प्रयागराज: यूपी बार काउंसिल ने दुर्घटना के फर्जी दावे के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी करने वाले गिरोह से जुड़े लगभग 30 वकीलों के लाइसेंस सस्पेंड(30 lawyers license suspended) कर दिए हैं. इस मामले में छह पुलिस अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया हैं.
यह कार्रवाई फर्जी दावे के फ्रॉड की जांच के लिए गठित एसआईटी की ओर से वकीलों के खिलाफ सबूत पेश करने पर की गई है. एसआईटी द्वारा गिरफ्तारी और कार्रवाई के खिलाफ एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की, लेकिन सर्वोच्च अदालत ने उसे खारिज कर दिया.
ऐसे होता था फ्रॉड: दुर्घटना का दावा करने की आड़ में धोखाधड़ी करने वाले गिरोह अपने जिलों में ऐसे मामलों की तलाश करते थे. जहां किसी व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मृत्यु में शामिल वाहन अज्ञात हो. ऐसा कोई मामला मिलने पर गिरोह के सदस्य उस परिवार के सदस्यों से संपर्क करते थे. वे उसे एक बड़ी राशि प्राप्त कराने का लालच देते थे.
फिर एक प्रत्यक्षदर्शी गवाह तैयार कराकर मृतक के परिवार के सदस्यों की ओर से वाहन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराते. संबंधित थाने में पुलिस अधिकारियों की मदद से प्राथमिकी दर्ज कराकर जांच कराई जाती और बीमा कंपनी से पैसा मिलने के बाद मामला बंद हो जाता. गिरोह बाकी पैसे मृतक के परिवार वालों में बांट देता था.
एसआईटी चेयरमैन डीजी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन चंद्र प्रकाश के मुताबिक हर मामले में जांच शुरू हुई तब गैंग के सदस्य मृतक के परिजनों के पास गए और बाकी रकम वापस कर दी. डीजी के मुताबिक इस तरह के ज्यादातर मामले मेरठ, बरेली और शाहजहांपुर में सामने आए. जांच में यह भी सामने आया है कि एफआईआर में कई वकील पकड़े गए, जिन्होंने दावा राशि सीधे उनके खातों में ट्रांसफर कर दी.
वकीलों ने एसआईटी जांच समाप्त करने के लिए कई प्रत्यावेदन किए, लेकिन सबूतों के कारण उन्हें अस्वीकार कर दिया गया.जांच के दौरान यह भी पता चला कि जब गाजियाबाद के लेबर कोर्ट से इन मामलों के रिकॉर्ड मांगे गए, तो रिकॉर्ड रूम में ही आग लग गई. उसके बाद इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई.
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