रायबरेली: एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की विधान परिषद सदस्यता पर 27 जुलाई को सभापति रमेश यादव फैसला सुनाएंगे. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ की ओर से 14 जुलाई को सुनवाई के दौरान विधान परिषद सभापति के अधिवक्ता की ओर से न्यायालय को इस बाबत अवगत कराया गया. कांग्रेस का दावा है कि लंबे अरसे से एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की विधान परिषद सदस्यता रद्द करने संबंधी याचिका सभापति के समक्ष लंबित है, इस पर फैसला नहीं सुनाया जा रहा है. इस मसले पर 14 जुलाई को हाईकोर्ट में सुनवाई वीसी के माध्यम से चल रही थी.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी कौशिक ने बताया कि विधान परिषद सभापति के अधिवक्ता की ओर से कोर्ट को सूचित किया गया कि 27 जुलाई को इस मसले पर सभापति की तरफ से अपना निर्णय दे दिया जाएगा. कांग्रेस के अधिवक्ता की ओर से मामले को जानबूझकर देरी करने की दलील पर हाईकोर्ट ने मुकदमे की अगली तारीख 4 अगस्त तय की है. अधिवक्ता केसी कौशिक ने पूरे मसले पर क्रमवार घटनाक्रम कुछ इस तरह बताया...
21 अप्रैल 2018- एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह ने बीजेपी की औपचारिक सदस्यता पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में रायबरेली में ग्रहण की.
23 अप्रैल 2018- एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की तरफ से विधान परिषद सभापति को पत्र लिखकर इस संबंध में सूचना दी गई.
9 मई 2018- कांग्रेस नेता एमएलसी दीपक सिंह की तरफ से विधान परिषद सभापति के समक्ष दिनेश प्रताप सिंह की सदस्यता रद्द करने संबंधी याचिका दाखिल की गई.
28 मई 2019- कांग्रेस की एक पक्षीय सुनवाई करते हुए विधान परिषद सभापति ने निर्णय सुरक्षित करने की बात कही, हालांकि देर रात पुनः एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह को 4 सप्ताह के अंदर अपना पक्ष रखने की मोहलत सभापति की ओर से दी गई.
8 जून 2020- कांग्रेस की तरफ से इस संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दायर की गई.
12 जून 2020- पहली ही सुनवाई में ही न्यायालय ने प्रमुख सचिव को इस याचिका को 2 साल बीत जाने के बावजूद निस्तारण न किए जाने पर एक सप्ताह के भीतर कारण बताने का आदेश दिया.
14 जुलाई 2020- विधान परिषद सभापति के अधिवक्ता की तरफ से 27 जुलाई को याचिका पर फैसला देने की बात कही गई. कांग्रेस के अधिवक्ता की गुहार पर कोर्ट ने अगली सुनवाई 4 अगस्त निर्धारित की.
गौरतलब है कि एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह 2019 लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के विरुद्ध बतौर भाजपा प्रत्याशी मैदान में उतरे थे, हालांकि उससे पहले ही करीब एक वर्ष पूर्व ही वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर चुके थे. यही कारण है कि कांग्रेस उनकी सदस्यता रद्द करने को लेकर लंबे समय से जोर आजमाइश करती नजर आ रही है.
रायबरेली: MLC दिनेश प्रताप सिंह की सदस्यता पर फैसला 27 जुलाई को
उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की विधान परिषद सदस्यता पर फैसला विधान परिषद सभापति रमेश यादव 27 जुलाई को सुनाएंगे. इस बाबत विधान परिषद सभापति के अधिवक्ता की ओर से कोर्ट को सूचित कर दिया गया है.
रायबरेली: एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की विधान परिषद सदस्यता पर 27 जुलाई को सभापति रमेश यादव फैसला सुनाएंगे. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ की ओर से 14 जुलाई को सुनवाई के दौरान विधान परिषद सभापति के अधिवक्ता की ओर से न्यायालय को इस बाबत अवगत कराया गया. कांग्रेस का दावा है कि लंबे अरसे से एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की विधान परिषद सदस्यता रद्द करने संबंधी याचिका सभापति के समक्ष लंबित है, इस पर फैसला नहीं सुनाया जा रहा है. इस मसले पर 14 जुलाई को हाईकोर्ट में सुनवाई वीसी के माध्यम से चल रही थी.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी कौशिक ने बताया कि विधान परिषद सभापति के अधिवक्ता की ओर से कोर्ट को सूचित किया गया कि 27 जुलाई को इस मसले पर सभापति की तरफ से अपना निर्णय दे दिया जाएगा. कांग्रेस के अधिवक्ता की ओर से मामले को जानबूझकर देरी करने की दलील पर हाईकोर्ट ने मुकदमे की अगली तारीख 4 अगस्त तय की है. अधिवक्ता केसी कौशिक ने पूरे मसले पर क्रमवार घटनाक्रम कुछ इस तरह बताया...
21 अप्रैल 2018- एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह ने बीजेपी की औपचारिक सदस्यता पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में रायबरेली में ग्रहण की.
23 अप्रैल 2018- एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की तरफ से विधान परिषद सभापति को पत्र लिखकर इस संबंध में सूचना दी गई.
9 मई 2018- कांग्रेस नेता एमएलसी दीपक सिंह की तरफ से विधान परिषद सभापति के समक्ष दिनेश प्रताप सिंह की सदस्यता रद्द करने संबंधी याचिका दाखिल की गई.
28 मई 2019- कांग्रेस की एक पक्षीय सुनवाई करते हुए विधान परिषद सभापति ने निर्णय सुरक्षित करने की बात कही, हालांकि देर रात पुनः एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह को 4 सप्ताह के अंदर अपना पक्ष रखने की मोहलत सभापति की ओर से दी गई.
8 जून 2020- कांग्रेस की तरफ से इस संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दायर की गई.
12 जून 2020- पहली ही सुनवाई में ही न्यायालय ने प्रमुख सचिव को इस याचिका को 2 साल बीत जाने के बावजूद निस्तारण न किए जाने पर एक सप्ताह के भीतर कारण बताने का आदेश दिया.
14 जुलाई 2020- विधान परिषद सभापति के अधिवक्ता की तरफ से 27 जुलाई को याचिका पर फैसला देने की बात कही गई. कांग्रेस के अधिवक्ता की गुहार पर कोर्ट ने अगली सुनवाई 4 अगस्त निर्धारित की.
गौरतलब है कि एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह 2019 लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के विरुद्ध बतौर भाजपा प्रत्याशी मैदान में उतरे थे, हालांकि उससे पहले ही करीब एक वर्ष पूर्व ही वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर चुके थे. यही कारण है कि कांग्रेस उनकी सदस्यता रद्द करने को लेकर लंबे समय से जोर आजमाइश करती नजर आ रही है.