प्रयागराजः हिंदू धर्म में रक्षा बंधन का पर्व बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है. रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक होता है. हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को यह त्योहार मनाया जाता है. इस वर्ष रक्षाबंधन पर कई शुभ संयोग बनने जा रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन संयोग को बेहद शुभ माना गया है. ये संयोग भाई-बहन के लिए बहुत शुभ साबित होंगे. इस साल रक्षाबंधन 22 अगस्त दिन रविवार को मनाया जाएगा. इस बार भद्राकाल न होने की वजह से दिनभर में किसी भी समय राखी बांधी जा सकती है.
रक्षा बन्धन का पर्व हर वर्ष सावन मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है. जो इस बार विशेष संयोगों से भरपूर है. इस बार राखी का तयोहार कई कारणों से अद्वितीय रहेगा. दूसरी ओर 474 साल बाद एक खास तरह का संयोग इस दिन बन रहा है. इस बार रक्षाबंधन पर कुंभ राशि में चंद्रमा और गुरु वक्री चाल चलेंगे. इन दोनों ग्रहों की इस युति की वजह से इस बार ‘गजकेसरी योग’ बन रहा है. भद्रा जैसा अशुभ काल जिसमें राखी नहीं बांधी जाती, वह समय प्रातः 6 बजकर 15 मिनट पर समाप्त ही हो जाएगा. धनिष्ठा नक्षत्र एवं शोभन योग भाई व बहन दोनों के लिए यह धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक तथा पारिवारिक रीतियां निभाने के लिए एक सुअवसर है. ऐसे शुभ संयोगों में दोनों अर्थात भाई एवं बहनों के भाग्य में वृद्धि होती है.
रक्षाबंधन में अति अशुभ कहे जाने वाला भद्रा इस बार दिनभर नहीं रहेगा. इसलिए सायं 04 बजकर 30 मिनट पर राहु काल के आरम्भ होने से पहले पूरे दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा. इसमें भी दोपहर 11:56 बजे से 12:20 बजे का मुहूर्त श्रेष्ठ रहेगा. अच्छे मुहूर्त अथवा भद्रारहित काल में भाई की कलाई में राखी बांधने से भाई को कार्य सिद्धि और विजय प्राप्त होती है. इस दिन चंद्रमा मंगल के नक्षत्र और कुंभ राशि में गोचर करेंगे. इस बार भद्राकाल का भय भी नहीं रहेगा. ये पर्व सभी भाई-बहनों के लिए परम कल्याणकारी रहेगा. माथे पर तिलक करने और राखी बांधने के बाद भाई को मिष्ठान आदि भी खिलाना चाहिए. जिसके बदले बहनों को भाई महंगे उपहार देकर आजीवन उनकी रक्षा का वचन देते हैं.
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देवताओं की रक्षा के लिए बांधा रक्षासूत्र की कथा
वैसे तो श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षासूत्र बांधने की परंपरा वैदिक काल से ही है . देवासुर संग्राम में जब बहुत दिनों तक युद्ध चलता और बार-बार असुरों से इंद्र युद्ध हार रहे थे तब इंद्राणी शची ने देवराज की कलाई में रक्षासूत्र बांधा था.इस सूत्र को बांधकर देवराज इंद्र जब युद्ध के मैदान में उतरे तो उनका साहस और बल अद्भुत दिख रहा था. देवराज इंद्र ने वृत्रासुर का वध कर दिया और फिर से स्वर्ग पर अधिकार कर लिया.
शुभ समय:
22 अगस्त 2021, रविवार सुबह 06.15 बजे से शाम 05.15 बजे तक.
रक्षा बंधन के लिए दोपहर का उत्तम समय:11:56 बजे से 05:10 बजे तक.
पंचक और राहू काल
22 अगस्त की प्रातः8 बजे से पंचक भी आरंभ हो रहे हैं. जिसमें सामान्यतः शुभ कार्य नहीं किए जाते, लेकिन रक्षा बंधन में केवल भद्रा का ही विचार किया जाता है, जो सुबह 6 बजकर 17 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. इस दिन राहू काल सायं 5 बजकर 15 मिनट से 7 बजे तक रहेगा.