प्रयागराजः सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने प्रदेश के अधीनस्थ अदालत के 9 न्यायिक अधिकारियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है.
19 जुलाई को की गई सिफारिश में श्रीमती रेनू अग्रवाल, मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी, राम मनोहर नारायण मिश्र, श्रीमती ज्योत्स्ना शर्मा, मयंक कुमार जैन, शिव शंकर प्रसाद, गजेन्द्र कुमार, सुरेंद्र सिंह प्रथम व नलिन कुमार श्रीवास्तव शामिल हैं, सभी जिला न्यायाधीश रैंक के अधिकारी हैं.
सहायक अध्यापक भर्ती मामले में जवाब तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती में सफल अभ्यर्थियों को जिला आवंटन को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई पांच अगस्त को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक वर्मा ने प्रयागराज के ज्ञान वीर सिंह व 32 की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता मुजीब अहमद सिद्दीकी ने बहस की. इनका कहना है कि 13 अगस्त 18 को परिणाम घोषित किया गया. जिला आवंटित करने में अनियमितता को लेकर याचिका दायर की गई. कोर्ट के आदेश पर आरक्षण नियमों का पालन करते हुए सूची जारी की गई. शिखा सिंह केस में 29 अगस्त 19 को नये सिरे से मेरिट से जिला आवंटित करने का निर्देश दिया गया. याचीगण योग्य घोषित है किन्तु अभी तक उन्हें जिला आवंटित नहीं किया गया है.
राज्य सरकार व विपक्षियों से जवाब तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमीन का पट्टा निरस्त करने के आदेश के खिलाफ पुननिरीक्षण अर्जी मंजूर करने के बाद दोबारा पुनर्विलोकन में आदेश वापस लेने की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार व विपक्षियों से जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 29अगस्त को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश पाठक ने अशर्फी व अन्य तथा विवेक कुमार सिंह की याचिका पर दिया है. याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता ए एन त्रिपाठी,अर्विंद कुमार मिश्र व राघवेन्द्र प्रसाद मिश्र ने बहस की.
त्रिपाठी का कहना था कि याचीगण को 1984 में गांव सभा की जमीन पट्टे पर दी गई. 1986 में चचेरे भाइयों ने पट्टा निरस्त करने की अर्जी दी. अपर जिला कलेक्टर सोनभद्र ने 1998 में पट्टा निरस्त कर दिया और जमीन गांव सभा को वापस कर दी जिसे याचियों ने राजस्व परिषद में पुनरीक्षण अर्जी दाखिल कर चुनौती दी. परिषद ने पुनरीक्षण अर्जी मंजूर कर ली और पट्टा निरस्त करने का आदेश रद्द कर दिया किंतु चार माह बाद परिषद ने पुनर्विलोकन अर्जी स्वीकार करते हुए अपना आदेश वापस ले लिया जिसे याचिका में चुनौती दी गई है.
त्रिपाठी का कहना है कि राजस्व परिषद को अपने आदेश पर पुनर्विचार करने का अधिकार नहीं है. चकबंदी कानून व जमींदारी उन्मूलन कानून के तहत ऐसा अधिकार नहीं है. केवल केस रिमांड होने पर ही पुनर्विचार कर सकता है किंतु अपने ही आदेश पर अर्जी आने पर पुनर्विचार नहीं कर सकता.
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