प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि ट्रक और पुलिस जीप की टक्कर से कांस्टेबल की मौत को हत्या करार देकर वाहन दुर्घटना दावा अधिकरण द्वारा मुआवजा देने इंकार करने को सही नहीं माना और कहा कि धारा 302 में पुलिस चार्जशीट दाखिल होने से यह नहीं कह सकते कि ड्राइवर लापरवाही से वाहन नहीं चला रहा था.
कोर्ट ने दावा अधिकरण चंदौली के आदेश संशोधित करते हुए बीमा कंपनी को साढ़े सात फीसदी ब्याज के साथ 12 हफ्ते में 36 लाख 92हजार रूपये का मुआवजा जमा करने का निर्देश दिया है और कहा है कि मुआवजा राशि के ब्याज पर आयकर की वसूली नहीं की जा सकती.
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मुआवजा राशि में से माता-पिता प्रत्येक को तीन -तीन लाख रुपये, तीन नाबालिग बच्चों को पांच पांच लाख रुपये और 50 हजार का फिक्स डिपॉजिट, शेष राशि मृतक की पत्नी याची को बचत खाते में जमा कर दिया जायेगा. यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ. केजे ठाकर तथा न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंडपीठ ने रेनू देवी और पांच अन्य की अपील को निस्तारित करते हुए दिया है.
अपील पर अधिवक्ता प्रणव गांगुली ने बहस की
इनका कहना था कि वाहन दुर्घटना दावा अधिकरण चंदौली ने यह कहते हुए दावा खारिज कर दिया कि ट्रक को हत्या के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया. इसे ड्राइवर की लापरवाही से हुई दुर्घटना नहीं माना जा सकता. 3 फरवरी 16 के इस आदेश को चुनौती दी गई थी. मालूम हो कि 31 मई 13 को डेढ़ बजे संत रविदास नगर में माधो सिंह टोल प्लाजा, ओरई पर कांस्टेबल अशोक कुमार यादव इंस्पेक्टर के साथ जीप पर ड्यूटी में थे.
उसी समय जानवरों को लेकर ट्रक प्लाजा पर आया. रोकने पर थूका, किंतु अचानक जीप को टक्कर मारकर मांगा, जिसमें कांस्टेबल घायल हो गए. बाद में मौत हो गई. दुर्घटना बीमा दावा किया गया। कोर्ट ने अधिकरण के आदेश को सही नहीं माना और वारिसों को मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया है.
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