ETV Bharat / state

रायबरेली का रिंग रोड प्रोजेक्ट 2014 के बाद से पड़ा है अधूरा - ring road project incomplete

कांग्रेस सरकार में पास हुआ रायबरेली का रिंग रोड प्रोजेक्ट अभी तक अधूरा पड़ा है. यह रिंग रोड लोगों को भारी ट्रैफिक से निजात दिलाने के मकसद से शुरू किया गया था, लेकिन अभी तक प्रोजेक्ट का पहला फेज भी पूरा नहीं हुआ.

2014 से रुका है रिंग रोड प्रोजेक्ट का काम.
author img

By

Published : Jun 28, 2019, 11:29 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

रायबरेली: यूपीए शासनकाल में स्थानीय सांसद सोनिया गांधी द्वारा वर्ष 2013 में जिले को रिंग रोड प्रोजेक्ट की सौगात दी गई थी. क्षेत्र के लोगों को महानगरों के बीच चलने वाले भारी ट्रैफिक से निजात दिलाने के मकसद से इस प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी गई थी. मार्च 2014 में ही इस प्रोजेक्ट के फर्स्ट फेज में काम शुरु हो गया था. दो साल के अंदर इसको पूरा करने का दावा किया जा रहा था. 2016 से 2019 आ गया लेकिन रिंग रोड प्रोजेक्ट का पहला फेज भी अभी तक पूरा नहीं हो सका है.

2014 से रुका है रिंग रोड प्रोजेक्ट का काम.

रिंग रोड प्रोजेक्ट पड़ा है अधूरी हालत में-

  • केंद्र सरकार के सड़क परिवाहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को रिंग रोड प्रोजेक्ट को पूरा कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
  • शुरुआत में राजधानी लखनऊ की कंपनी जेकेएम को इसका ठेका दिया गया था.
  • मजदूरों से जुड़ी समस्या तो कभी रंगदारी से जुड़े मुद्दे को लेकर यह प्रोजेक्ट अधूरा रह गया.
  • दूसरी कंपनी एपीएस को इसे पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई.
  • प्रोजेक्ट को अंतिम रूप देने में वह भी कामयाब नहीं हो सकी.

अधूरे पड़े रिंग रोड प्रोजेक्ट के बारे में एडीएम राम अभिलाष ने बताया कि एक बार पुनः नोडल विभाग द्वारा इसके संबंध में टेंडरिंग की प्रक्रिया शुरु की जा चुकी है. जल्द ही किसी अन्य कंपनी द्वारा प्रोजेक्ट को पूरा कराया जाएगा. पूर्व के वेंडर्स द्वारा काम अधूरा छोड़ने पर दोनों ही कंपनियों को 'ब्लैकलिस्ट' के दायरे में रखा जाएगा.

स्थानीय प्रशासन का पूरा जोर इस प्रोजेक्ट पर है और इसे जल्द से जल्द पूरा करने में लगा है. स्थानीय स्तर पर प्रोजेक्ट को पूरा करने में कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी.
-राम अभिलाष, एडीएम

रायबरेली: यूपीए शासनकाल में स्थानीय सांसद सोनिया गांधी द्वारा वर्ष 2013 में जिले को रिंग रोड प्रोजेक्ट की सौगात दी गई थी. क्षेत्र के लोगों को महानगरों के बीच चलने वाले भारी ट्रैफिक से निजात दिलाने के मकसद से इस प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी गई थी. मार्च 2014 में ही इस प्रोजेक्ट के फर्स्ट फेज में काम शुरु हो गया था. दो साल के अंदर इसको पूरा करने का दावा किया जा रहा था. 2016 से 2019 आ गया लेकिन रिंग रोड प्रोजेक्ट का पहला फेज भी अभी तक पूरा नहीं हो सका है.

2014 से रुका है रिंग रोड प्रोजेक्ट का काम.

रिंग रोड प्रोजेक्ट पड़ा है अधूरी हालत में-

  • केंद्र सरकार के सड़क परिवाहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को रिंग रोड प्रोजेक्ट को पूरा कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
  • शुरुआत में राजधानी लखनऊ की कंपनी जेकेएम को इसका ठेका दिया गया था.
  • मजदूरों से जुड़ी समस्या तो कभी रंगदारी से जुड़े मुद्दे को लेकर यह प्रोजेक्ट अधूरा रह गया.
  • दूसरी कंपनी एपीएस को इसे पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई.
  • प्रोजेक्ट को अंतिम रूप देने में वह भी कामयाब नहीं हो सकी.

