प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करते समय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा स्वतंत्रत विवेक का प्रयोग न करने पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी गैंगस्टर एक्ट की संस्तुति करते या उसको अप्रूव करते समय अपने स्वतंत्र विवेक का प्रयोग ना करके पहले से छपे प्रोफार्मा पर हस्ताक्षर करके खानापूर्ति कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि यह देखने में आ रहा है कि बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारी और जिलाधिकारी ऐसे गैंग चार्ट को अप्रूव कर रहे हैं. जो गैंगस्टर एक्ट के प्रावधानों के अनुसार नहीं तैयार किए गए हैं.
गोरखपुर के सनी मिश्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल की खंडपीठ ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों, पुलिस कमिश्नर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों आदि को गाइडलाइन जारी करें की गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई पूरी करने से पूर्व वह स्वतंत्र विवेक का प्रयोग करें. इसके साथ यह सुनिश्चित करें कि गैंग चार्ट एक्ट के प्रावधानों के अनुसार तैयार किया गया है या नहीं. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी गैंग चार्ट अप्रूव करते समय अनिवार्य रूप से अपनी संतुष्टि स्पष्ट शब्दों में दर्ज करें. साथ ही जिला अधिकारी गैंग चार्ट अप्रूव करने से पूर्व जिले के पुलिस प्रमुख के साथ बैठकर इस पर चर्चा करें.
याची का कहना था कि उसके विरुद्ध 3 अक्टूबर 2023 को गैंगस्टर एक्ट के तहत प्राथमिक की दर्ज की गई. लेकिन उसका गैंग चार्ट बनाते समय मूल मुकदमे में चार्ज शीट लगाए जाने की तिथि नहीं लिखी गई. जो गैंगस्टर एक्ट की प्रावधान का उल्लंघन है. इसी प्रकार से गैंग चार्ट अग्रसरित करते समय और जिलाधिकारी द्वारा इसकी पुष्टि करते समय दोनों अधिकारियों ने अपने स्वतंत्र विवेक का प्रयोग नहीं किया और पहले से छपे प्रोफार्मा पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. जबकि एक्ट के प्रावधानों के अनुसार जिला अधिकारी और पुलिस अधिकारियों को गैंग चार्ट अप्रूव करने से पूर्व उस पर अपनी संतुष्टि रिकॉर्ड करना आवश्यक है. कोर्ट ने कहा कि आधिकारिक गैंग चार्ट की पुष्टि करने से पूर्व पूरे रिकॉर्ड को फिर से बारीकी से देखेंगे और अपनी संतुष्टि दर्ज करेंगे. कोर्ट ने याची के विरुद्ध दर्ज प्राथमिक की रद्द कर दी है. इसके साथ ही पुलिस अधिकारियों को छूट दी है कि वह नए सिरे से नियमानुसार प्राथमिक की दर्ज कर सकते हैं.