प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने कहा है कि बदलती हुई परिस्थिति में योग्य अधिवक्ताओं की न्याय के क्षेत्र में भूमिका का महत्व बढ़ गया है. देश एवं प्रदेश का घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है. सबका साथ सबका विकास वाली समदर्शी सरकार सभी को समान दृष्टि से देखते हुए प्रदेश में राम राज्य लाने के प्रति संकल्पित है परंतु राजनीतिक व धर्मोंन्मादी तत्व प्रदेश की शांतिपूर्ण व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने का कार्य कर रहे हैं जिसपर समय रहते अंकुश नहीं लगाया तो वे सरकार के लिए चुनौती बन सकते हैं.
अधिवक्ताओं का मानना है कि सरकार एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बड़े कार्य अभी बाकी हैं. अतः दोनों को मिलकर इस बात का प्रयास करना चाहिए कि उच्च न्यायालय एवं अन्य न्यायालयों में भी सिर्फ और सिर्फ योग्य अधिवक्ताओं को समायोजित किया जाए. उन्हीं व्यक्तियों का समायोजन हो जो अनुभवी हैं. दबाव में किसी भी प्रकार का समायोजन न किया जाए. अधिवक्ताओं ने कहा है कि संघ संगठन को अगर प्रदेश के हित में कार्य करना है, तो उन्हें किसी भी प्रकार का दबाव सरकार पर नहीं बनाना चाहिए. सरकार को अच्छे एवं पारदर्शी शासन को करने हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए.
कहा है कि योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में कुछ सरकारी अधिवक्ताओं की वजह से न्यायालय में सरकार की छवि खराब हुई है. अधिवक्ताओं ने सरकार एवं संगठन से अनुरोध किया है कि सरकार के अधीन सारे अधिवक्ता पैनलों पर सिर्फ और सिर्फ योग्य अनुभवी अधिवक्ताओं की ही जरूरत के मुताबिक नियुक्ति की जाए.
कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए कहा है कि पैसा जनता के टैक्स का है. हमें अनावश्यक खर्च से बचना चाहिए. शुक्रवार को भरद्वाज नगर में हुई अधिवक्ताओं की बैठक में अखिलेश कुमार शुक्ल, पुरूषोत्तम मौर्य, केडी मालवीय सुरेंद्र नाथ मिश्र, दीपक द्विवेदी, रमेश चंद्र शुक्ल, नरेंद्र कुमार चटर्जी, गौरी शंकर, अरूण कुमार आदि मौजूद थे.
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