प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अनुकंपा पर एकमुश्त वेतनमान पर कर्मचारी की नियुक्ति नहीं की जा सकती है. कर्मचारी को नियमित वेतनमान पर नियमित नियुक्ति ही दी जा सकती है. कोर्ट ने एकमुश्त वेतनमान पर नियुक्त बेसिक शिक्षा विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को उसकी नियुक्ति की तिथि से नियमित वेतनमान देने का आदेश दिया है. इसी के साथ बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा कर्मचारी को नियुक्ति की तिथि से एकमुश्त वेतनमान नहीं देने के आदेश को रद्द कर दिया है.
प्रवीण कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने दिया. याची का पक्ष रख रहे अधिवक्ता विभु राय का कहना था कि याची साल 2004 में 2850 रुपए प्रति माह के एकमुश्त वेतनमान पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर नियुक्त किया गया था. साल 2010 में उसे नियमित वेतनमान पर नियुक्ति दी गई. तब से वह लगातार नियमित वेतन पा रहा है. याची ने बेसिक शिक्षा अधिकारी कासगंज को प्रत्यावेदन देकर नियुक्ति की तिथि से नियमित वेतनमान दिए जाने की मांग की. जिसे बेसिक शिक्षा अधिकारी ने खारिज कर दिया.
इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. जिसपर हाईकोर्ट ने बीएसए कासगंज को आदेश दिया कि वह रवि करण सिंह केस के निर्णय के पर विचार करें. इसके बाद भी बीएसए ने याची का प्रत्यावेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि 17 जून 1996 को निदेशक बेसिक शिक्षा ने आदेश पारित किया था कि एकमुश्त वेतन मान पर नियुक्त कर्मचारियों को नियमित वेतनमान, नियमित किए जाने की तिथि से ही देय होगा. उससे पूर्व की गई सेवा के लिए नियमित वेतनमान नहीं दिया जा सकता है. बीएसए के इस आदेश को पुनः हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.
जिसपर हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुकंपा के आधार पर एक मुश्त वेतनमान पर नियुक्ति नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद कहा कि अनुकंपा नियुक्ति एकमुश्त वेतनमान पर नहीं की जा सकती है. यह नियुक्ति नियमित वेतनमान पर ही होनी चाहिए. इसलिए जिनको एकमुश्त वेतनमान पर नियुक्ति दी गई है, उनको नियुक्ति की तिथि से नियमित वेतनमान देय होगा. कोर्ट ने बीएसए का आदेश रद्द करते हुए उनको हाईकोर्ट द्वारा पारित इस आदेश के आलोक में याची के प्रकरण पर दो माह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है.