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उन्नाव दुष्कर्म मामलाः ETV भारत से वकील ने बयां की पीड़िता की दर्द भरी संघर्ष की कहानी - रायबरेली पुलिस

दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में शुक्रवार देर रात उन्नाव गैंगरेप पीड़िता की मौत हो गई. इसके बाद पूरे देश में आक्रोश का माहौल है. इस मामले पर ईटीवी भारत ने पीड़िता के वकील महेश सिंह राठौर से खास बातचीत की. उन्होंने न्याय के लिए दर-दर भटकी पीड़िता की संघर्ष की कहानी बयां की, वहीं पुलिस की हर पल बरती गई लापरवाही की परत-दर-परत खोलकर रख दी.

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उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के वकील ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत.
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Published : Dec 8, 2019, 4:17 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST

रायबरेली: हैदराबाद दुष्कर्म मामले के बाद उन्नाव में दुष्कर्म पीड़िता के साथ हुई वारदात ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. इस पूरे मामले का रायबरेली से अहम जुड़ाव है. उन्नाव रेप पीड़िता ने रायबरेली के दीवानी न्यायालय में वाद दायर किया था. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने पीड़िता पक्ष से अधिवक्ता रहे महेश सिंह राठौर से खास बातचीत की.

उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के वकील ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत.

जानिए पीड़िता के वकील ने क्या कहा

पीड़िता के साथ गैंगरेप की घटना रायबरेली के लालगंज थाना क्षेत्र में हुई. यही कारण रहा कि पीड़िता सबसे पहले जनपद के लालगंज थाने में ही शिकायत दर्ज कराने पहुंची थी. लेकिन वहां पीड़िता की शिकायत पुलिस ने दर्ज नहीं की. पीड़िता अपनी प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए जिला और पुलिस प्रशासन के सभी अधिकारियों के चौखट पर पहुंची. यहां कहीं सुनवाई नहीं हुई. उसने हार नहीं मानी और दुष्कर्मियों को सजा दिलाने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. इस मसले पर 21 दिसंबर को एसपी रायबरेली को रजिस्ट्री प्रेषित की गई. इसके बाद भी आरोपियों पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई. पीड़िता पक्ष की ओर से रायबरेली न्यायालय में 22 दिसंबर को अधिवक्ता के माध्यम से 156 - 3 का वाद दायर किया गया. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 10 जनवरी 2019 को पुलिस को तत्काल एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी किया. न्यायालय के आदेश के करीब 2 महीने बाद 05 मार्च 2019 को रायबरेली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की.

पढ़ें: रेप पीड़िता का पार्थिव शरीर पहुंचा उन्नाव, गांव में भारी पुलिस फोर्स मौजूद

कोर्ट आदेश के 2 महीने बाद पुलिस ने दर्ज की FIR
वकील महेश कुमार सिंह बताते हैं कि 10 जनवरी 2019 को ही पीड़िता की एफआईआर दर्ज करने का आदेश न्यायालय ने जारी किया गया था. इसके बावजूद रायबरेली पुलिस ने एफआईआर दर्ज नही की. 26 फरवरी 2019 को रायबरेली पुलिस के विरुद्ध न्यायालय के आदेश की अवहेलना का वाद दाखिल किया गया और उसकी नोटिस पुलिस को पहुंची. तब कहीं जनपद के लालगंज थाने में पीड़िता की एफआईआर दर्ज हो सकी. पूरे मामले को देखने से यही प्रतीत होता है कि जब कोर्ट के आदेश को लागू करने में पुलिस ने हीलाहवाली बरती. तब खुद से पीड़िता की सुनवाई हो पाना कैसे संभव था? यही सब कारण रहे कि अभियुक्तों के मंसूबे बढ़े हुए थे और जैसे ही उन्हें उच्च न्यायालय से जमानत मिली. आरोपियों ने घटना को अंजाम दे दिया गया.

पीड़िता व उसके परिवार को मिल रही थी जान से मारने की धमकी
वकील महेश सिंह राठौर ने बताया कि आरोपियों द्वारा पीड़िता को लगातार जान से मारने की धमकी दी जा रही थी. कुछ यही कारण रहा कि पीड़िता द्वारा इस संबंध में हर स्तर पर शिकायत पत्र दिया गया था, उसे अंदेशा था कि उसे और परिवार के सदस्यों के साथ अभियुक्तों द्वारा कभी भी किसी बड़ी घटना को अंजाम दिया जा सकता है. उसे और उसके परिजनों को किसी फर्जी मुकदमे में फंसाया भी जा सकता है. न्यायालय को भी इस संबंध में अवगत कराया गया था. इस पूरे प्रकरण में समय पर कार्रवाई होती, तो घटना को रोका जा सकता था.

