प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि कोई विधिक कार्यवाही उचित फोरम में विचाराधीन है तो दूसरी अदालत में समानांतर कार्यवाही नहीं चल सकती. याची को जिला बदर किया गया है. इसके खिलाफ आयुक्त के समक्ष अपील विचाराधीन है. वह इंटर का छात्र है. 22 मार्च को परीक्षा होने वाली है. उसने बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए अनुमति देने की मांग में याचिका दाखिल की थी.
कोर्ट ने हस्तक्षेप करने और कोई राहत देने से इंकार कर दिया, किन्तु आयुक्त वाराणसी को 21 फरवरी के हफ्ते में याची की अपील पर अंतरिम अर्जी को यथाशीघ्र तय करने का निर्देश दिया है. साथ ही अपील भी 6 हफ्ते में निस्तारित करने के लिए हर संभव प्रयास करने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने सत्यम उर्फ कन्हैया की याचिका पर दिया है. याची का कहना था कि अपील दो बार सुनवाई के लिए लगी किन्तु अंतरिम अर्जी तय नहीं हो सकी. कोर्ट ने कहा जब आयुक्त के समक्ष केस चल रहा है तो हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर राहत नहीं मिल सकती. याची उसी अदालत में सुनवाई कराये. कोर्ट ने कहा कि बोर्ड परीक्षा से पहले अंतरिम अर्जी तय की जाय.
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वहीं, दूसरी ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सपा सरकार में पूर्व राज्य मंत्री रहे एमएलसी कमलेश पाठक की रासुका के तहत नजरबंदी आदेश को रद्द कर दिया है. राज्य और केंद्र सरकार द्वारा प्रत्यावेदन तय करने में 6 दिन की देरी के संतोषजनक स्पष्टीकरण न देने और एक साल की अवधि पूरी होने के आधार पर कोर्ट ने निरुद्धि आदेश रद्द कर दिया है. सरकारों का कहना था कि किसान आंदोलन और कोविड के चलते थोड़ी देर हुई है.
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति साधना रानी ठाकुर की खंडपीठ ने अवैध निरुद्धि के खिलाफ दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याची के खिलाफ कोतवाली औरैया में पंचमुखी हनुमान मंदिर की जमीन पर अवैध असलहों के साथ जबरन कब्जा करने और अधिवक्ता मंजुल चौबे और उनकी बहन सुधा चौबे की हत्या करने और तीन को घायल करने के आरोप में 15 मार्च 20 को एफआईआरदर्ज कराई गई है. उसी दिन गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
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