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प्रयागराज: संत सम्मेलन में उठेगा संस्कृत के प्रचार-प्रसार का मुद्दा - संत सम्मेलन में उठेगा संस्कृत भाषा का मुद्दा

यूपी के प्रयागराजम में संगम तट पर विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक चल रही है. आज मंगलवार को यहां संतों का सम्मेलन होगा, जिसमें संत संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार का मुद्दा उठाएंगे.

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Published : Jan 21, 2020, 12:28 PM IST

प्रयागराज: संगम तट पर मंगलवार को विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक होगी. संतों के इस सम्मेलन में भारत में संस्कृत के प्रचार-प्रसार का मुद्दा उठाया जाएगा. स्वामी यतीन्द्रानन्द ने कहा कि इस बैठक में यह भी जिक्र किया जाएगा कि जहां-जहां भी राजकीय संदेश लिखे जाते हैं वहां पर हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू के साथ संस्कृत भाषा में भी राजकीय संदेश लिखे जाएं.

मीडिया से बात करते स्वामी यतीन्द्रानन्द सरस्वती.
संस्कृत की ओर ध्यान नहीं दे रही सरकारकेंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में पधारे जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर परम पूज्य स्वामी यतीन्द्रानन्द सरस्वती ने बताया कि आज देश में भाषा को लेकर कोई काम नहीं किया जा रहा है. हमारी देवभाषा संस्कृत की ओर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने इस बात का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में दक्षिण भारत से जो भी संत आए थे, वह हिंदी कम समझते थे. वह चाहते तो अंग्रेजी में अपना भाषण देते, लेकिन उन्होंने अपनी बात को संस्कृत भाषा में अच्छी तरीके से दिया.

इसे भी पढ़ें - प्रयागराज: ओडीएफ मुक्त होगा माघ मेला, कुम्भ की तर्ज पर होगी स्वच्छता

प्रकृति के साथ पैदा हुई संस्कृत
स्वामी यतीन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि संस्कृत प्रकृति के साथ पैदा हुई है और यह समस्त भाषाओं की जननी है. आज आधुनिक युग में इस भाषा के महत्व को कंप्यूटर समझ रहा है और विदेशों के कई विश्वविद्यालय में संस्कृत भाषा पढ़ाने को लेकर जोर दिया जा रहा है. यह बहुत दुर्भाग्य है कि भारत में इसको लेकर कोई विशेष कार्य नहीं हो रहा है.

स्वामी जी ने कहा कि आज आयोजित होने वाले संत सम्मेलन में संतों से संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार और राज्य सरकारों से इसे अच्छी तरह से लागू कराने के लिए बल दिया जाएगा.

प्रयागराज: संगम तट पर मंगलवार को विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक होगी. संतों के इस सम्मेलन में भारत में संस्कृत के प्रचार-प्रसार का मुद्दा उठाया जाएगा. स्वामी यतीन्द्रानन्द ने कहा कि इस बैठक में यह भी जिक्र किया जाएगा कि जहां-जहां भी राजकीय संदेश लिखे जाते हैं वहां पर हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू के साथ संस्कृत भाषा में भी राजकीय संदेश लिखे जाएं.

मीडिया से बात करते स्वामी यतीन्द्रानन्द सरस्वती.
संस्कृत की ओर ध्यान नहीं दे रही सरकारकेंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में पधारे जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर परम पूज्य स्वामी यतीन्द्रानन्द सरस्वती ने बताया कि आज देश में भाषा को लेकर कोई काम नहीं किया जा रहा है. हमारी देवभाषा संस्कृत की ओर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने इस बात का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में दक्षिण भारत से जो भी संत आए थे, वह हिंदी कम समझते थे. वह चाहते तो अंग्रेजी में अपना भाषण देते, लेकिन उन्होंने अपनी बात को संस्कृत भाषा में अच्छी तरीके से दिया.

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प्रकृति के साथ पैदा हुई संस्कृत
स्वामी यतीन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि संस्कृत प्रकृति के साथ पैदा हुई है और यह समस्त भाषाओं की जननी है. आज आधुनिक युग में इस भाषा के महत्व को कंप्यूटर समझ रहा है और विदेशों के कई विश्वविद्यालय में संस्कृत भाषा पढ़ाने को लेकर जोर दिया जा रहा है. यह बहुत दुर्भाग्य है कि भारत में इसको लेकर कोई विशेष कार्य नहीं हो रहा है.

स्वामी जी ने कहा कि आज आयोजित होने वाले संत सम्मेलन में संतों से संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार और राज्य सरकारों से इसे अच्छी तरह से लागू कराने के लिए बल दिया जाएगा.

Intro:संगम तट पर विश्व हिंदू परिषद में केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की चल रही बैठक में आज दोपहर बाद संत सम्मेलन होगा संतो के इस सम्मेलन में आज भारत में संस्कृति के प्रचार-प्रसार का मुद्दा संत उठाएंगे साथ ही विभिन्न राज्य सरकारों से यह भी अपील करने का मुद्दा उठाएंगे की संस्कृत भाषा के भी पत्र विभागों के द्वारा जारी किए जाएं।


Body:केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में पधारे जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर परम पूज्य स्वामी यतीन्द्रानन्द सरस्वती ने ने ईटीवी भारत से हुई खास बातचीत में बताया कि आज देश में भाषा को लेकर के कोई काम नहीं किया जा रहा है हमारी मातृभाषा संस्कृति की ओर सरकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं उन्होंने इस बात का जिक्र करते हुए कहा कि आज केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में दक्षिण भारत से जो भी संत आए थे वह हिंदी कम समझते थे चाहते तो अंग्रेजी में अपना भाषण देते लेकिन उन्होंने अपनी बात को संस्कृत भाषा में इतनी अच्छी तरीके से दिया उन्होंने कहा कि संस्कृति प्राकृत के साथ पैदा हुई है और यह समस्त भाषाओं की जननी है आज आधुनिक युग मैं इस भाषा के महत्व को कंप्यूटर समझ रहा है और विदेशों केकई विश्वविद्यालय में संस्कृत भाषा पढ़ाने को लेकर के जोर दिया जा रहा है यह बहुत दुर्भाग्य है कि भारत में इसको लेकर के कोई विशेष कार्य नहीं हो रहा है।


Conclusion:उन्होंने कहा कि यहां पर आयोजित होने वाले संत सम्मेलन में आज संतों से संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार और राज्य सरकारों से इसे अच्छी तरह से लागू कराने के लिए बल दिया जाएगा उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि जहां-जहां भी राजकीय संदेश लिखे जाते हैं वहां पर हिंदी अंग्रेजी उर्दू के साथ संस्कृत भाषा के भी राजकीय संदेश लिखे जाएं

बाईट:वरिष्ठ महामंडलेश्वर परम पूज्य स्वामी यतीन्द्रानन्द सरस्वती

प्रवीण मिश्र
प्रयागराज
9044173173
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