ETV Bharat / state

यूपीपीएसई भर्ती की धीमी सीबीआई जांच से सरकार की मंशा पर उठे सवाल

समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान हुई यूपी लोक सेवा आयोग की भर्तियों की जांच सीबीआई कर रही है लेकिन जांच इतनी धीमी है कि अब इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं.

यूपीपीएसई भर्ती में धीमी सीबीआई जांच से सरकार की मंशा पर छात्रों ने उठाए सवाल
यूपीपीएसई भर्ती में धीमी सीबीआई जांच से सरकार की मंशा पर छात्रों ने उठाए सवाल
author img

By

Published : Apr 15, 2022, 7:17 PM IST

प्रयागराजः सपा की सरकार के दौरान हुई यूपी लोक सेवा आयोग की सभी भर्तियों की जांच सीबीआई कर रही है लेकिन मंद गति से चल रही सीबीआई जांच चार साल से अधिक समय में किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. इससे उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा पर भी अब सवाल खड़े होने लगे हैं. यूपी की दूसरी बार कमान संभालने वाली योगी सरकार पर प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति से जुड़े छात्र सवाल खड़े करने लगे हैं. इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल प्रतियोगी छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सीबीआई से मामले की जांच की प्रगति रिपोर्ट एक हफ्ते बाद पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी.


2012 से 2017 के बीच सपा सरकार के शासनकाल में हुई यूपी लोकसेवा आयोग की तमाम भर्तियों की सीबीआई जांच चल रही है.सीबीआई की सुस्त जांच से छात्रों में आक्रोश है. इसके साथ ही 4 सालों की सीबीआई जांच में कोई निष्कर्ष न निकलने से अब प्रतियोगी छात्र सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं.

यूपीपीएसई भर्ती में धीमी सीबीआई जांच से सरकार की मंशा पर छात्रों ने उठाए सवाल.
2017 के चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की प्रचंड बहुमत से सरकार बनने के बाद यूपी लोकसेवा आयोग में पिछली सपा सरकार में हुई तमाम भर्तियों की सीबीआई जांच का आदेश जारी किए गए थे. करीब चार साल बीतने के बावजूद सीबीआई अभी तक किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. अभी तक महज दो एफआईआर ही दर्ज करवाई गईं हैं.

प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का आरोप है कि सीबीआई इस मामले में आयोग के चार कर्मियों को गिरफ्तार करना चाहती है लेकिन सरकार नहीं चाहती कि उन्हें सीबीआई गिरफ्तार करे. 2017 में प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद सपा शासनकाल में हुई आयोग की भर्तियों की जांच सीबीआई से करवाने की प्रदेश सरकार ने संस्तुति कर दी थी. इसके साथ ही नवंबर 2017 में केंद्र सरकार ने भी सीबीआई जांच की मंजूरी दे दी थी इसके बाद सीबीआई की टीम जांच करने के लिए जनवरी 2018 में पहली बार उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग कार्यालय पहुंची थी.सीबीआई ने छापेमारी के दौरान आयोग के दफ्तर से कई सरकारी दस्तावेजों के अलावा वहां के कंप्यूटर और हार्ड डिस्क को कब्जे में ले लिया था. इन दस्तावेजों और कंप्यूटर से सीबीआई को भ्रष्टाचार के सबूत भी मिलने की छात्रों ने बात कही हैलेकिन उसके बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की गई.


प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का आरोप है कि सीबीआई जांच टीम के पहले एसपी के नेतृत्व में सीबीआई की तफ्तीश काफी तेज गति से चल रही थी. इसके बाद एसपी को हटा दिया गया. इसके बाद जांच दिखावा भर रह गई. आरोप है कि सरकार आयोग में हुए भ्रष्टाचार की जांच करवाकर उसका खुलासा नहीं करना चाहती है. गौरतलब है कि सपा शासनकाल में 2012 से 2017 तक आयोग के करीब 40 हजार पदों पर भर्तियां की गईं थीं. इसमें लोअर सबोर्डिनेट, समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी, राजस्व निरीक्षक, फूड सेफ्टी ऑफिसर, चिकित्सा अधिकारी, राज्य विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार, एपीओ, एपीएस समेत कई अन्य तरह की भर्तियां शामिल थीं.


आयोग की धीमी गति से चल रही जांच को गति देने की मांग को लेकर प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की तरफ से 2019 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी. याचिका के जरिये मांग की गई थी कि हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई की जांच की जाए. सीबीआई जांच की प्रगति से हाईकोर्ट को अवगत करवाया जाए. कोरोनाकाल में याचिका पर नियमित सुनवाई नहीं हो सकी.

