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UGC से मिली सेमिनार की रकम के दुरुपयोग मामल में प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्राचार्य की अग्रिम जमानत मंजूर

प्रयाग महिला विद्यापीठ (Prayag Mahila Vidyapeeth) की प्राचार्य डॉक्टर रजनी त्रिपाठी पर यूजीसी से मिली सेमिनार की रकम का दुरुपयोग करने का आरोप है. इस मामले में कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए अग्रिम जमानत दिया है.

Anticipatory bail to Dr. Rajni Tripathi
Anticipatory bail to Dr. Rajni Tripathi
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Published : Aug 9, 2023, 10:50 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ एक ही प्रकृति के अन्य मुकदमे दर्ज हैं और उनमें उसकी गिरफ्तारी भी हुई है, तब भी वह दूसरे मुकदमे में अग्रिम जमानत की मांग करने का अधिकारी है. कोर्ट ने कहा कि यदि इस स्थिति में किसी व्यक्ति को अग्रिम जमानत पाने के अधिकार से वंचित किया जाता है तो यह अग्रिम जमानत कानून के प्रावधान और उसकी मंशा के विपरीत बात होगी. प्रयाग महिला विद्यापीठ के प्राचार्य डॉ. रजनी त्रिपाठी की अग्रिम जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए या आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने दिया है.

डॉक्टर रजनी त्रिपाठी के खिलाफ प्रयागराज के सिविल लाइंस थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया है. जिसमें उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. रजनी त्रिपाठी पर आरोप है कि फरवरी 2009 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देश पर हिंदी और अर्थशास्त्र का सेमिनार विद्यापीठ में कराया गया. मधु टंडन सेमिनार की कोऑर्डिनेटर थी तथा याची रजनी त्रिपाठी इसकी डायरेक्टर थी.

आरोप है कि मधु टंडन ने सेमिनार के लिए 12 हजार का सोवेनियर छपवाया था. लेकिन इसकी धनराशि का भुगतान रजनी त्रिपाठी ने नहीं किया. यह भी आरोप है कि यूजीसी ने सेमिनार के लिए जो 90 हजार रुपये दिए थे. उसे उन्होंने उसी बैंक में जिसमें कॉलेज का खाता है, अलग खाता खुलवा कर जमा किया तथा इस धनराशि का दुरुपयोग किया. शिकायत पर कॉलेज प्रबंधन की 3 सदस्यीय कमेटी ने जांच की. जांच में पाया कि रजनी त्रिपाठी ने जो बिल वाउचर जमा किए हैं, वह फर्जी हैं. धन राशि के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए सिविल लाइंस थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया.

याची रजनी त्रिपाठी के अधिवक्ता का कहना था कि उनकी आयु 61 वर्ष की है तथा उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है. मुकदमे में चार्ज शीट दाखिल हो चुकी है और अदालत उसका संज्ञान भी ले चुकी है. इस स्थिति में उनकी गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं है. इससे पूर्व इसी मामले में हाईकोर्ट ने चार्ज शीट दाखिल होने तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक भी लगाई थी. जबकि प्रदेश सरकार तथा कालेज प्रबंधन समिति की ओर से उपस्थित अधिवक्ताओं का कहना था कि याची को इसी प्रकार के मामले में पहले से हिरासत में लिया गया है. इसलिए वर्तमान अग्रिम जमानत पोषणीय नहीं है. कोर्ट ने कहा कि यदि इसी प्रकार के दूसरे मामले में याची हिरासत में है तब भी उसे अग्रिम जमानत पाने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने डॉक्टर रजनी त्रिपाठी की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली है.

यह भी पढ़ें- भंडारा खिलाने के बहाने दिव्यांग बच्चे के साथ किया था कुकर्म, अब कोर्ट ने सुनाई 10 साल की सजा

यह भी पढ़ें- पोरबंदर एक्सप्रेस की पैंट्रीकार से प्रतिबंधित पानी की 80 पेटी बरामद, प्रबंधक समेत 5 गिरफ्तार

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ एक ही प्रकृति के अन्य मुकदमे दर्ज हैं और उनमें उसकी गिरफ्तारी भी हुई है, तब भी वह दूसरे मुकदमे में अग्रिम जमानत की मांग करने का अधिकारी है. कोर्ट ने कहा कि यदि इस स्थिति में किसी व्यक्ति को अग्रिम जमानत पाने के अधिकार से वंचित किया जाता है तो यह अग्रिम जमानत कानून के प्रावधान और उसकी मंशा के विपरीत बात होगी. प्रयाग महिला विद्यापीठ के प्राचार्य डॉ. रजनी त्रिपाठी की अग्रिम जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए या आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने दिया है.

डॉक्टर रजनी त्रिपाठी के खिलाफ प्रयागराज के सिविल लाइंस थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया है. जिसमें उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. रजनी त्रिपाठी पर आरोप है कि फरवरी 2009 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देश पर हिंदी और अर्थशास्त्र का सेमिनार विद्यापीठ में कराया गया. मधु टंडन सेमिनार की कोऑर्डिनेटर थी तथा याची रजनी त्रिपाठी इसकी डायरेक्टर थी.

आरोप है कि मधु टंडन ने सेमिनार के लिए 12 हजार का सोवेनियर छपवाया था. लेकिन इसकी धनराशि का भुगतान रजनी त्रिपाठी ने नहीं किया. यह भी आरोप है कि यूजीसी ने सेमिनार के लिए जो 90 हजार रुपये दिए थे. उसे उन्होंने उसी बैंक में जिसमें कॉलेज का खाता है, अलग खाता खुलवा कर जमा किया तथा इस धनराशि का दुरुपयोग किया. शिकायत पर कॉलेज प्रबंधन की 3 सदस्यीय कमेटी ने जांच की. जांच में पाया कि रजनी त्रिपाठी ने जो बिल वाउचर जमा किए हैं, वह फर्जी हैं. धन राशि के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए सिविल लाइंस थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया.

याची रजनी त्रिपाठी के अधिवक्ता का कहना था कि उनकी आयु 61 वर्ष की है तथा उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है. मुकदमे में चार्ज शीट दाखिल हो चुकी है और अदालत उसका संज्ञान भी ले चुकी है. इस स्थिति में उनकी गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं है. इससे पूर्व इसी मामले में हाईकोर्ट ने चार्ज शीट दाखिल होने तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक भी लगाई थी. जबकि प्रदेश सरकार तथा कालेज प्रबंधन समिति की ओर से उपस्थित अधिवक्ताओं का कहना था कि याची को इसी प्रकार के मामले में पहले से हिरासत में लिया गया है. इसलिए वर्तमान अग्रिम जमानत पोषणीय नहीं है. कोर्ट ने कहा कि यदि इसी प्रकार के दूसरे मामले में याची हिरासत में है तब भी उसे अग्रिम जमानत पाने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने डॉक्टर रजनी त्रिपाठी की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली है.

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