प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन की वीडियो कान्फ्रेन्सिंग से मुकदमों की सुनवाई व्यवस्था तकनीकी अड़चनों के चलते ध्वस्त हो गयी. बृहस्पतिवार को अधिवक्ताओं ने विरोध करते हुए कार्य बहिष्कार कर दिया. वकीलों के विरोध के चलते मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर ने खुली अदालत के साथ साथ वीडियो कान्फ्रेन्सिंग से सुनवाई की व्यवस्था को जारी रखने का फैसला लिया है, जिसकी तैयारी में 24 जुलाई को न्यायिक कार्य नहीं होगा. अतिआवश्यक मामले मुख्य न्यायाधीश की अदालत में सुने जायेंगे. शेष अदालतें नहीं बैठेंगी. परिसर का सैनिटाइजेशन किया जायेगा.
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेन्द्र नाथ सिंह और महासचिव प्रभा शंकर मिश्र ने बुधवार को मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर विडियो कांफ्रेंसिंग की दुर्व्यवस्था से नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने खुली अदालत में सुनवाई की व्यवस्था बहाल करने की मांग की थी. गुरूवार को व्याप्त गंदगी और अव्यवस्था एवं तकनीकी खामियों के कारण विरोध शुरू हो गया. बार- बार बहस के दौरान लिंक टूट जाने और भीड के शोर शराबे से परेशान वकीलों ने नारेबाजी करते हुए कार्य बहिष्कार कर दिया.
महासचिव प्रभाशंकर मिश्र ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश ने शुक्रवार को अदालत बंद रखने और सोमवार से खुली अदालत में बहस की प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति दी है, जिसका अधिवक्ताओं ने स्वागत किया है.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई के लिए एक बडे हाल मे सोलह केबिन बनाये गये थे. हर केबिन मे एक कंप्यूटर और एक इयर फोन के जरिए आन लाइन बहस की व्यवस्था की गयी थी. लेकिन बार- बार लिंक टूटने और वकील की भीड के शोर तथा एक केबिन मे एक ही इयर फोन होने से विरोधी पक्ष बहस से अनभिज्ञ रह जाता था. एक ही इयर फोन का हर वकील के इस्तेमाल से कोरोना संकट बढने की आशंका और सही तरीके से बहस न हो पाने से वकीलों को विरोध के लिए मजबूर कर दिया. इससे वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग से सुनवाई की व्यवस्था विफल हो गयी.
बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मुख्य न्यायाधीश को समस्या से अवगत कराया. इसके साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के साथ खुली अदालत में सुनवाई की मांग की. मुख्य न्यायाधीश ने बार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. अब सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते हुए खुली अदालत में सुनवाई की जायेगी.