रायबरेली: योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य पर चल रहे करीब 33 वर्ष पुराने मामले में रायबरेली के एमपी एमएलए कोर्ट ने मुकदमा वापस लेने की अर्जी को मंजूरी दे दी है. मंगलवार को विशेष न्यायाधीश द्वारा जारी किए गए आदेश के तहत कोर्ट ने मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को क्लीन चिट देते हुए प्रकरण का पटाक्षेप कर दिया. साल 1987 के इस मुकदमे को शासन से स्वीकृति मिलने के बाद अभियोजन पक्ष ने न्यायालय के समक्ष प्रार्थना पत्र दाखिल करके दोषमुक्त करने के लिए अनुमति मांगी थी, जिस पर अंतिम आदेश मंगलवार को जारी हुआ.
33 साल से चल रहा था केस
घटना 30 जून 1987 की है. कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या पर आरोप था कि रायबरेली के डलमऊ कस्बे में सड़क जाम कर वह आंदोलन कर रहे थे. इसी बीच मौके पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुंची. स्वामी प्रसाद मौर्या और अन्य आरोपियों ने गाड़ी में मौजूद सरकारी कर्मचारी को वाहन से बेदखल करते हुए फायर बिग्रेड की गाड़ी पर कब्जा कर लिया. साथ ही उसमे तोड़फोड़ करते हुए नुकसान पहुंचाया. सरकारी कार्य में बाधा और कर्मचारी के साथ मारपीट और सरकारी संपत्ति का नुकसान पहुंचाने के मामले में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ.
यह था आरोप
लोक अभियोजक अधिवक्ता संदीप सिंह चौहान ने बताया कि "घटना के दिन 30 जून 1987 की सुबह करीब 9:45 पर गांव अमरा में आग लग जाने के कारण फायर सर्विस की टीम चौराहे पर पहुंची. इस बीच वाहन में ईंधन भराने के मकसद से जैसे ही आगे बढ़े सड़क जामकर आंदोलन कर रहे राजाराम भारती, रामसिंह और स्वामी प्रसाद मौर्य और उनके 20 अन्य साथी गाड़ी रोककर जानलेवा हमला कर दिया. मारपीट के अलावा फायर ब्रिगेड गाड़ी में तोड़फोड़ भी की गई. लंबे समय से प्रकरण लंबित था. इस दौरान आरोपी राम सिंह की मृत्यु हो गई और राजाराम भारती दोषमुक्त साबित हुए.
संदीप सिंह ने बताया कि "शासन से इस संबंध में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या के वाद वापसी का प्रस्ताव भेजा गया था. पहले भी मुकदमा वापसी का प्रार्थना पत्र दिया गया था. 20 नवंबर 2020 को भी अतिरिक्त आधार पर मुकदमा वापसी का प्रार्थना पत्र न्यायालय षष्ठम अपर सत्र न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट में दाखिल किया गया. न्यायालय द्वारा 04 फरवरी को मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या को दोष मुक्त किया जाना तय हुआ. मंगवार को न्यायालय ने अपना आदेश जारी कर दिया."