प्रयागराज: दीपावली दीपों और खुशियों का महापर्व है. लेकिन, इस मौके पर आतिशबाजी करने की भी परंपरा है. अगर आप आंखों में कॉन्टेक्ट लेंस लगाते है और पटाखे फोड़ने के भी शौकीन है, तो आपको अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है. इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन की ओर से शनिवार को द्वारा प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि पटाखे जलाते समय किस तरह से सावधानी बरतनी चाहिए.
पटाखे जलाते समय न लगाए कॉन्टेक्ट लेंस: इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन से जुड़ी आंखों की विशेषज्ञ डॉ. अंकिता अग्रवाल ने बताया कि दीपावली के पर्व पर आंखों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.खास तौर से उस वक्त जब आप पटाखे फोड़ रहे हों. जो लोग आंखों में चश्में की जगह कॉन्टेक्ट लेंस लगाते है, उन्हें दीपावली के पर्व पर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. क्योंकि कॉन्टेक्ट लेंस प्लास्टिक मैटेरियल से बना होता है. इस वजह से पटाखे जलाते समय आंखों में कॉन्टेक्ट लेंस नहीं लगाना चाहिए.
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आंखों की रेटिना पर चिपक सकता है लेंस: डॉ. अंकिता अग्रवाल ने बताया कि प्लास्टिक से बने कॉन्टेक्ट लेंस तक अगर पटाखे की आग या आंच पहुंच गयी तो आग की तपिश से कॉन्टेक्ट लेंस पिघल कर आंखों की रेटिना पर चिपक सकते हैं. इस कारण कॉन्टेक्ट लेंस लगाने वालों को पटाखे फोड़ने के दौरान पूरी सावधानी बरतनी चाहिए. आंखों के ही वरिष्ठ डॉक्टर अनूप चौहान का कहना है कि बड़ों के अलावा जो बच्चे आंखों में लेंस लगाते है. उनके माता पिता को सावधानी बरतनी चाहिए. अभिभावक को चाहिए कि आतिशबाजी करने से पहले बच्चों की आंखों से कॉन्टेक्ट लेंस निकलवा दें. क्योंकि बच्चे पटाखों के और नजदीक जाते हैं. आतिशबाजी के दौरान बड़ों के मुकाबले बच्चे घायल भी ज्यादा होते हैं. ऐसे में माता पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वो कॉन्टेक्ट लेंस लगाकर बच्चों को पटाखे चलाने के लिए न जाने दें.
हार्ट और सांस के मरीजों को भी बरतनी चाहिए सावधानी: इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से दीपावली के पर्व पर हार्ट और सांस के मरीजों को भी अतिरिक्त सावधानी बरतने का निर्देश दिया गया है. चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. आशुतोष गुप्ता ने बताया कि दीपावली के साथ ही ठंड की दस्तक हो जाती है. ऐसे मौसम में सीओपीडी, दमा और हार्ट के मरीजों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए. दीपावली पर की जाने वाली आतिशबाजी की वजह से वातावरण में धूल, धुंआ ज्यादा बढ़ जाता है. ज्यादा पटाखे बजाने की वजह से पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है. इसीलिए सांस, दमा और हार्ट के मरीजों को मास्क लगाने के साथ ही धूल धुंआ से बचने के लिये प्रदूषित इलाकों में जाने से परहेज करना चाहिए.
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