रायबरेली: हैदराबाद दुष्कर्म मामले के बाद उन्नाव में दुष्कर्म पीड़िता के साथ हुई वारदात ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. इस पूरे मामले का रायबरेली से अहम जुड़ाव है. उन्नाव रेप पीड़िता ने रायबरेली के दीवानी न्यायालय में वाद दायर किया था. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने पीड़िता पक्ष से अधिवक्ता रहे महेश सिंह राठौर से खास बातचीत की.

उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के वकील ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत.

जानिए पीड़िता के वकील ने क्या कहा

पीड़िता के साथ गैंगरेप की घटना रायबरेली के लालगंज थाना क्षेत्र में हुई. यही कारण रहा कि पीड़िता सबसे पहले जनपद के लालगंज थाने में ही शिकायत दर्ज कराने पहुंची थी. लेकिन वहां पीड़िता की शिकायत पुलिस ने दर्ज नहीं की. पीड़िता अपनी प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए जिला और पुलिस प्रशासन के सभी अधिकारियों के चौखट पर पहुंची. यहां कहीं सुनवाई नहीं हुई. उसने हार नहीं मानी और दुष्कर्मियों को सजा दिलाने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. इस मसले पर 21 दिसंबर को एसपी रायबरेली को रजिस्ट्री प्रेषित की गई. इसके बाद भी आरोपियों पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई. पीड़िता पक्ष की ओर से रायबरेली न्यायालय में 22 दिसंबर को अधिवक्ता के माध्यम से 156 - 3 का वाद दायर किया गया. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 10 जनवरी 2019 को पुलिस को तत्काल एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी किया. न्यायालय के आदेश के करीब 2 महीने बाद 05 मार्च 2019 को रायबरेली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की.

पढ़ें: रेप पीड़िता का पार्थिव शरीर पहुंचा उन्नाव, गांव में भारी पुलिस फोर्स मौजूद

कोर्ट आदेश के 2 महीने बाद पुलिस ने दर्ज की FIR
वकील महेश कुमार सिंह बताते हैं कि 10 जनवरी 2019 को ही पीड़िता की एफआईआर दर्ज करने का आदेश न्यायालय ने जारी किया गया था. इसके बावजूद रायबरेली पुलिस ने एफआईआर दर्ज नही की. 26 फरवरी 2019 को रायबरेली पुलिस के विरुद्ध न्यायालय के आदेश की अवहेलना का वाद दाखिल किया गया और उसकी नोटिस पुलिस को पहुंची. तब कहीं जनपद के लालगंज थाने में पीड़िता की एफआईआर दर्ज हो सकी. पूरे मामले को देखने से यही प्रतीत होता है कि जब कोर्ट के आदेश को लागू करने में पुलिस ने हीलाहवाली बरती. तब खुद से पीड़िता की सुनवाई हो पाना कैसे संभव था? यही सब कारण रहे कि अभियुक्तों के मंसूबे बढ़े हुए थे और जैसे ही उन्हें उच्च न्यायालय से जमानत मिली. आरोपियों ने घटना को अंजाम दे दिया गया.

पीड़िता व उसके परिवार को मिल रही थी जान से मारने की धमकी
वकील महेश सिंह राठौर ने बताया कि आरोपियों द्वारा पीड़िता को लगातार जान से मारने की धमकी दी जा रही थी. कुछ यही कारण रहा कि पीड़िता द्वारा इस संबंध में हर स्तर पर शिकायत पत्र दिया गया था, उसे अंदेशा था कि उसे और परिवार के सदस्यों के साथ अभियुक्तों द्वारा कभी भी किसी बड़ी घटना को अंजाम दिया जा सकता है. उसे और उसके परिजनों को किसी फर्जी मुकदमे में फंसाया भी जा सकता है. न्यायालय को भी इस संबंध में अवगत कराया गया था. इस पूरे प्रकरण में समय पर कार्रवाई होती, तो घटना को रोका जा सकता था.

Intro:रायबरेली एक्सक्लूसिव:ETV भारत से बोले उन्नाव रेप पीड़िता के वकील,मामलें में पुलिस ने बरती है लापरवाही,पीड़िता को लगातार मिल रही थी धमकियां

07 दिसंबर 2019 - रायबरेली

हैदराबाद रेप कांड के बाद उन्नाव में रेप पीड़िता के साथ हुई वारदात ने पूरे देश को हिला कर रख दिया।इस पूरे मामलें का रायबरेली भी जुड़ाव रहा है।उन्नाव रेप पीड़िता द्वारा इस मामलें में रायबरेली के दीवानी न्यायालय में वाद दायर किया गया।पीड़िता के पक्ष से बतौर अधिवक्ता रहे महेश सिंह राठौर ने पूरे मामले से जुड़े तमाम राज का खुलासा करते हुए पुलिस द्वारा घोर लापरवाही बरते जाने की बात कही है।

