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हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों को भी मिलेगी सिटिंग जजों जैसी मेडिकल सुविधा

हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज भी अब सिटिंग जजों के बराबर मेडिकल सुविधा का लाभ ले सकेंगे. इस मामले में हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई की गयी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Dec 29, 2021, 9:30 PM IST

प्रयागराज : हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज भी अब सि‌टिंग जजों के समान मे‌डिकल सुविधा पाएंगे. अभी तक कम सुविधाएं मिल रही थी. इस मामले को लेकर दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट को जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2018 और 30 अप्रैल 2019 को आदेश दिया था कि रिटायर्ड जजों को भी सि‌टिंग जजों के समान ही मेडिकल सुविधा दी जाए. इस आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार ने 24 सितंबर 2019 को ही शासनादेश जारी कर दिया है कि रिटायर्ड जजों को वही मेडिकल सुविधाएं मिलेंगी जो उनके कार्यरत रहते हुए मिल रही थी.

मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने सरकार की इस जानकारी के बाद याचिका को अर्थहीन मानते हुए निस्तारित कर दिया.

इसे भी पढ़ें - इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, मुकदमों में वकील भेजें या अपर सॉलिसिटर जनरल खुद हाजिर हों

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में रिटायर्ड जजों के एसोसिएशन के अध्यक्ष जस्टिस वीएस दवे की ओर से अवमानना याचिका दाखिल की गयी थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे. इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने भी शासनादेश जारी कर दिया.

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प्रयागराज : हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज भी अब सि‌टिंग जजों के समान मे‌डिकल सुविधा पाएंगे. अभी तक कम सुविधाएं मिल रही थी. इस मामले को लेकर दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट को जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2018 और 30 अप्रैल 2019 को आदेश दिया था कि रिटायर्ड जजों को भी सि‌टिंग जजों के समान ही मेडिकल सुविधा दी जाए. इस आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार ने 24 सितंबर 2019 को ही शासनादेश जारी कर दिया है कि रिटायर्ड जजों को वही मेडिकल सुविधाएं मिलेंगी जो उनके कार्यरत रहते हुए मिल रही थी.

मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने सरकार की इस जानकारी के बाद याचिका को अर्थहीन मानते हुए निस्तारित कर दिया.

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में रिटायर्ड जजों के एसोसिएशन के अध्यक्ष जस्टिस वीएस दवे की ओर से अवमानना याचिका दाखिल की गयी थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे. इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने भी शासनादेश जारी कर दिया.

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