रायबरेली: जिले में माटी की घटती पौष्टिकता को लेकर सरकार देर से ही सही पर कदम उठा रही है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड के नतीजों में जनपद की माटी में जरूरी पोषक तत्वों की भारी कमी उजागर हुई थी. विशेषज्ञों ने इसको लेकर सरकारी तंत्र समेत किसानों को भी चेताया था.
सरकार ने भी इस दिशा में लोगों को जागरूक करने का मन बनाया है. किसानों के बीच जागरूकता कार्यक्रम के साथ ही कृषकों को आर्थिक सहायता देकर माटी की गुणवत्ता बढ़ाने की बात कही जा रही है. इसी क्रम में जिले में मॉडल विलेज के कांसेप्ट पर काम किया जा रहा है. जनपद के कुल 18 ब्लॉकों में से 18 गांवों को मॉडल विलेज के रूप में चुना गया है, जिसके सापेक्ष 18 गांव में से 5,054 मिट्टी के नमूनों पर कृषि विभाग मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी कर चुका है.
किसानों को दी जाएगी आर्थिक मदद
मृदा स्वास्थ्य परीक्षण प्रयोगशाला के प्रभारी डॉ. गोविंद सिंह ने बताया कि आर्गेनिक कार्बन और नाइट्रोजन के अलावा सल्फर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की भारी कमी मिट्टी के नमूनों की जांच में पाई गई थी. जनपद के करीब 500 से ज्यादा किसानों को इस योजना से लाभांवित होने की उम्मीद जताई जा रही है.
किसानों को किया जाएगा लाभांवित
जनपद में कुल 513 हेक्टेयर भूमि में इस कार्यक्रम के अंतर्गत किसानों को लाभान्वित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है. जनपद के कृषि विभाग ने 2500 रुपये प्रति हेक्टेयर की धनराशि किसानों को निर्गत किए जाने का निर्णय किया गया. कुल आवंटित धनराशि को दिए गए मद में खर्च करने का सुझाव भी मृदा स्वास्थ्य कार्ड के जरिए किसानों को दिया गया.
खाद व उर्वरक | 1,100 रुपये |
मृदा | 700 रुपये |
जैव उर्वरक | 200 रुपये |
सूक्ष्मपोषक तत्व | 500 रुपये |
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