ETV भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्नाव रेप पीड़िता के अधिवक्ता महेश सिंह राठौर ने बताया कि रेप पीड़िता की शिकायत पर पुलिस द्वारा एक्शन नही लेने के बाद ही पीड़िता को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी थी।पूरे मामलें में पुलिस व प्रशासन द्वारा ढुलमुल रवैया अपनाएं जाने का नतीजा रहा कि आरोपियों के मनसूबे इस कदर बढ़ गए थे कि उनके द्वारा गुरुवार को झकझोरने वाली घटना को अंजाम दिया।

वकील महेश सिंह राठौर कहते है कि न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही पीड़िता की शिकायत पर लालगंज थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी और तब कही जाकर रेप के मुख्य अभियुक्त ने कोर्ट में सरेंडर किया था बावजूद इसके सहअभियुक्त घटना के पहले तक फरार ही रहा था।




Body:ईटीवी भारत संवाददाता से एक्सक्लूसिव बातचीत में रेप पीड़िता के वकील महेश सिंह राठौर ने बताया कि 12 दिसंबर 2018 को
पीड़िता के साथ गैंगरेप की घटना रायबरेली के लालगंज थाना क्षेत्र में हुई थी यही कारण रहा कि पीड़िता सबसे पहले जनपद के लालगंज थाने में ही शिकायत दर्ज कराने पहुंची थी पर पीड़िता की शिकायत पुलिस द्वारा नही दर्ज की गई।अपनी प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए पीड़िता पुलिस व प्रशासन के लगभग सभी चौखटों पर पहुंची पर उसे निराशा ही हाथ लगी।थक हार कर पीड़िता ने कोर्ट का रुख किया।21 दिसंबर को एसपी रायबरेली को रजिस्ट्री प्रेषित की गई पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई।रायबरेली न्यायालय में 22 दिसंबर को अधिवक्ता के माध्यम से 156 - 3 का वाद दायर किया गया।इसके बाद ही 10 जनवरी 2019 को ही कोर्ट द्वारा पुलिस को तत्काल एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी हुए थे।न्यायालय के आदेश के करीब 2 महीने बाद 05 मार्च 2019 को रायबरेली पुलिस द्वारा
एफआईआर दर्ज की गई।



कोर्ट द्वारा आदेश जारी करने के लगभग 2 महीने बाद पुलिस द्वारा दर्ज की गई थी एफआईआर -

वकील महेश कुमार सिंह बताते है कि 10 जनवरी 2019 को ही पीड़िता की एफआईआर दर्ज करने का आदेश न्यायालय द्वारा जारी किया गया था पर इसके बावजूद रायबरेली पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज नही की गई।26 फरवरी 2019 को रायबरेली पुलिस के विरुद्ध न्यायालय के आदेश की अवहेलना का वाद दाखिल किया गया और जब उसकी नोटिस पुलिस को पहुंची तब कही जाकर जनपद के लालगंज थाने में पीड़िता की एफआईआर दर्ज हो सकी।पूरे मामले को देखने से यही प्रतीत होता है कि जब कोर्ट के आदेश को लागू करने में पुलिस द्वारा हीलाहवाली बरती जा रही थी तब खुद से पीड़िता की सुनवाई हो पाना कैसे संभव था।यही सब कारण रहे कि अभियुक्तों के मंसूबे बढ़े हुए थे और जैसे ही उन्हें उच्च न्यायालय से जमानत मिली उनके द्वारा घटना को अंजाम दिया गया।

पीड़िता व उसके परिवार को लगातार मिल रही थी जान से मारने की धमकी -

रायबरेली के दीवानी न्यायालय परिसर के वकील महेश सिंह राठौर ने बताया कि आरोपियों के द्वारा पीड़िता को लगातार जान से मारने की धमकी दी जा रही थी और कुछ यही कारण रहा कि पीड़िता द्वारा इस संबंध में हर स्तर पर शिकायत पत्र दिया गया था।उसे अंदेशा था कि उसके व परिवार से सदस्यों के साथ अभियुक्तों द्वारा कभी भी किसी बड़ी घटना को अंजाम दिया जा सकता है साथ ही उसे व उसके परिवार वालों को किसी फर्जी मुकदमे में फसाया भी जा सकता है। न्यायालय को भी इस संबंध में अवगत कराया गया था।पीड़िता के वकील के अनुसार हाई कोर्ट से बेल मिलने के बाद से अभियुक्त पीड़िता के घर के आस पास मंडराते हुए देखा जा रहा था और यही कारण रहा कि पीड़िता ने कोर्ट में एक बार पुनः एप्लीकेशन देने के लिए रायबरेली आने वाली थी।


Conclusion:बाइट : महेश सिंह राठौर - एडवोकेट - उन्नाव रेप पीड़िता

प्रणव कुमार - 7000024034
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:18 PM IST
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