादुर
रायबरेली जनपद के सलोन विधानसभा से भाजपा विधायक दल बहादुर कोरी का नाम मंत्री पद की शपथ लेने वाले विधायकों की फाइनल लिस्ट से हटना अचरज भरा रहा. बीते लोकसभा चुनावों में स्मृति ईरानी द्वारा अमेठी में राहुल गांधी को करारी शिकस्त देने में विधायक दल बहादुर कोरी ने निर्णायक भूमिका अदा की थी. सलोन विधानसभा से लीड मार्जिन देकर पूरे संसदीय क्षेत्र में जीत की रुपरेखा तैयार की.
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एमएलसी दिनेश सिंह भी मंत्री पद की दौड़ में रहे शामिल
कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले जिले के एमएलसी व लोकसभा चुनावों में रायबरेली से भाजपा प्रत्याशी रहे दिनेश प्रताप सिंह भी इस मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री पद की आस में रहे पर उन्हें व उनके समर्थकों को भी निराशा ही हाथ लगी. लोकसभा चुनावों में सोनिया गांधी को उनके गढ़ में कड़ी टक्कर देकर दिनेश प्रताप सिंह ने अपनी जमीनी पकड़ का अहसास कराया था. साथ ही उनके छोटे भाई और हरचंदपुर से कांग्रेस विधायक राकेश प्रताप सिंह विरोधी खेमे में होने के बावजूद सरकार का खुलेआम समर्थन करते नजर आते है.
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तिलोई से विधायक राजा मयंकेश्वर शरण सिंह का मंत्री पद का सपना भी रहा अधूरा
कभी रायबरेली जनपद का हिस्सा रहा तिलोई और वर्तमान में अमेठी संसदीय क्षेत्र के तिलोई विधानसभा के भाजपा विधायक मयंकेश्वर शरण सिंह को भी मंत्रिमंडल विस्तार में उम्मीदें थी. पूर्व में भी कई दलों में विधायक बनने में कामयाब रहे 'राजा तिलोई' सक्रिय राजनीति में लंबा अरसा गुजारने के बाद भी मंत्री नहीं बन सके. कुछ यही कारण रहा कि इस बार उन्हें भगवा दल से आस थी कि उन्हें मंत्री बनने का अवसर देगी.
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