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बाघंबरी मठ गद्दी में स्थापित होगी मां सरस्वती, माता बागेश्वरी और कार्तिकेय स्वामी की मूर्ति - Baghambari Math

प्रयागराज के बाघंबरी मठ प्रयागराज (Baghambari Math Prayagraj) में स्वतंत्रता दिवस पर सरस्वती माता और बागेश्वरी माता के साथ ही आराध्य देव कार्तिकेय की मूर्ति की स्थापना की जाएगी.

बाघंबरी मठ  के महंत बलवीर गिरी ने बताया
बाघंबरी मठ  के महंत बलवीर गिरी ने बताया
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Published : Jan 23, 2023, 10:07 PM IST

बाघंबरी मठ के महंत बलवीर गिरी ने बताया

प्रयागराजः संगम नगरी में लेटे हनुमान मंदिर से जुड़े बाघंबरी मठ गद्दी में सरस्वती माता और बागेश्वरी माता के साथ ही आराध्य देव कार्तिकेय की मूर्ति की स्थापना की जाएगी. मूर्ति की स्थापना के लिए बाघंबरी गद्दी में अनुष्ठान शुरू हो चुका है. दक्षिण भारत से आए हुए 8 ब्राह्मणों के साथ मठ बाघम्बरी गद्दी के 21 ब्राह्मण मंत्रोच्चार के साथ गणपति पूजा से लेकर मूर्ति स्थापना तक अनुष्ठान करेंगे. मठ के महंत बलवीर गिरि ने बताया कि मां सरस्वती और बागेश्वरी माता की पूजा हमेशा से होती रही है. साथ ही उनके अखाड़े के पूज्य कार्तिकेय भगवान हैं. जिनकी मूर्ति की स्थापना प्राण प्रतष्ठा के साथ 26 जनवरी को की जाएगी.

महंत बलवीर गिरी ने बताया कि तीनों मूर्तियों की स्थापना से पहले प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूजा पाठ और अनुष्ठान किया जा रहा है. चार दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान के दौरान विधि विधान के साथ दक्षिण भारत से आये ब्राह्मणों की अगुवाई में पूजा चल रही है. उन्होंने बताया कि सरवस्ती माता और बागेश्वरी माता के साथ ही आराध्य देव कार्तिकेय स्वामी की मूर्ति की स्थापना की जाएगी. 26 जनवरी को बसंत पंचमी के दिन तीनों मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के बाद विधिवत पूजा पाठ शुरू हो जाएगी.

जनकल्याण की कामना से मंदिर की स्थापनाः महंत बलवीर गिरि ने बताया कि ईश्वर से मिली प्रेरणा के बाद उन्होंने ज्ञान की देवी माता सरस्वती के साथ ही जनकल्याण के लिए बागेश्वरी माता और गुरु कार्तिकेय स्वामी की मूर्ति स्थापित करवा रहे हैं. दक्षिण भारत से आये हुए ब्राह्मणों के साथ मठ के ब्राह्मणों ने सोमवार को महागणपति हवन के साथ अनुष्ठान शुरू किया है. इसके साथ ही सांध्य कालीन पूजा में वास्तु पूजन किया गया. साथ ही रक्षोहन वहन, बलिदान पूजन जाएगा. उसके बाद अनुष्ठान में विम्ब परिग्रह और दुर्गा हवन होगा. साथ ही सांध्यकालीन पूजन में विम्ब शुद्धि और अधिवास पूजन किया जाएगा. बलवीर गिरि महाराज ने बताया कि मठ परिसर आयोजित अनुष्ठान में बसंत पंचमी 26 जनवरी को होने वाले विशेष आयोजन में दूर दूर से आए हुए साधु संत शामिल होंगे.

यह भी पढ़ें- Mauni Amavasya 2023: संगम तट पर उमड़ा जनसैलाब, दो करोड़ भक्तों ने लगाई आस्था की डुबकी

बाघंबरी मठ के महंत बलवीर गिरी ने बताया

प्रयागराजः संगम नगरी में लेटे हनुमान मंदिर से जुड़े बाघंबरी मठ गद्दी में सरस्वती माता और बागेश्वरी माता के साथ ही आराध्य देव कार्तिकेय की मूर्ति की स्थापना की जाएगी. मूर्ति की स्थापना के लिए बाघंबरी गद्दी में अनुष्ठान शुरू हो चुका है. दक्षिण भारत से आए हुए 8 ब्राह्मणों के साथ मठ बाघम्बरी गद्दी के 21 ब्राह्मण मंत्रोच्चार के साथ गणपति पूजा से लेकर मूर्ति स्थापना तक अनुष्ठान करेंगे. मठ के महंत बलवीर गिरि ने बताया कि मां सरस्वती और बागेश्वरी माता की पूजा हमेशा से होती रही है. साथ ही उनके अखाड़े के पूज्य कार्तिकेय भगवान हैं. जिनकी मूर्ति की स्थापना प्राण प्रतष्ठा के साथ 26 जनवरी को की जाएगी.

महंत बलवीर गिरी ने बताया कि तीनों मूर्तियों की स्थापना से पहले प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूजा पाठ और अनुष्ठान किया जा रहा है. चार दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान के दौरान विधि विधान के साथ दक्षिण भारत से आये ब्राह्मणों की अगुवाई में पूजा चल रही है. उन्होंने बताया कि सरवस्ती माता और बागेश्वरी माता के साथ ही आराध्य देव कार्तिकेय स्वामी की मूर्ति की स्थापना की जाएगी. 26 जनवरी को बसंत पंचमी के दिन तीनों मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के बाद विधिवत पूजा पाठ शुरू हो जाएगी.

जनकल्याण की कामना से मंदिर की स्थापनाः महंत बलवीर गिरि ने बताया कि ईश्वर से मिली प्रेरणा के बाद उन्होंने ज्ञान की देवी माता सरस्वती के साथ ही जनकल्याण के लिए बागेश्वरी माता और गुरु कार्तिकेय स्वामी की मूर्ति स्थापित करवा रहे हैं. दक्षिण भारत से आये हुए ब्राह्मणों के साथ मठ के ब्राह्मणों ने सोमवार को महागणपति हवन के साथ अनुष्ठान शुरू किया है. इसके साथ ही सांध्य कालीन पूजा में वास्तु पूजन किया गया. साथ ही रक्षोहन वहन, बलिदान पूजन जाएगा. उसके बाद अनुष्ठान में विम्ब परिग्रह और दुर्गा हवन होगा. साथ ही सांध्यकालीन पूजन में विम्ब शुद्धि और अधिवास पूजन किया जाएगा. बलवीर गिरि महाराज ने बताया कि मठ परिसर आयोजित अनुष्ठान में बसंत पंचमी 26 जनवरी को होने वाले विशेष आयोजन में दूर दूर से आए हुए साधु संत शामिल होंगे.

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