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बेजुबानों के लिए मसीहा बनीं प्रयागराज की वंशिका गुप्ता

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Published : Aug 31, 2019, 1:15 PM IST

यूपी के प्रयागराज की वंशिका गुप्ता आवारा-बेजुबान और घायल जानवरों को सड़कों से उठाकर अपने घर लाकर इलाज करती हैं. उनके घर में कुल 30 से अधिक जानवर हैं. अंशिका ने इसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है.

बेजुवान जानवरों के लिए देवता हैं वंशिका गुप्ता.

प्रयागराज: संगम नगरी में एक ऐसी पशु प्रेमी हैं, जो सड़कों पर बीमार, घायल और असहाय बेजुवान जानवरों के लिए देवता समान हैं. वंशिका गुप्ता अपनी टीम के साथ मिलकर अब तक सैकड़ों घायल और बीमार जानवरों को सड़कों से उठाकर अपने घर लाकर इलाज कर चुकी हैं.

बेजुबान जानवरों के लिए मसीहा बनीं वंशिका गुप्ता.


ईटीवी भारत की वंशिका गुप्ता से खास बातचीत-
वंशिका गुप्ता ने बताया कि सड़कों पर आवारा-बेजुवान जानवरों को लोग घृणा की नजरों से देखते हैं. इन जानवरों को कोई छूना भी पसंद नहीं करता है. वंशिका ऐसे ही बेजुबान जानवरों को घर लाती हैं और घर पर ऐसे जानवरों की देखभाल, दवा, मलहम-पट्टी करती हैं. जो सबसे अधिक घायल होता है उसके लिए पिंजरा बनवा रखा है, जिससे दूसरे जानवरों को इंफेक्शन न हो.


घर पर रह रहे हैं 30 से अधिक जानवर-
वंशिका गुप्ता ने बताया कि घर में कुल 30 से अधिक जानवर हैं. यह सभी जानवर एक्सीडेंट या फिर किसी तरह घायल होने से सड़क पर तड़प रहे थे. ऐसे जानवरों को हम रेस्क्यू कर घर लाते हैं और इलाज करते हैं. इस समय बंदर, बिल्ली, खरगोश, कुत्ता और बकरा भी मौजूद है. वंशिका ने बताया कि तकरीबन 5 से 6 साल से यह काम शुरू किया है. इसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है.

पढ़ें:-बदायूं: वृहद गौ संरक्षण केंद्र का शिलान्यास, आवारा गोवंशों को मिलेगा ठिकाना

जानवरों को उपलब्ध है इलाज से लेकर खाने तक की सुविधा-
वंशिका बताती हैं कि सभी जानवरों के लिए घर में खाना बनाया जाता है. वंशिका की मां सभी जानवरों के लिए सुबह और शाम का भोजन तैयार करती हैं. इसके साथ साफ-सफाई का काम सभी लोग मिलकर करते हैं.

जानवरों का किया जाता है नामकरण-
वंशिका बताती हैं कि जितने भी जानवर घर में हैं, सभी का नामकरण करती हैं. सभी का मेल-फीमेल के आधार पर नामकरण किया जाता है.

प्रयागराज: संगम नगरी में एक ऐसी पशु प्रेमी हैं, जो सड़कों पर बीमार, घायल और असहाय बेजुवान जानवरों के लिए देवता समान हैं. वंशिका गुप्ता अपनी टीम के साथ मिलकर अब तक सैकड़ों घायल और बीमार जानवरों को सड़कों से उठाकर अपने घर लाकर इलाज कर चुकी हैं.

बेजुबान जानवरों के लिए मसीहा बनीं वंशिका गुप्ता.


ईटीवी भारत की वंशिका गुप्ता से खास बातचीत-
वंशिका गुप्ता ने बताया कि सड़कों पर आवारा-बेजुवान जानवरों को लोग घृणा की नजरों से देखते हैं. इन जानवरों को कोई छूना भी पसंद नहीं करता है. वंशिका ऐसे ही बेजुबान जानवरों को घर लाती हैं और घर पर ऐसे जानवरों की देखभाल, दवा, मलहम-पट्टी करती हैं. जो सबसे अधिक घायल होता है उसके लिए पिंजरा बनवा रखा है, जिससे दूसरे जानवरों को इंफेक्शन न हो.


घर पर रह रहे हैं 30 से अधिक जानवर-
वंशिका गुप्ता ने बताया कि घर में कुल 30 से अधिक जानवर हैं. यह सभी जानवर एक्सीडेंट या फिर किसी तरह घायल होने से सड़क पर तड़प रहे थे. ऐसे जानवरों को हम रेस्क्यू कर घर लाते हैं और इलाज करते हैं. इस समय बंदर, बिल्ली, खरगोश, कुत्ता और बकरा भी मौजूद है. वंशिका ने बताया कि तकरीबन 5 से 6 साल से यह काम शुरू किया है. इसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है.

पढ़ें:-बदायूं: वृहद गौ संरक्षण केंद्र का शिलान्यास, आवारा गोवंशों को मिलेगा ठिकाना

जानवरों को उपलब्ध है इलाज से लेकर खाने तक की सुविधा-
वंशिका बताती हैं कि सभी जानवरों के लिए घर में खाना बनाया जाता है. वंशिका की मां सभी जानवरों के लिए सुबह और शाम का भोजन तैयार करती हैं. इसके साथ साफ-सफाई का काम सभी लोग मिलकर करते हैं.

जानवरों का किया जाता है नामकरण-
वंशिका बताती हैं कि जितने भी जानवर घर में हैं, सभी का नामकरण करती हैं. सभी का मेल-फीमेल के आधार पर नामकरण किया जाता है.

