प्रयागराज: पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ने (water level of river increase) लगा है. नदियों का बढ़ता जलस्तर अब लोगों को डरा रहा है. वहीं संगमनगरी में भी गंगा के बढ़ते जलस्तर से अब बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. गंगा यमुना नदी (Ganga-Yamuna River) के बढ़ते जलस्तर से संगम के घाट पानी में डूब गए हैं और जल्द ही गंगा का आरती स्थल भी जलमग्न होने वाला है. प्रयागराज में इस समय दोनों नदियां का जलस्तर 1 से 1.2 सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है.
इन दिनों संगम नगरी में संगम तट पर आने वाले श्रद्धालुओं को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पानी बढ़ने के कारण श्रद्धालुओं को घुटने तक पानी से होकर आना जाना पड़ रहा है. हालांकि संगम घाट तक जाने वाले सभी प्रमुख रास्ते फिलहाल पानी की चपेट में आने से बचे हुए हैं, लेकिन इसी रफ्तार से पानी बढ़ता रहा तो जल्द ही सड़कों तक भी पानी पहुंच जाएगा.
प्रयागराज में गंगा-यमुना नदी का जलस्तर बढ़ा इस समय प्रयागराज में गंगा-यमुना दोनों नदियों का जलस्तर तो बढ़ रहा है, लेकिन फिलहाल दोनों नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से करीब 4 मीटर नीचे है. फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 80 मीटर है, जबकि छतनाग 79.02 मीटर है और नैनी में यमुना का जलस्तर 79.6 मीटर है. प्रयागराज में दोनों नदियों के खतरे का निशान 84.73 मीटर है. सोमवार की सुबह से दोनों नदियों का जलस्तर 1 सेमी से लेकर 1.2 सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है. संगम के किनारे तख्त और छप्पर लगाकर पूजा पाठ कराने वाले तीर्थ पुरोहित अपने चौकी और छप्पर को नदी के पास से हटाकर त्रिवेणी बांध के ऊपर सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे हैं. वहीं संगम किनारे दुकान लगाने वाले दुकानदार भी अपनी दुकानों का सारा सामान समेटकर ऊपर बांध की तरफ ले जा रहे हैं. इसके साथ ही संगम की ओर जाने वाली सड़कों के किनारे छप्पर और तख्त लगाने वाले तीर्थ पुरोहित भी अपने घाटों को वहां से हटाकर त्रिवेणी बांध की सड़क पर ले जा रहे हैं. संगम स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को टीका चंदन लगाने वाले पुरोहितों के साथ ही वहां पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों और नाविकों की कमाई भी नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ कम हो जाता है. क्योंकि पानी बढ़ने की वजह से आम दिनों में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम हो जाती है. सिर्फ आवश्यक कार्य वाले और घूमने वाले लोग हो पानी बढ़ने के बाद नदियों के किनारे तक तक जाते हैं. इस वजह से पुरिहितों के साथ ही दुकानदार और नाविकों की कमाई भी कम हो जाती है. जिससे उनके सामने दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाना मुश्किल हो रहा है. संगम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का भी यही कहना है कि बाढ़ आने से पुरोहितों और नाविकों की कमाई घटने से उनके परिवारों की मुसीबत बढ़ जाती है, लेकिन इसके बावजूद पानी इसी गति से बढ़ता रहा तो जल्दी ही निचले इलाकों में रहने वालों की मुसीबत बढ़ जाएगी.
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बता दें हर साल यहां बरसात के दिनों में ऐसी स्थिति देखने को मिलती है. बरसात के दिनों में गंगा यमुना का जलस्तर बढ़ने से निचले इलाकों में बाढ़ आ जाती है. हालांकि अभी शुरुआत ही है ऐसे में इन परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रशासन ने भी कमर कस ली है.