प्रयागराज: बीते कुंभ में साधु-संतों की पेशवाई और शाही स्नान में साही सवारी की शान बने राजस्थान के ऊंट अब प्रयागराज में दिखने लगे हैं. रोजी-रोटी और साधु-संतों की मांग पर आए ऊंट मालिकों का अब नया ठिकाना प्रयागराज का संगम तट हो गया है. यहां प्रतिदिन आने वाले तीर्थ यात्रियों और कैमल राइडिंग का शौक रखने वालों को अब राजस्थान नहीं जाना पड़ रहा है.
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ऊंट सवारी का लुफ्त उठा रहे संगम नगरी के लोग-
- संगम की रेतों पर ऊंट की सवारी का मजा ही कुछ और है.
- इस सवारी से आने वाले तीर्थ यात्री और आसपास के जिलों के लोग काफी रोमांचित हैं.
- सुबह-शाम ऊंट की सवारी करने के शौकीन लोगों की भीड़ रेतीले मैदान पर नजर आती है.
- राजस्थानी लिबास और वहां की संस्कृति में सजे धजे ऊंट यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं
- ऊंट मालिकों का कहना है कि हम यहां मेले के दौरान आए थे और यहां के स्थानीय लोगों ने खूब सराहा था.
- बच्चों और बड़ों के लिए 20 से 50 रुपये तक के अलग-अलग शुल्क रखे गए हैं.
- इससे मालिकों की रोजी-रोटी भी चल जाती है और साथ ही अच्छी खासी बचत भी हो जाती है.