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पत्थरचट्टी रामलीला : यहां हमीद मियां के रंग में रंगते हैं राम और सीता

प्रयागराज की मशहूर रामलीला को कौन नहीं जानता. लेकिन आज हम आपको उस शख्स के बारे में बताने जा रहें हैं, जो कई सालों से रामलीला में अभिनय करने वाले कलाकारों को, अपने बेहतरीन मेकअप से सजाने व संवारने का काम करते आ रहे हैं. इनका नाम है हमीद मियां. आज ये हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल भी पेश कर रहे हैं.

पत्थरचट्टी रामलीला
पत्थरचट्टी रामलीला
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Published : Oct 11, 2021, 8:35 PM IST

प्रयागराज : कहते हैं, कलाकार किसी धर्म और मजहब का मोहताज नहीं होता है. ऐसा ही मिसाल देखने को मिला है प्रयागराज के पत्थरचट्टी रामलीला कमेटी में. इस रामलीला कमेटी में लगभग 11 वर्षों से हमीद मियां राम-सीता सहित लगभग 150 कलाकारों का मेकअप करते चले आ रहे हैं. सबसे बड़ी बात है कि यह शिक्षा इनको अपने घर के परिवारिक माहौल से ही मिली है, और यह इन दिनों प्रयागराज में काफी चर्चा का विषय बने हुए हैं.


नवरात्रि के दिनों में प्रयागराज में चल रही रामलीला में हिंदू मुस्लिम भाईचारे का सौहार्दपूर्ण माहौल देखने को मिल रहा है. पत्थरचट्टी रामलीला कमेटी में काम करने वाले कुछ कलाकार मुस्लिम हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि जो एक कलाकार को, उसके किरदार को उसी रूप में उतारता है, वह भी एक मुस्लिम समुदाय से है. लेकिन उनके इस धार्मिक कार्य को देखकर उनके धर्म का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है.

पत्थरचट्टी रामलीला



मेकअप मैन हमीद भाई प्रयागराज के करैली के रहने वाले हैं. इनका कहना है कि इनका परिवार हिंदू मुस्लिम भाईचारे को लेकर हमेशा चला है और उसी से प्रेरणा पाकर उन्होंने 11 साल की उम्र से ही घर से निकल पड़े और विभिन्न रामलीला में मंचन करने वाले कलाकारों को सजाते रहे हैं. पूरे 10 दिन तक चलने वाली इस रामलीला में आपसी भाईचारे का सौहार्द देखने को मिलता है.



इनका मानना है कि अगर जब तक किसी कलाकार को अपने अंदर आत्मा में नहीं हम बैठा लेते, तब तक सामने वाले कलाकार का मेकअप नहीं कर सकते हैं. इसलिए वह चाहे भगवान राम हो या फिर सीता, उनको हम लोग अपने मन के अंतर आत्मा में बैठा लेते हैं, तब जाकर उन कलाकारों को स्वरूप दे पाते हैं. इनके इस कार्य में इनके भाई अरशद भी इनका खूब सहयोग करते आ रहे हैं. इनका कहना है कि हम लोगों के इस कार्य का उद्देश्य आपस में भाईचारा स्थापित करना है. हर व्यक्ति को चाहिए कि किसी भेदभाव के बिना ही अपने हुनर का इस्तेमाल करें.


इसे भी पढ़ें- लखीमपुर खीरी मामला: राकेश टिकैत बोले- मंत्री अजय मिश्रा भी हैं आरोपी, गिरफ्तारी के बिना निष्पक्ष जांच संभव नहीं

वही यहां पर मंचन कर रहे कलाकारों का कहना है कि इनको कभी एहसास ही नहीं हुआ कि यह यहां पर किसी धर्म जाति का भेदभाव है. सभी एक साथ मिलकर इस रामलीला का आयोजन करते हैं. धर्म और आस्था की नगरी प्रयागराज में इस तरह की रामलीला में हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल तो दिखाई देती ही है, साथ ही उन कलाकारों को भी प्रेरणा मिलती है, जिनके अंदर हुनर है पर वह जाति धर्म के बंधन में बंधे हुए हैं.

प्रयागराज : कहते हैं, कलाकार किसी धर्म और मजहब का मोहताज नहीं होता है. ऐसा ही मिसाल देखने को मिला है प्रयागराज के पत्थरचट्टी रामलीला कमेटी में. इस रामलीला कमेटी में लगभग 11 वर्षों से हमीद मियां राम-सीता सहित लगभग 150 कलाकारों का मेकअप करते चले आ रहे हैं. सबसे बड़ी बात है कि यह शिक्षा इनको अपने घर के परिवारिक माहौल से ही मिली है, और यह इन दिनों प्रयागराज में काफी चर्चा का विषय बने हुए हैं.


नवरात्रि के दिनों में प्रयागराज में चल रही रामलीला में हिंदू मुस्लिम भाईचारे का सौहार्दपूर्ण माहौल देखने को मिल रहा है. पत्थरचट्टी रामलीला कमेटी में काम करने वाले कुछ कलाकार मुस्लिम हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि जो एक कलाकार को, उसके किरदार को उसी रूप में उतारता है, वह भी एक मुस्लिम समुदाय से है. लेकिन उनके इस धार्मिक कार्य को देखकर उनके धर्म का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है.

पत्थरचट्टी रामलीला



मेकअप मैन हमीद भाई प्रयागराज के करैली के रहने वाले हैं. इनका कहना है कि इनका परिवार हिंदू मुस्लिम भाईचारे को लेकर हमेशा चला है और उसी से प्रेरणा पाकर उन्होंने 11 साल की उम्र से ही घर से निकल पड़े और विभिन्न रामलीला में मंचन करने वाले कलाकारों को सजाते रहे हैं. पूरे 10 दिन तक चलने वाली इस रामलीला में आपसी भाईचारे का सौहार्द देखने को मिलता है.



इनका मानना है कि अगर जब तक किसी कलाकार को अपने अंदर आत्मा में नहीं हम बैठा लेते, तब तक सामने वाले कलाकार का मेकअप नहीं कर सकते हैं. इसलिए वह चाहे भगवान राम हो या फिर सीता, उनको हम लोग अपने मन के अंतर आत्मा में बैठा लेते हैं, तब जाकर उन कलाकारों को स्वरूप दे पाते हैं. इनके इस कार्य में इनके भाई अरशद भी इनका खूब सहयोग करते आ रहे हैं. इनका कहना है कि हम लोगों के इस कार्य का उद्देश्य आपस में भाईचारा स्थापित करना है. हर व्यक्ति को चाहिए कि किसी भेदभाव के बिना ही अपने हुनर का इस्तेमाल करें.


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वही यहां पर मंचन कर रहे कलाकारों का कहना है कि इनको कभी एहसास ही नहीं हुआ कि यह यहां पर किसी धर्म जाति का भेदभाव है. सभी एक साथ मिलकर इस रामलीला का आयोजन करते हैं. धर्म और आस्था की नगरी प्रयागराज में इस तरह की रामलीला में हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल तो दिखाई देती ही है, साथ ही उन कलाकारों को भी प्रेरणा मिलती है, जिनके अंदर हुनर है पर वह जाति धर्म के बंधन में बंधे हुए हैं.

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