ETV Bharat / state

पापों से छुटकारा दिलाती है विजया एकादशी, ऐसे रखें व्रत - विजया एकादशी

सनातन धर्म में एकादशी व्रत का खास महत्व होता है. एकादशी के व्रत से व्रती को हर कार्य करने में सफलता मिलती है. इस बार विजया तिथि 9 मार्च यानी विजया एकादशी के दिन पड़ रही है.

भगवान विष्णु.
भगवान विष्णु.
author img

By

Published : Mar 9, 2021, 6:33 AM IST

प्रयागराज: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का व‍िशेष महत्‍व होता है. इस बार विजया त‍िथि 9 मार्च यानी की मंगलवार विजया एकादशी को पड़ रहा है. इस एकादशी के व्रत से व्रती को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है. पूर्वजन्म के पापों से छुटकारा मिलता है. पद्म पुराण के अनुसार, ये अत्यंत पुण्यदायी एकादशी है.

पंडित राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला ने बताया कि सनातन धर्म के लोग एकादशी व्रत कैसे रखें. एकादशी व्रत निर्जला किया जाए तो उत्तम माना गया है. अगर निर्जला नहीं कर सकते तो केवल पानी के साथ या केवल फलों के साथ या एक समय सात्विक भोजन के साथ रख सकते हैं. इस दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें. सात्विक रहें. मन में बुरे विचारों को न आने दें.

कैसे हो पूजन विधि
पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला के दिशा अनुसार करे पूजा, एकादशी के दिन पंचपल्लव कलश में रखकर भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें. धूप, दीप, चंदन, फल, फूल व तुलसी आदि से श्री हरि की पूजा करें. उपवास के साथ-साथ भगवन कथा का पाठ व श्रवण करें और रात्रि में श्री हरि के नाम का ही भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें. द्वादशी के दिन ब्राह्ण को भोजन आदि करवाएं व कलश को दान कर दें. तत्पश्चात व्रत का पारण करें. व्रत से पहली रात्रि में सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिये, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये.

विजया एकादशी व्रत कथा
द्वापर युग के समय धर्मराज युद्धिष्ठिर को फाल्गुन एकादशी के महत्व के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई. उन्होंने अपनी शंका भगवान श्री कृष्ण के सामने प्रकट की. भगवान श्री कृष्ण ने फाल्गुन एकादशी के महत्व व कथा के बारे में बताते हुए कहा कि हे कुंते कि सबसे पहले नारद मुनि ने ब्रह्मा जी से फाल्गुन कृष्ण एकादशी व्रत की कथा व महत्व के बारे में जाना था, उनके बाद इसके बारे में जानने वाले तुम्हीं हो, बात त्रेता युग की है जब भगवान श्रीराम माता सीता के हरण के पश्चात रावण से युद्ध करने लिये सुग्रीव की सेना को साथ लेकर लंका की ओर प्रस्थान किया तो लंका से पहले विशाल समुद्र ने रास्ता रोक लिया. समुद्र में बहुत ही खतरनाक समुद्री जीव थे जो वानर सेना को हानि पहुंचा सकते थे. चूंकि श्री राम मानव रूप में थे इसलिये वह इस गुत्थी को उसी रूप में सुलझाना चाहते थे.

उन्होंने लक्ष्मण से समुद्र पार करने का उपाय जानना चाहा तो लक्ष्मण ने कहा कि हे प्रभु वैसे तो आप सर्वज्ञ हैं फिर भी यदि आप जानना ही चाहते हैं तो मुझे भी स्वयं इसका कोई उपाय नहीं सुझ रहा लेकिन यहां से आधा योजन की दूरी पर वकदालभ्य मुनिवर निवास करते हैं. उनके पास इसका कुछ न कुछ उपाय हमें अवश्य मिल सकता है. फिर क्या था भगवान श्री राम उनके पास पंहुच गये. उन्हें प्रणाम किया और अपनी समस्या उनके सामने रखी. तब मुनि ने उन्हें बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को यदि आप समस्त सेना सहित उपवास रखें तो आप समुद्र पार करने में तो कामयाब होंगे ही साथ ही इस उपवास के प्रताप से आप लंका पर भी विजय प्राप्त करेंगें. समय आने पर मुनि वकदालभ्य द्वारा बतायी गई विधिनुसार भगवान श्री राम सहित पूरी सेना ने एकादशी का उपवास रखा और रामसेतु बनाकर समुद्र को पार कर रावण को परास्त किया.