अधूरे पड़े रिंग रोड प्रोजेक्ट के बारे में एडीएम राम अभिलाष ने बताया कि एक बार पुनः नोडल विभाग द्वारा इसके संबंध में टेंडरिंग की प्रक्रिया शुरु की जा चुकी है. जल्द ही किसी अन्य कंपनी द्वारा प्रोजेक्ट को पूरा कराया जाएगा. पूर्व के वेंडर्स द्वारा काम अधूरा छोड़ने पर दोनों ही कंपनियों को 'ब्लैकलिस्ट' के दायरे में रखा जाएगा.

स्थानीय प्रशासन का पूरा जोर इस प्रोजेक्ट पर है और इसे जल्द से जल्द पूरा करने में लगा है. स्थानीय स्तर पर प्रोजेक्ट को पूरा करने में कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी.
-राम अभिलाष, एडीएम

Intro:रायबरेली:सोनिया के ड्रीम प्रोजेक्ट में लगा ग्रहण,05 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी नही हो सका पूरा

28 जून 2019 - रायबरेली

यूपीए शासनकाल में स्थानीय सांसद सोनिया गांधी द्वारा वर्ष 2013 में रायबरेली को रिंग रोड प्रोजेक्ट की सौगात दी गई थी। अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों को महानगरों के बीच चलने वाले भारी वाहनों के ट्रैफिक से निजात दिलाने के मकसद से इस प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी गई।मार्च 2014 में ही इस प्रोजेक्ट के फर्स्ट फेज में काम शुरु हो गया था,दो साल के अंदर इसको पूरा करने का दावा किया जा रहा था पर 2016 से 2019 आ गया,रिंग रोड प्रोजेक्ट का पहला फेज भी अभी तक अधूरा ही पड़ा है।

दरअसल केंद्र सरकार के सड़क परिवाहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को इस प्रोजेक्ट को पूरा कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।शुरुआत में राजधानी लखनऊ के कंपनी 'जेकेएम' को इसका ठेका दिया गया था,पर कभी मजदूरों से जुड़ी समस्या, कभी रंगदारी से जुड़े मुद्दे को लेकर अक्सर विवाद की खबरें आती रही और काम पूरा न हो सका उसके बाद दूसरी कंपनी एपीएस को इसे पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई पर प्रोजेक्ट को अंजाम पर लाने में वो भी कामयाब नही हो सकी अब दोनों को 'ब्लैकलिस्ट' करने की बात चल रही है हालांकि एक बार फिर इसको पूरा करने के लिए अन्य किसी कंपनी की तलाश की जा रही है।








Body:अधूरे पड़े रिंग रोड प्रोजेक्ट के बारे में जब स्थानीय प्रशासन के राम अभिलाष से ETV ने बातचीत की तो उनका कहना था कि एक बार पुनः नोडल विभाग द्वारा इसके संबंध में टेंडरिंग की प्रक्रिया शुरु की जा चुकी है जल्द ही किसी अन्य कंपनी द्वारा प्रोजेक्ट को पूरा कराया जाएगा।पूर्व के वेंडर्स द्वारा काम अधूरा छोड़ने पर दोनों ही कंपनियों को 'ब्लैकलिस्ट' के दायरे में लाने की
बात भी कही।साथ ही एडीएम राम अभिलाष ने दावा किया कि स्थानीय प्रशासन पूरा जोर इस प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द पूरा करने में लगा रहा है।हालांकि इस संबंध में संबंधित विभाग द्वारा कोई कम्युनिकेशन के सवाल पर उन्होंने कहा कि फिलहाल इस बाबत कोई बात नही हुई है पर स्थानीय स्तर पर प्रोजेक्ट को पूरा करने में कोई दिक्कत नही आने दी जाएगी।











Conclusion:करोड़ों खर्च करने के बावजूद यातायात की दृष्टि से बेहद अहम इस प्रोजेक्ट को साकार रुप देने के लिए कई दावे भले ही किए जा रहे हो पर तय समय के सालों बीत जाने के बावजूद इस प्रोजेक्ट को पूरा न हो पाना सिस्टम की फेलियर दर्शाता है।


विज़ुअल : संबंधित विज़ुअल व पीटीसी

बाइट : राम अभिलाष - एडीएम प्रशासन

प्रणव कुमार - 7000024034
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.