Intro:
प्रयागराज: बेजुबानों के लिए मसीहा बनी प्रयागराज की वंशिका गुप्ता

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sumit yadav
स्पेशल रिपोर्ट

प्रयागराज: एक ही छत के नीचे अलग-अलग जानवर देखकर आप को लगेगा कि यह जानवरों का हॉस्पिटल है. लेकिन जानवरों का हॉस्पिटल नहीं बल्कि प्रयागराज की रहने वाली वंशिका गुप्ता का घर है. लोग बिल्ली , कुत्ता , गाय जैसे पशुओं को लोग भले ही शौक से पालते है, लेकिन संगम नगरी प्रयागराज में एक ऐसा भी पशु प्रेमी है जो सड़को पर बीमार ,घायल असहाय बेजुवान जानवरों के लिए देवता बनी हुई है.
वंशिका गुप्ता अपने टीम साथ मिलकर अब तक सैकड़ों घायल और बीमार जानवरों को सड़कों से उठा कर अपने घर लाकर इलाज करती है. वंशिका गुप्ता का यह पशु प्रेम को देखकर हर कोई हैरान रहते है.

घर मे आप जिधर भी जाएंगे आपको बिल्ली , कुत्ता , बंदर और बकरे जैसे आदि जानवर नजर आएगा. लेकिन ये कोई पालतू जानवर नहीं है. सड़क पर घायल जानवरों को देख आप डर भी जायेगे, लेकिन वंशिका गुप्ता इन जानवरों के लिए देवदूत बन गई है. इन्हें सड़को से उठा कर अपने इस घर मे जगह देती है.

वंशिका गुप्ता ने बताया कि सड़कों पर ये आवारा बेजुवान जानवरों लोगों द्वारा घृणा की नजरों से देखे जाते है और इन जानवरों को तो कोई छूना भी पसंद नहीं करते हैं. क्योकि ये घायल , बीमार , चलने में असामर्थ्य और उसके शरीर  ना जाने कितने घाव होने से लोग रास्ता बदल कर चले जाते हैं. लेकिन ऐसे ही बेजुवान जानवरों को वंशिका प्यार से घर लाती है और घर पर ऐसे जानवरो की देखभाल , दवा ,मलहम ,पट्टी कर बेहतर जिंदगी देने की कोशिश में लग जाती है.






Body:वंशिका गुप्ता ने बताया कि रोड पर मिलने वाले सभी जानवर को बड़े प्यार से अपने घर लाती हूँ. नीचे और घर के ऊपर के दो कमरों को इन आवारा पशुओं रख कर इलाज किया जाता है. घर के इन  कमरों में उन सभी पशुओं को रखकर बकायदा उनका इलाज करती हूँ.
जो सबसे अधिक घायल होता है तो उसके लिए पिंजरा बनवा रखा है. जिससे दूसरे जानवरों को उसका इंफेक्शन न पहुंचे इसलिए उसे पिंजरे में बंद करके रख दिया जाता है.

30 से अधिक है जानवर

वंशिका गुप्ता ने बताया कि घर में कुल 30 से अधिक जानवर है. यह सभी जानवर रोड एक्सीडेंट या फिर किसी तरह घायल होने से सड़क पर तड़प रहे थे. तो ऐसे जानवरों को हम रेस्क्यू करके अपने घर लाती हूँ और इनका पूरा इलाज करती हूं. इस समय बंदर, बिल्ली, खरगोश, डॉगी और बकरा भी मौजूद है. इन सभी जानवरों को तरह-तरह की बीमारियां है.

वंशिका कहती हैं मैंने तकरीबन 5 से 6 साल से यह काम शुरू किया है. इसके साथ वंशिका बताती है कि सड़को से घायल जानवरों को घर ला कर इलाज व सेवा करती तो हूँ लेकिन दूसरों से इसकी जानकारी मिले इसलिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. किसी को भी कही अगर सड़को पर ऐसे घायल , बीमार जानवर मिलते है जिन्हें इलाज की जरूरत है तो हमें कॉल करके सूचित कर सकें.






Conclusion:जानवरों का ट्रीटमेंट से लेकर खाने तक सुविधा

वंशिका गुप्ता बताती हैं कि सभी जानवरों के लिए घर मे खाने पकाए जाते हैं. खाना बनाने का मेरी मां करती हैं. वह स्वम् सभी जानवरों के लिए सुबह और शाम उनके लिए भोजन तैयार करती हैं. इसके साथ साफ और सफाई का काम हम सभी लोग मिलकर करते हैं. पहले मैं अकेले थी लेकिन आज मेरे सतज आठ लोगों का ग्रुप है. सभी मिलकर एक साथ जानवरों का रेस्क्यू कर ट्रीटमेंट का काम कर रहीं हूँ.

वंशिका को देखर सीखा रेस्क्यू करना

वंशिका की दोस्त दीक्षा मागो बताती है कि पहले तो जानवरों को देखकर बहुत डर लगता था लेकिन वंशिका को देखते यह डर खत्म हो गया है. अब बहुत आसानी से घायल जानवरों हैंडल कर लेती हूं. आगे भी जानवरों देखरेख के लिए यह काम जारी रहेगा.

सभी जानवरों का करती हूं नामकरण

वंशिका गुप्ता बताती हैं कि जितने भी जानवर घर मे है सभी का नामकरण करते हैं. किसी का नाम भोंदू है तो किसी का नाम जोजो तो किसी का नाम सूजी तो किसी का नाम चंदन इसी तरह से सभी नाम मेल-फीमेल के आधार पर नामकरण किया जाता है.


बाईट-1- वंशिका गुप्ता, पशु प्रेमी

बाईट- 2- दीक्षा मागो, फ्रेंड्स
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