प्रयागराज: संगम की रेती पर लगने वाला माघ मेला पूरे विश्व में धर्म और अध्यात्म का प्रतीक है. तीर्थराज प्रयाग में त्रिवेणी संगम के किनारे हर साल इस मेले का आयोजन किया जाता है. कोरोना संकट के कारण इस बार माघ मेले के आयोजन पर संशय था. जिसके बाद सरकार ने मेले का आयोजन करने की घोषणा कर इस संशय को खत्म कर दिया. लेकिन, प्रशासन की तरफ से मेले को लेकर होने वाली तैयारियां अभी शुरू नहीं हुई हैं.
माघ मेले की शुरुआत के लिए दो महीने से कम का समय बचा है, लेकिन जमीन पर कहीं काम होता दिखाई नहीं दे रहा है. ऐसे में लगता है कि इस बार ये ऐतिहासिक धार्मिक परंपरा टूट ना जाए. उधर, कोरोना महामारी के चलते सरकार ने भले ही गाइडलाइन के तहत मेला लगाने की घोषणा कर दी हो. लेकिन प्रशासन के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी.
लाखों श्रद्धालु हर वर्ष माघ मेले के दौरान त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाते हैं. ऐसे में हर साल अक्टूबर महीने से ही माघ मेले की तैयारियों की शुरू हो जाती थीं. लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते इतने कम समय में मेला परिक्षेत्र को बसाना मेला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. ऐसे में माघ मेला हो पाएगा या नहीं यह एक बड़ा सवाल है. धर्म और अध्यात्म से जुड़े इस मेले को कुल लगभग 534 हेक्टेयर क्षेत्र में बसाये जाने की योजना है.
इस बार मेला प्रशासन ने पांटून पुल की संख्या में भी कमी कर दी है. इस बार केवल 4 पाटून पुल बनाए जाएंगे साथ ही कोरोना काल को देखते हुए कितनी संस्थाओं और कल्प वासियों को जमीन दी जाएं जिससे इस महामारी को फैलने से भी रोका जा सके इस पर भी मेला प्रशासन द्वारा विचार विमर्श किया जा रहा है. पुल तैयार होने तक गंगा के दोनों तरफ तंबू लगाना शिविर बसाना मुश्किल भरा काम प्रशासन के लिए होगा. इतना ही नहीं अंडर ग्राउंड पाइप लाइन बिछाने के साथ ही स्नान घाट भी तैयार किए जाते हैं. समतलीकरण का काम भी समय लेता है इन सारी तैयारी में लगभग 3 से 4 महीने लग जाते थे, लेकिन 2 महीने में इन सारे कार्यों को ही प्रशासन के लिए निपटा पाना बड़ी चुनौती बन गया है.