इसे भी पढे़ं- आगरा: एकादशी व्रत उद्यापन के नाम पर होटल बुक कर खेला जा रहा था जुआ, 14 गिरफ्तार

प्रयागराज: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का व‍िशेष महत्‍व होता है. इस बार विजया त‍िथि 9 मार्च यानी की मंगलवार विजया एकादशी को पड़ रहा है. इस एकादशी के व्रत से व्रती को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है. पूर्वजन्म के पापों से छुटकारा मिलता है. पद्म पुराण के अनुसार, ये अत्यंत पुण्यदायी एकादशी है.

पंडित राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला ने बताया कि सनातन धर्म के लोग एकादशी व्रत कैसे रखें. एकादशी व्रत निर्जला किया जाए तो उत्तम माना गया है. अगर निर्जला नहीं कर सकते तो केवल पानी के साथ या केवल फलों के साथ या एक समय सात्विक भोजन के साथ रख सकते हैं. इस दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें. सात्विक रहें. मन में बुरे विचारों को न आने दें.

कैसे हो पूजन विधि
पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ला के दिशा अनुसार करे पूजा, एकादशी के दिन पंचपल्लव कलश में रखकर भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें. धूप, दीप, चंदन, फल, फूल व तुलसी आदि से श्री हरि की पूजा करें. उपवास के साथ-साथ भगवन कथा का पाठ व श्रवण करें और रात्रि में श्री हरि के नाम का ही भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें. द्वादशी के दिन ब्राह्ण को भोजन आदि करवाएं व कलश को दान कर दें. तत्पश्चात व्रत का पारण करें. व्रत से पहली रात्रि में सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिये, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये.

विजया एकादशी व्रत कथा
द्वापर युग के समय धर्मराज युद्धिष्ठिर को फाल्गुन एकादशी के महत्व के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई. उन्होंने अपनी शंका भगवान श्री कृष्ण के सामने प्रकट की. भगवान श्री कृष्ण ने फाल्गुन एकादशी के महत्व व कथा के बारे में बताते हुए कहा कि हे कुंते कि सबसे पहले नारद मुनि ने ब्रह्मा जी से फाल्गुन कृष्ण एकादशी व्रत की कथा व महत्व के बारे में जाना था, उनके बाद इसके बारे में जानने वाले तुम्हीं हो, बात त्रेता युग की है जब भगवान श्रीराम माता सीता के हरण के पश्चात रावण से युद्ध करने लिये सुग्रीव की सेना को साथ लेकर लंका की ओर प्रस्थान किया तो लंका से पहले विशाल समुद्र ने रास्ता रोक लिया. समुद्र में बहुत ही खतरनाक समुद्री जीव थे जो वानर सेना को हानि पहुंचा सकते थे. चूंकि श्री राम मानव रूप में थे इसलिये वह इस गुत्थी को उसी रूप में सुलझाना चाहते थे.

उन्होंने लक्ष्मण से समुद्र पार करने का उपाय जानना चाहा तो लक्ष्मण ने कहा कि हे प्रभु वैसे तो आप सर्वज्ञ हैं फिर भी यदि आप जानना ही चाहते हैं तो मुझे भी स्वयं इसका कोई उपाय नहीं सुझ रहा लेकिन यहां से आधा योजन की दूरी पर वकदालभ्य मुनिवर निवास करते हैं. उनके पास इसका कुछ न कुछ उपाय हमें अवश्य मिल सकता है. फिर क्या था भगवान श्री राम उनके पास पंहुच गये. उन्हें प्रणाम किया और अपनी समस्या उनके सामने रखी. तब मुनि ने उन्हें बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को यदि आप समस्त सेना सहित उपवास रखें तो आप समुद्र पार करने में तो कामयाब होंगे ही साथ ही इस उपवास के प्रताप से आप लंका पर भी विजय प्राप्त करेंगें. समय आने पर मुनि वकदालभ्य द्वारा बतायी गई विधिनुसार भगवान श्री राम सहित पूरी सेना ने एकादशी का उपवास रखा और रामसेतु बनाकर समुद्र को पार कर रावण को परास्त किया.

इसे भी पढे़ं- आगरा: एकादशी व्रत उद्यापन के नाम पर होटल बुक कर खेला जा रहा था जुआ, 14 गिरफ्तार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.