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...अब संगम तट पर लीजिए राजस्थानी ऊंटों की सवारी का आनंद - prayagraj

यूपी के प्रयागराज में शाही कुंभ स्नान के बाद अब वहां के लोग और प्रतिदिन आने वाले तीर्थ यात्रिया कैमल राइडिंग का लुफ्त उठा रहे है. इस कैमल राइडिंग से ऊंटों के मालिकों की रोजी-रोटी भी चल जाती है और साथ ही उनकी अच्छी खासी बचत भी हो जाती है.

ऊंट का मालिक.
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Published : Aug 13, 2019, 11:53 AM IST

Updated : Aug 13, 2019, 11:58 AM IST

प्रयागराज: बीते कुंभ में साधु-संतों की पेशवाई और शाही स्नान में साही सवारी की शान बने राजस्थान के ऊंट अब प्रयागराज में दिखने लगे हैं. रोजी-रोटी और साधु-संतों की मांग पर आए ऊंट मालिकों का अब नया ठिकाना प्रयागराज का संगम तट हो गया है. यहां प्रतिदिन आने वाले तीर्थ यात्रियों और कैमल राइडिंग का शौक रखने वालों को अब राजस्थान नहीं जाना पड़ रहा है.

संगम तट पर पर्यटकों ने लिया ऊंटों की सवारी का मजा.

इसे भी पढ़ें :-प्रयागराज: घोड़ों के कदम में सुर-ताल देखने के लिए होती है गहरे बाजी प्रतियोगिता

ऊंट सवारी का लुफ्त उठा रहे संगम नगरी के लोग-

  • संगम की रेतों पर ऊंट की सवारी का मजा ही कुछ और है.
  • इस सवारी से आने वाले तीर्थ यात्री और आसपास के जिलों के लोग काफी रोमांचित हैं.
  • सुबह-शाम ऊंट की सवारी करने के शौकीन लोगों की भीड़ रेतीले मैदान पर नजर आती है.
  • राजस्थानी लिबास और वहां की संस्कृति में सजे धजे ऊंट यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं
  • ऊंट मालिकों का कहना है कि हम यहां मेले के दौरान आए थे और यहां के स्थानीय लोगों ने खूब सराहा था.
  • बच्चों और बड़ों के लिए 20 से 50 रुपये तक के अलग-अलग शुल्क रखे गए हैं.
  • इससे मालिकों की रोजी-रोटी भी चल जाती है और साथ ही अच्छी खासी बचत भी हो जाती है.

प्रयागराज: बीते कुंभ में साधु-संतों की पेशवाई और शाही स्नान में साही सवारी की शान बने राजस्थान के ऊंट अब प्रयागराज में दिखने लगे हैं. रोजी-रोटी और साधु-संतों की मांग पर आए ऊंट मालिकों का अब नया ठिकाना प्रयागराज का संगम तट हो गया है. यहां प्रतिदिन आने वाले तीर्थ यात्रियों और कैमल राइडिंग का शौक रखने वालों को अब राजस्थान नहीं जाना पड़ रहा है.

संगम तट पर पर्यटकों ने लिया ऊंटों की सवारी का मजा.

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ऊंट सवारी का लुफ्त उठा रहे संगम नगरी के लोग-

  • संगम की रेतों पर ऊंट की सवारी का मजा ही कुछ और है.
  • इस सवारी से आने वाले तीर्थ यात्री और आसपास के जिलों के लोग काफी रोमांचित हैं.
  • सुबह-शाम ऊंट की सवारी करने के शौकीन लोगों की भीड़ रेतीले मैदान पर नजर आती है.
  • राजस्थानी लिबास और वहां की संस्कृति में सजे धजे ऊंट यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं
  • ऊंट मालिकों का कहना है कि हम यहां मेले के दौरान आए थे और यहां के स्थानीय लोगों ने खूब सराहा था.
  • बच्चों और बड़ों के लिए 20 से 50 रुपये तक के अलग-अलग शुल्क रखे गए हैं.
  • इससे मालिकों की रोजी-रोटी भी चल जाती है और साथ ही अच्छी खासी बचत भी हो जाती है.
Intro:बीते कुंभ में साधु संतों की पेशवाई और शाही स्नान में साही सवारी की शान बनने राजस्थान के ऊँट अब प्रयागराज में दिखने लगे है। रोजी रोटी और साधु संतों की मांग पर आए ऊट मालिकों का अब नया ठिकाना प्रयागराज का रेतीला मैदान हो गया है। प्रतिदिन आने वाले तीर्थ यात्रियों की भीड़ और कैमल राइडिंग का शौक रखने वाले लोगो के लिए उन्हें अब राजस्थान नही जाना पड़ रहा है।


Body:गौरतलब है कि कुंभ मेले के दौरान दर्जनभर से अधिक जहां पर साधु-संतों की सवारी के लिए यहां पर आए थे। जिनका उपयोग साधु संतों ने पेशवाई शाही स्नान और अन्य धार्मिक आयोजन के के दौरान इन्हें उपयोग में लिए थे। उसी समय परेड ग्राउंड में यह तीर्थ यात्रियों की भी शान हुए। यहा पर आने वाले करोड़ो श्रद्धालुओं ने इसका ख़ूब लुत्फ उठाया और बदले में ऊट मालिको को मोटी कमाई भी हुई लेकिन देखते ही देखते कुम्भ मेले का समापन हो गया। लेकिन ऊँट की सवारी करने वाले शौकीनों की भीड़ कम नही हुईं। राजस्थानी लिबास और वहा की संस्कृति में सजे धजे ऊँट आने वाले किसी भी यात्री को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। प्रयागराज त्रिवेणी संगम पर ऊँट की सवारी होने से यहा के पर्यटन पर भी बल मिल रहा है। आम तौर पर देश के विभिन्न हिस्सों से छुट्टियों के दौरान राजस्थान घूमने जाते थे उस दौरान उन्हें वहा कैमल राइडिंग का मौका मिलता था।


Conclusion:पर अब संगम की रेती पर ऊट की सवारी का मजा कुछ और है, इस तरह की सवारी यहा शुरू होने से आने वाले तीर्थ यात्री और आस पास जिलों के लोग काफी रोमांचित है। सुबह शाम यहा पर ऊँट की सवारी करने के शौकीन की भीड़ रेतीले मैदान पर नजर आती है। ऊँट चालको का कहना है हम यहा मेले के दौरान आये थे उस समय ऊँट की सवारी को लेकर यहा के स्थानीय लोगो ने खूब सराहा था जो आज भी चल रहा है। खास बात यह है कि यहा पर बच्चों और बड़ो के लिए अलग अलग शुल्क है। 20 रुपये से लेकर 50 रुपये तक मालिको ने रखा है जिसे शौकीन लोगो खुशी से अदा कर देते है। बदले में इन सभी मालिको के रोजी रोटी का जुआड़ तो होता ही साथ ही उन्हें अच्छी खासी बचत हो जाती है।
बाईट: यात्री

बाईट: ऊँट मालिक

प्रवीण मिश्र
प्रयागराज
Last Updated : Aug 13, 2019, 11:58 AM IST
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