प्रयागराज: जनपद की मेजा विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर नीलम करवरिया विधायक चुनी गई. वर्तमान समय में विधायक नीलम करवरिया के पति पूर्व विधायक उदय भान करवरिया अपने दो बड़े भाइयों के साथ हत्या के आरोप में नैनी सेन्ट्रल जेल में बंद हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में मेजा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाली बीजेपी की महिला उम्मीदवार नीलम करवरिया को जनता ने चुनकर विधानसभा भेजा. फिलहाल इस सीट पर 2022 में जीत हासिल करने के लिये सपा के साथ ही कांग्रेस और बसपा के नेता भी पूरी ताकत से जुट गए हैं.
कभी कांग्रेस का गढ़ रही इस विधानसभा सीट पर अब कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत भी नहीं बच पाती है. इस सीट से विश्राम दास लगातार 4 बार विधायक चुने गए थे. पिछले 35 सालों से कांग्रेस को इस सीट पर जीत नहीं मिली है. जबकि इन सालों में बसपा के साथ ही सपा और माकपा तक को जीत मिल चुकी है. पिछले चुनाव में पहली बार इस सीट पर बीजेपी को भी जीत का स्वाद मिल चुका है. 2017 के विधानसभा चुनाव में नीलम करवरिया को 67 हजार 807 वोट मिले थे. जबकि उनको टक्कर देने वाले सपा प्रत्याशी राम सेवक सिंह को 47 हजार 964 वोट ही मिले थे.
मेजा विधानसभा पूरी तरह से ग्रामीण आबादी वाली है. इस इलाके में आज भी लोग खेती किसानी का कार्य करते हैं, लेकिन बीते सालों से आवारा जानवरों के आतंक की वजह से इस विधानसभा क्षेत्र की जनता परेशान है. किसानों का कहना है कि उनकी लागत भी कई बार आवारा पशुओं की वजह से डूब जाती है. इसके साथ ही इस विधानसभा क्षेत्र को गंगापार इलाके से जोड़ने के लिये सिरसा घाट पर गंगा में पुल बनाए जाने की मांग लोग काफी दिनों से कर रहे हैं. हालांकि नेताओं के हाल के दावों के बाद गंगा पर पुल बनाए जाने की राह आसान होती दिख रही है.
नीलम करवरिया ने घर से निकलकर विधानसभा को संभाला
2017 के विधानसभा चुनाव में नीलम करवरिया को बीजेपी ने उनके पति की विधानसभा सीट बारा के बगल की मेजा विधानसभा सीट से उम्मीद बनाया तो ज्यादातर लोगों को ये उम्मीद नहीं थी कि नीलम करवरिया घर के चारदीवारी से निकल चुनाव लड़ते ही जीतकर विधायक बन जाएंगी, लेकिन अपने पति की जनता के बीच बनी अच्छी छवि और बीजेपी की लहर का फायदा नीलम करवरिया को मिला.
मेजा विधानसभा की जनता ने पड़ोसी विधानसभा सीट के विधायक की पत्नी पर भरोसा जताते हुए उन्हें (नीलम करवरिया )अपना विधायक चुन लिया. वहीं, 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले नीलम करवरिया के पति के जेल से बाहर आने की उम्मीद नहीं दिख रही है. जिस वजह से नीलम करवरिया दूसरी बार विधायक बनने के लिये मेजा विधानसभा क्षेत्र में चुनाव की तैयारियां करने में जुटी हुई है, लेकिन इस बार उन्हे सिर्फ पति के नाम पर ही वोट नहीं मिलेगा. इलाके में अपने कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों को लेकर जनता के बीच जाकर वोट मांगना पड़ेगा. ये कहना गलत नहीं होगा कि 2022 की राह नीलम करवरिया के लिये 2017 से भी मुश्किल दिख रही है.
साल | विधायक | पार्टी |
2017 | नीलम करवरिया | बीजेपी |
2012 | गिरीश चंद्र गामा पान्डेय | सपा |
2007 | राजबली जैसल | बसपा |
2002 | राम कृपाल | सीपीएम |
1996 | राम कृपाल | सीपीएम |
1993 | राजबली जैसल | बसपा |
1991 | विश्राम दास | जनता दल |
1989 | विश्राम दास | जनता दल |
1985 | विश्राम दास | कांग्रेस |
मतदाताओं की संख्या और जातीय आंकड़ों का अनुमान
मेजा विधानसभा में पिछले चुनाव की अपेक्षा मतदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ है. इस विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 15 हजार 241 है. जिसमें पुरुष मतदाता 1 लाख 74 हजार 348 है. जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 40 हजार 882 है. इसके साथ ही 11 ट्रांसजेंडर मतदाता भी हैं. मेजा विधानसभा 1962 में सामान्य सीट थी. जिसके बाद ये सीट अति पिछड़ा वर्ग के लिये सुरक्षित हो गई थी. उसके बाद बदले परिसीमन की वजह से 2012 के विधानसभा चुनाव में करीब 50 साल बाद ये सीट सामान्य श्रेणी वर्ग की हो गई. जिसके बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से समाजवादी पार्टी के गिरीश चंद्र पांडेय उर्फ गामा पांडेय को जीत मिली थी. जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में भी ब्राह्मण परिवार की बहू नीलम करवरिया को जनता ने विधायक के रुप में चुना. जातीय आंकड़ों की बात की जाए तो इस विधानसभा क्षेत्र में 23% ब्राह्मण, 18% दलित, 11% यादव, 9% मुस्लिम, पटेल 15%, क्षत्रिय 11%, 13% अन्य जातियां इस विधानसभा क्षेत्र में रहती हैं.
विधायक बनी नीलम करवरिया ने जारी रखा परिवार का राजनितिक सफर
नीलम करवरिया का जन्म 1969 में चित्रकूट जिले में हुआ था. ब्राह्मण परिवार में जन्मी नीलम करवरिया ने परास्नातक तक शिक्षा हासिल की है. 1992 में उनकी शादी उदय बान करवरिया के साथ हुई. वर्तमान समय में उदय भान करवरिया विधायक जवाहर पंडित की हत्या के आरोप में नैनी सेन्ट्रल जेल में बंद हैं. उनके साथ ही उनके बड़े भाई कपिल मुनि करवरिया भी जेल में बंद हैं. कपिलमुनि फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद रह चुकें हैं. इसके साथ ही सूरजभान करवरिया भी हत्या के इसी मामले में जेल में बंद हैं सूरजभान भी एमएलसी रह चुके हैं. राजनितिक रसूख वाले इस परिवार को राजनीति में सक्रिय बनाए रखने के लिए परिवार की बहू ने घर से निकलकर 2017 का चुनाव न सिर्फ लड़ा बल्कि जीतकर परिवार की हनक को बरकरार रखा. पति के साथ ही उनके भाइयों के जेल से बाहर न निकलने के आसार को देखते हुए 2022 के चुनाव में नीलम करवरिया फिर से विधानसभा के चुनावी मैदान में उतरने वाली हैं.
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