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इलाहाबाद हाईकोर्ट: प्राइवेट प्रकाशन से महंगी किताब छपवाने के मामले में जनहित याचिका

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Published : Feb 28, 2020, 8:10 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधायिका व राज्य प्राधिकारियों द्वारा प्राइवेट प्रकाशन से महंगी किताबें छपवाने के मामले में जनहित याचिका कायम की है. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर और न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने दिया है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट.

प्रयागराज: कोर्ट ने विधायिका व राज्य प्राधिकारियों द्वारा प्राइवेट प्रकाशन से महंगी किताबें छपवाने के मामले में जनहित याचिका कायम की है. प्रदेश के मुख्य सचिव को कानून की किताबों के सरकार द्वारा नियमित प्रकाशन, वितरण व बिक्री के उठाए गए कदमों की जानकारी के साथ व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है.

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर और न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने विनोद कुमार त्रिपाठी की विशेष अपील की सुनवाई के दौरान उठे सवालों पर जनहित याचिका कायम करते हुए दिया है. अपील की सुनवाई अलग से 5 मार्च को होगी.

बहस के दौरान दोनों पक्षों की तरफ से अधिवक्ताओं द्वारा पेश किताबों के उपबंधों में अंतर देख कोर्ट ने राजकीय मुद्रणालय प्रयागराज के निदेशक को तलब किया. उन्होंने बताया कि राजकीय प्रेस कानूनी किताबें प्रकाशित कर रहा है और बिक्री की खिड़की खोली है. किताबों की छपाई नियमित होने के बारे में संतोषजनक उत्तर नहीं मिला, जबकि सरकार से नियमित छपाई किए जाने के निर्देश हैं.

ये भी पढ़ें- अलीगढ़: बाबरी मंडी इलाके के घरों के बाहर लगे "यह घर बिकाऊ है" के पोस्टर

सरकारी किताबें उपलब्ध न होने के कारण अधिवक्ता प्राइवेट प्रकाशन से महंगी किताबें खरीद कर कोर्ट में पेश कर रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि सरकार ने कानूनी पुस्तकों की छपाई प्राइवेट कंपनियों को सौंप दी है. कोर्ट ने सरकार को सरकारी प्रेस से नियमित प्रकाशन करने का निर्देश दिया है और ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया है.

प्रयागराज: कोर्ट ने विधायिका व राज्य प्राधिकारियों द्वारा प्राइवेट प्रकाशन से महंगी किताबें छपवाने के मामले में जनहित याचिका कायम की है. प्रदेश के मुख्य सचिव को कानून की किताबों के सरकार द्वारा नियमित प्रकाशन, वितरण व बिक्री के उठाए गए कदमों की जानकारी के साथ व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है.

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर और न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने विनोद कुमार त्रिपाठी की विशेष अपील की सुनवाई के दौरान उठे सवालों पर जनहित याचिका कायम करते हुए दिया है. अपील की सुनवाई अलग से 5 मार्च को होगी.

बहस के दौरान दोनों पक्षों की तरफ से अधिवक्ताओं द्वारा पेश किताबों के उपबंधों में अंतर देख कोर्ट ने राजकीय मुद्रणालय प्रयागराज के निदेशक को तलब किया. उन्होंने बताया कि राजकीय प्रेस कानूनी किताबें प्रकाशित कर रहा है और बिक्री की खिड़की खोली है. किताबों की छपाई नियमित होने के बारे में संतोषजनक उत्तर नहीं मिला, जबकि सरकार से नियमित छपाई किए जाने के निर्देश हैं.

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सरकारी किताबें उपलब्ध न होने के कारण अधिवक्ता प्राइवेट प्रकाशन से महंगी किताबें खरीद कर कोर्ट में पेश कर रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि सरकार ने कानूनी पुस्तकों की छपाई प्राइवेट कंपनियों को सौंप दी है. कोर्ट ने सरकार को सरकारी प्रेस से नियमित प्रकाशन करने का निर्देश दिया है और ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया है.

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