रायबरेली : शुक्रवार को रायबरेली में लंबे समय से शुरू होने की बाट जोह रहा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) शुक्रवार को शुरू कर दिया गया, लेकिन अभी भी कुल क्षमता की जगह सिर्फ तीन सौ बेड की व्यवस्था प्रारम्भ की गई है. इसमे से आधे बेड कोरोना मरीजों को तीसरी लहर के आने की स्थिति में आरक्षित किए गए हैं. एम्स को कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान आनन-फानन शुरू किया गया था, लेकिन अब उसे व्यवस्थित तरीके शुरू किया गया है.
शहर से सटे दरियापुर स्थित एम्स में 1400 छात्रों की क्षमता के छात्रावास और स्टाफ के लिए आवास के साथ ही करीब 278 करोड़ की लागत से 600 बेड के एम्स हॉस्पिटल (चिकित्सीय परिसर) का काम भी पूरा हो चुका है. एम्स में भर्ती होने से पहले मरीज की कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव होनी जरूरी है. बिना निगेटिव रिपोर्ट के भर्ती नहीं किया जाएगा. चाहे वह पहले से जांच करवाकर आए या एम्स में ही कोरोना की जांच करवा सकता है. मरीज के साथ एक अटेंडेंट को रहने की अनुमति होगी. उसकी कोरोना की रिपोर्ट भी निगेटिव होनी जरूरी है.
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कांग्रेस की प्रभारी अध्यक्षा और जिले की सांसद सोनिया गांधी ने जिले वासियो और आस-पास के नजदीकी जिलो के मरीजों के लिए दरियापुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की आधार शिला रखी थी, लेकिन कांग्रेस के सत्ता से जाने के बाद एम्स का काम धीमा हो गया. कोरोना महामारी के आने के बाद केंद्र सरकार ने एम्स के निर्माण में तेजी लाने के निर्देश दिए. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान भयावह स्थिति देख इसे आनन-फानन शुरू किया गया. लेकिन अब इसे आधी क्षमता के साथ मरीजो के लिए शुरू किया गया है. अभी इसे आधी क्षमता के साथ प्रारंभ किया गया है.