रायबरेली: जिले में करेले की खेती करने वाले किसानों पर भी लॉकडाउन की मार पड़ी है. बाजार में करेले की कम कीमत मिलने से किसान आहत हैं. लाखों रुपये की लागत के बाद करेला बाजार में पहुंचता है तो उसकी कीमत उम्मीद से भी कई गुना कम निकलती है. खुद की सुनवाई न होते देख विचलित किसान अपने निर्णय पर भी दोष देते नजर आ रहे हैं.
जनपद में जहां पर किसानों की समस्याएं लॉकडाउन खत्म होने के बावजूद कम होने का नाम नहीं ले रही हैं तो लंबे इंतजार के बाद जब उपज मंडी पहुंचती है तो उसकी कीमत उन्हें न के बराबर ही मिलती है. ऐसे में उपज को बर्बाद होते देख किसान सरकार से कर्ज माफी की गुहार लगाने को मजबूर हैं.
ईटीवी भारत ने रायबरेली के देदौर ग्राम सभा में करेले की खेती करने वाले किसान अभिषेक से उनकी समस्याओं के विषय पर बातचीत की. करीब 10 बीघे के खेत में करेले का उत्पादन करने वाले कृषक अभिषेक कहते हैं कि बीते कई सालों से सब्जियों में करेले का उत्पादन कर रहा हूं. फसल तैयार करके बाजार ले जाने पर अच्छे दामों में करेला बिक भी जाया करता है, लेकिन इस बार कोरोना के कारण लॉकडाउन रहा. ऐसे में मंडी तक करेला लेकर जाना बेहद कठिन था. फिर जैसे-तैसे मंडी पहुंचाने पर उसकी कीमत ही नहीं मिल रही है. बैंक से लोन लेकर फसल तैयार की है. प्रति बीघे करीब 35 हजार की लागत आई है. अब बाजार में करेले की कीमत 10 रुपये पसेरी तक गिर चुकी है.
किसान अभिषेक ने बताया कि 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि' योजना के तहत बीते वर्ष खाते में किस्तें आईं थी, लेकिन इस बार जब बड़ा संकट आया है तब योजना से कोई लाभ नहीं मिला. किसान का कहना है कि सरकार को कर्ज माफी का एलान करना चाहिए. तब जाकर कुछ राहत मिलेगी.