अब मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में हुई तो कोर्ट ने सीबीआई से जांच की प्रगति रिपोर्ट तलब की है.कोर्ट ने सीबीआई को एक हफ्ते में जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है.इसके साथ ही कोर्ट ने 18 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी है.कोर्ट के इस फैसले से प्रतियोगी छात्रों में आस जगी है. उनका कहना है कि कोर्ट में लगातार मामले की सुनवाई हुई और कोर्ट की निगरानी में जांच शुरू हुई तो जल्द ही सीबीआई की जांच किसी नतीजे पर पहुंच सकती है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

प्रयागराजः सपा की सरकार के दौरान हुई यूपी लोक सेवा आयोग की सभी भर्तियों की जांच सीबीआई कर रही है लेकिन मंद गति से चल रही सीबीआई जांच चार साल से अधिक समय में किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. इससे उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा पर भी अब सवाल खड़े होने लगे हैं. यूपी की दूसरी बार कमान संभालने वाली योगी सरकार पर प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति से जुड़े छात्र सवाल खड़े करने लगे हैं. इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल प्रतियोगी छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सीबीआई से मामले की जांच की प्रगति रिपोर्ट एक हफ्ते बाद पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी.


2012 से 2017 के बीच सपा सरकार के शासनकाल में हुई यूपी लोकसेवा आयोग की तमाम भर्तियों की सीबीआई जांच चल रही है.सीबीआई की सुस्त जांच से छात्रों में आक्रोश है. इसके साथ ही 4 सालों की सीबीआई जांच में कोई निष्कर्ष न निकलने से अब प्रतियोगी छात्र सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं.

यूपीपीएसई भर्ती में धीमी सीबीआई जांच से सरकार की मंशा पर छात्रों ने उठाए सवाल.
2017 के चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की प्रचंड बहुमत से सरकार बनने के बाद यूपी लोकसेवा आयोग में पिछली सपा सरकार में हुई तमाम भर्तियों की सीबीआई जांच का आदेश जारी किए गए थे. करीब चार साल बीतने के बावजूद सीबीआई अभी तक किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. अभी तक महज दो एफआईआर ही दर्ज करवाई गईं हैं.

प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का आरोप है कि सीबीआई इस मामले में आयोग के चार कर्मियों को गिरफ्तार करना चाहती है लेकिन सरकार नहीं चाहती कि उन्हें सीबीआई गिरफ्तार करे. 2017 में प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद सपा शासनकाल में हुई आयोग की भर्तियों की जांच सीबीआई से करवाने की प्रदेश सरकार ने संस्तुति कर दी थी. इसके साथ ही नवंबर 2017 में केंद्र सरकार ने भी सीबीआई जांच की मंजूरी दे दी थी इसके बाद सीबीआई की टीम जांच करने के लिए जनवरी 2018 में पहली बार उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग कार्यालय पहुंची थी.सीबीआई ने छापेमारी के दौरान आयोग के दफ्तर से कई सरकारी दस्तावेजों के अलावा वहां के कंप्यूटर और हार्ड डिस्क को कब्जे में ले लिया था. इन दस्तावेजों और कंप्यूटर से सीबीआई को भ्रष्टाचार के सबूत भी मिलने की छात्रों ने बात कही हैलेकिन उसके बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की गई.


प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का आरोप है कि सीबीआई जांच टीम के पहले एसपी के नेतृत्व में सीबीआई की तफ्तीश काफी तेज गति से चल रही थी. इसके बाद एसपी को हटा दिया गया. इसके बाद जांच दिखावा भर रह गई. आरोप है कि सरकार आयोग में हुए भ्रष्टाचार की जांच करवाकर उसका खुलासा नहीं करना चाहती है. गौरतलब है कि सपा शासनकाल में 2012 से 2017 तक आयोग के करीब 40 हजार पदों पर भर्तियां की गईं थीं. इसमें लोअर सबोर्डिनेट, समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी, राजस्व निरीक्षक, फूड सेफ्टी ऑफिसर, चिकित्सा अधिकारी, राज्य विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार, एपीओ, एपीएस समेत कई अन्य तरह की भर्तियां शामिल थीं.


आयोग की धीमी गति से चल रही जांच को गति देने की मांग को लेकर प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की तरफ से 2019 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी. याचिका के जरिये मांग की गई थी कि हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई की जांच की जाए. सीबीआई जांच की प्रगति से हाईकोर्ट को अवगत करवाया जाए. कोरोनाकाल में याचिका पर नियमित सुनवाई नहीं हो सकी.

अब मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में हुई तो कोर्ट ने सीबीआई से जांच की प्रगति रिपोर्ट तलब की है.कोर्ट ने सीबीआई को एक हफ्ते में जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है.इसके साथ ही कोर्ट ने 18 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी है.कोर्ट के इस फैसले से प्रतियोगी छात्रों में आस जगी है. उनका कहना है कि कोर्ट में लगातार मामले की सुनवाई हुई और कोर्ट की निगरानी में जांच शुरू हुई तो जल्द ही सीबीआई की जांच किसी नतीजे पर पहुंच सकती है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.