प्रयागराज: कोरोना संक्रमण काल में बड़ी संख्या में केसों का निस्तारण किया गया था. इसके बावजूद इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन मुकदमों की संख्या में बढोतरी हुई है. साल 2017 से पहले विचाराधीन मुकदमों की संख्या में लगातार कमी आ रही थी. वर्ष 2018 से लंबित मुकदमों की संख्या में बढ़ोतरी शुरू हो गई. एक मार्च 2020 से एक मार्च 2021 तक हाईकोर्ट में 48,374 लंबित केसों की बढ़ोतरी हुई है. इसके बाद हाईकोर्ट में 10 लाख 4 हजार 572 लंबित मुद्दे हो चुके हैं.
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साल 2020 में बढ़े 5,182 लंबित केस
हाईकोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, 1 जनवरी 2017 को 9,16,043 मुकदमे लंबित थे. एक साल बाद 7,222 घटकर 9,08,821 पर आ गए. इसके बाद विचाराधीन मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. एक जनवरी 2019 में मुकदमों की संख्या 30,654 से बढ़कर 9,35,475 हो गई. एक जनवरी 2020 में 5,182 केसेस बढ़कर 9,44,657 हो गए.
इसके बाद कोरोना संक्रमण के कारण विचाराधीन मुकदमों की संख्या में इस साल 48,374 की भारी बढ़ोतरी हुई है. एक जनवरी 2021 में लंबित मुकदमों की संख्या 9,93,031 पहुंची गई. यह पिछले तीन माह में बढ़कर 10,04,572 हो गई है. इसके अलावा हजारों याचिकाओं का कार्यालय में अंबार लगा है, जिन्हें अभी पंजीकृत किया जाना है. दाखिल याचिका के समय ही कोर्ट द्वारा अधिक से अधिक मुकदमों का तत्काल निस्तारण कर दिया जा रहा है. बावजूद इसके विचाराधीन मुकदमों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.
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मुकदमों की बढ़ोतरी बन रही चुनौती
इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष 10 लाख से अधिक मुकदमों के बोझ से निपटने की बड़ी चुनौती खड़ी है. नियुक्ति प्रक्रिया धीमी होने के कारण जजों की कमी इनसे निपटने मे बाधक बन रही है. वर्तमान समय में इलाहाबाद हाईकोर्ट में 160 जजों के स्थान पर 103 जज कार्यरत हैं. 57 पद खाली हैं. हालांकि, हाईकोर्ट कोलेजियम ने 31 वकीलों के नाम जज नियुक्ति के लिए सरकार को भेजे हैं. इन्हें जांच पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की संस्तुति के लिए रखा जाना है.