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केंद्रीय कारागार के वरिष्ठ अधीक्षक का आदेश रद, तीन माह में नया आदेश देने के निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधीक्षक केंद्रीय कारागार नैनी, प्रयागराज के एक आदेश को रद कर दिया है और तीन माह में नए सिरे से आदेश पारित करने के निर्देश दिए हैं.

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वरिष्ठ अधीक्षक केंद्रीय कारागार नैनी का आदेश रद्द,तीन माह में नया आदेश देने का निर्देश
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Published : May 25, 2022, 7:38 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधीक्षक केंद्रीय कारागार नैनी, प्रयागराज द्वारा बंदी रक्षक याची को आपराधिक केस दर्ज होने के आधार पर बर्खास्त करने के आदेश को रद कर दिया है और अवतार सिंह केस के फैसले के अनुसार तीन माह में नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने सुनील यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता एमए सिद्दीकी ने बहस की. इनका कहना था कि याची भर्ती परीक्षा में सफल हुआ और उसे दस्तावेज सत्यापन कर नैनी जेल में वरिष्ठ अधीक्षक द्वारा नियुक्ति दी गई. याची के खिलाफ एफआईआर दर्ज थी, जिसकी जानकारी चरित्र प्रमाणपत्र के साथ दी गई थी. इसके बावजूद उसे कारण बताओ नोटिस जारी की गई. अपने जवाब में साफ कहा कि आपराधिक केस की जानकारी दी गई है. एसीजेएम वाराणसी की अदालत में केस दर्ज है. कोई तथ्य छिपाया नहीं है. इसके बावजूद सेवा से हटा दिया गया है.

याची का कहना था कि अवतार सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केवल केस दर्ज होने से किसी को सेवा से हटाया नहीं जा सकता. बशर्ते उसने तथ्य छिपाया न हो इसलिए बर्खास्तगी रद्द की जाए. सरकारी वकील ने कहा कि अवतार सिंह केस के तहत तय करने के निर्देश दिए जाए.

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प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधीक्षक केंद्रीय कारागार नैनी, प्रयागराज द्वारा बंदी रक्षक याची को आपराधिक केस दर्ज होने के आधार पर बर्खास्त करने के आदेश को रद कर दिया है और अवतार सिंह केस के फैसले के अनुसार तीन माह में नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने सुनील यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता एमए सिद्दीकी ने बहस की. इनका कहना था कि याची भर्ती परीक्षा में सफल हुआ और उसे दस्तावेज सत्यापन कर नैनी जेल में वरिष्ठ अधीक्षक द्वारा नियुक्ति दी गई. याची के खिलाफ एफआईआर दर्ज थी, जिसकी जानकारी चरित्र प्रमाणपत्र के साथ दी गई थी. इसके बावजूद उसे कारण बताओ नोटिस जारी की गई. अपने जवाब में साफ कहा कि आपराधिक केस की जानकारी दी गई है. एसीजेएम वाराणसी की अदालत में केस दर्ज है. कोई तथ्य छिपाया नहीं है. इसके बावजूद सेवा से हटा दिया गया है.

याची का कहना था कि अवतार सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केवल केस दर्ज होने से किसी को सेवा से हटाया नहीं जा सकता. बशर्ते उसने तथ्य छिपाया न हो इसलिए बर्खास्तगी रद्द की जाए. सरकारी वकील ने कहा कि अवतार सिंह केस के तहत तय करने के निर्देश दिए जाए.

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