रायबरेली: देसी गाय के गोमूत्र से सरसों और गेहूं की फसल तैयार करने का प्रयोग रायबरेली के सतांव ब्लॉक में चल रहा है. सतांव ब्लॉक के नकफूलहा में किसान राजकुमार ने यह कर दिखाया है. करीब 35 सालों से खेती कर रहे राजकुमार ने इस बार रासायनिक खाद से पूरी तरह दूरी बना ली है. वह सिर्फ गौमूत्र और गोबर के जरिए खेती कर रहे हैं. उनके खेतों में फसलें भी खूब लहलहा रही है. यही कारण है कि जिले के कई किसान उन्हीं के पदचिह्नों पर चल रहे हैं.
गोमूत्र से लिखी सफलता की कहानी
सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, लेकिन अभी भी रासायनिक खादों से किसानों का मोहभंग नहीं हो रहा है. बावजूद इसके कुछ ऐसे भी किसान हैं, जो अपने प्रयासों से सभी के लिए मिसाल बन जाते हैं. सालों से खेती कर रहे राजकुमार ने बताया कि इस बार उन्होंने गौमूत्र से खेती की है. इस दौरान कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ा था, लेकिन राह की समस्याओं को उन्होंने कभी आड़े नहीं आने दिया.
![जैविक खेती से की सरसो की खेती.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-rae-01-cultivation-using-cow-urine-pkg-up10117_16022021151236_1602f_1613468556_786.jpg)
वैज्ञानिक विधा से करते है गोमूत्र का संचयन
किसान राजकुमार अलग-अलग करीब 9 बीघे जमीन के दो भूखंडों में गेहूं और सरसों समेत कुछ मौसमी सब्जियों की खेती करते हैं. राजकुमार कहते हैं कि सबसे पहले उन्होंने गौमूत्र के संचयन की व्यवस्था की. उनकी गोशाला में छह देसी गायों समेत करीब 12 गोवंश मौजूद हैं. गोशाला में गोमूत्र को एकत्रित करने के लिए एक गड्ढा बनाया. गड्ढा भर जाने पर गोमूत्र को छानकर एक ड्रम में भरते हैं. इसके बाद इनका छिड़काव खेतों में होता है. इसके अलावा गोबर का प्रयोग खाद के रूप में किया जाता है.
![गोबर और गोमूत्र का करते हैं उपयोग.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-rae-01-cultivation-using-cow-urine-pkg-up10117_16022021151236_1602f_1613468556_227.jpg)
हर मायने में होता है फायदा
राजकुमार कहते हैं कि गोमूत्र और गाय के गोबर से खेती करने के तमाम फायदे हैं. पहले तो महंगी रासायनिक खाद के खर्चे की बचत होती है. इस बचत के अलावा पैदावार भी बेहतरीन होती है. एक बचत जो अप्रत्यक्ष है, वह रासायनिक खाद के प्रयोग के बाद से होने वाली बीमारियों के इलाज की बचत होती है. कुल मिलाकर हर मायने यह फायदे वाली खेती है.
कठिनाइयों से भरा रहा सफर
राजकुमार कहते हैं कि जब उन्होंने गोमूत्र से प्राकृतिक खेती करने का सोचा तो सब कुछ सहज नहीं था. तमाम ऐसे भी लोग रहे, जो इस पहल पर सवाल खड़े करते थे. लोगों ने तंज कसना शुरू कर दिया था. कुछ लोगों ने उनका नामकरण ही इस पर रख दिया था, लेकिन वह कभी विचलित नहीं हुए. उन्होंने जो ठाना, वह करके दिखाया.
आवारा गोवंश की समस्या से मिला निजात
राजकुमार के अनुसार, उनके क्षेत्र में आवारा गोवंश के कारण फसलों को भारी नुकसान होता था. कई किसानों की फसलें आवारा गोवंश तहस-नहस कर देते थे, लेकिन अब उन्हें इस समस्या से निजात मिल चुकी है. गोमूत्र के प्रयोग से आवारा गोवंश समेत अन्य छुट्टा जानवर व निल गायों का भी खेत में आना बंद हो गया है. गोमूत्र की गंध के कारण वह सभी दूर से ही निकल जाते हैं.