रायबरेली: हैदराबाद दुष्कर्म मामले के बाद उन्नाव में दुष्कर्म पीड़िता के साथ हुई वारदात ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. इस पूरे मामले का रायबरेली से अहम जुड़ाव है. उन्नाव रेप पीड़िता ने रायबरेली के दीवानी न्यायालय में वाद दायर किया था. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने पीड़िता पक्ष से अधिवक्ता रहे महेश सिंह राठौर से खास बातचीत की.
जानिए पीड़िता के वकील ने क्या कहा
पीड़िता के साथ गैंगरेप की घटना रायबरेली के लालगंज थाना क्षेत्र में हुई. यही कारण रहा कि पीड़िता सबसे पहले जनपद के लालगंज थाने में ही शिकायत दर्ज कराने पहुंची थी. लेकिन वहां पीड़िता की शिकायत पुलिस ने दर्ज नहीं की. पीड़िता अपनी प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए जिला और पुलिस प्रशासन के सभी अधिकारियों के चौखट पर पहुंची. यहां कहीं सुनवाई नहीं हुई. उसने हार नहीं मानी और दुष्कर्मियों को सजा दिलाने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. इस मसले पर 21 दिसंबर को एसपी रायबरेली को रजिस्ट्री प्रेषित की गई. इसके बाद भी आरोपियों पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई. पीड़िता पक्ष की ओर से रायबरेली न्यायालय में 22 दिसंबर को अधिवक्ता के माध्यम से 156 - 3 का वाद दायर किया गया. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 10 जनवरी 2019 को पुलिस को तत्काल एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी किया. न्यायालय के आदेश के करीब 2 महीने बाद 05 मार्च 2019 को रायबरेली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की.
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कोर्ट आदेश के 2 महीने बाद पुलिस ने दर्ज की FIR
वकील महेश कुमार सिंह बताते हैं कि 10 जनवरी 2019 को ही पीड़िता की एफआईआर दर्ज करने का आदेश न्यायालय ने जारी किया गया था. इसके बावजूद रायबरेली पुलिस ने एफआईआर दर्ज नही की. 26 फरवरी 2019 को रायबरेली पुलिस के विरुद्ध न्यायालय के आदेश की अवहेलना का वाद दाखिल किया गया और उसकी नोटिस पुलिस को पहुंची. तब कहीं जनपद के लालगंज थाने में पीड़िता की एफआईआर दर्ज हो सकी. पूरे मामले को देखने से यही प्रतीत होता है कि जब कोर्ट के आदेश को लागू करने में पुलिस ने हीलाहवाली बरती. तब खुद से पीड़िता की सुनवाई हो पाना कैसे संभव था? यही सब कारण रहे कि अभियुक्तों के मंसूबे बढ़े हुए थे और जैसे ही उन्हें उच्च न्यायालय से जमानत मिली. आरोपियों ने घटना को अंजाम दे दिया गया.
पीड़िता व उसके परिवार को मिल रही थी जान से मारने की धमकी
वकील महेश सिंह राठौर ने बताया कि आरोपियों द्वारा पीड़िता को लगातार जान से मारने की धमकी दी जा रही थी. कुछ यही कारण रहा कि पीड़िता द्वारा इस संबंध में हर स्तर पर शिकायत पत्र दिया गया था, उसे अंदेशा था कि उसे और परिवार के सदस्यों के साथ अभियुक्तों द्वारा कभी भी किसी बड़ी घटना को अंजाम दिया जा सकता है. उसे और उसके परिजनों को किसी फर्जी मुकदमे में फंसाया भी जा सकता है. न्यायालय को भी इस संबंध में अवगत कराया गया था. इस पूरे प्रकरण में समय पर कार्रवाई होती, तो घटना को रोका जा सकता था.