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चिता की लपटों से धधकता था श्मशान, अब मिली है ठंडक

संगमनगरी प्रयागराज में अप्रैल महीने में फाफामऊ श्मशान घाट (Phaphamau Crematorium) पर चिता (Pyre) ही चिता दिखाई दे रही थी, वहीं अब यहां पर सन्नाटा छाया हुआ है. तीन से चार लोग ही शव का दाह संस्कार करने के लिए पहुंच रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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फाफामऊ श्मशान घाट पर छाया है सन्नाटा.
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Published : Jun 18, 2021, 11:52 AM IST

Updated : Jun 18, 2021, 12:00 PM IST

प्रयागराज: फाफामऊ श्मशान घाट (Phaphamau Crematorium) पर अप्रैल महीने में कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार करने के लिए मारामारी हो रही थी. लोगों को अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता था. पिछले महीने तक घाट पर दिन-रात शवों को जलाया जाता था, लेकिन अब इस घाट पर चिता की अग्नि शांत दिख रही है. दिन भर में अब तीन-चार शव ही पहुंच रहे हैं. अप्रैल से मई की शुरुआत तक जहां इस घाट पर चिताओं की भीड़ रहती थी, वहीं अब यहां सन्नाटा छाया हुआ है.

श्मशान घाट पर अब छाया है सन्नाटा.
शहरवासियों को मिली राहत
प्रयागराज में कोरोना महामारी (Corona epidemic in Prayagraj) से जिन लोगों की मौत हो रही थी, उनके शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए फाफामऊ घाट को तय कर दिया गया था. यहां पर कोविड प्रोटोकॉल के तहत शवों का अंतिम संस्कार करने की व्यवस्था की गई थी. अप्रैल महीने में इस घाट पर अचानक से बड़ी संख्या में शव पहुंचने लगे थे. जिले में एक दिन में अधिकतम 25 लोगों की मौत होना ही सरकारी आंकड़ों में बताया गया है, लेकिन वास्तविकता यह है कि इस घाट पर उन दिनों एक दिन में 150 के करीब तक शवों का अंतिम संस्कार किया गया था.

इसे भी पढ़ें: रेती में दफनाए गए शवों तक पहुंचा गंगा का पानी


एक दिन में पहुंचते थे 150 शव

फाफामऊ श्मशान घाट पर शवों को जलाने वाले नरेश का दावा है कि अप्रैल महीने में दिन भर में 150 से भी अधिक शव जलाए जाते थे और शव जलाने के लिए भी कई लोग लगे हुए थे. इतनी अधिक संख्या में चिताएं जलती थी कि लोगों के खड़े होने के लिए भी जगह कम हो जाती थी. मृतक के परिजनों के घंटों इंतजार करने के बाद शव का अंतिम संस्कार करने का नंबर आता था. कई बार तो इस घाट पर अंतिम संस्कार के लिए मारपीट तक की नौबत आ जाती थी, क्योंकि कोविड शव के साथ आने वाले लोग ज्यादा देर तक घाट पर रुकना नहीं चाहते थे. इंतजार करने की दशा में लोग मारपीट करने पर उतारू हो जाते थे.

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श्मशान घाट पर छाया सन्नाटा.

इसे भी पढ़ें: प्रयागराज में बाढ़ से निपटने को लेकर होने लगी तैयारियां, प्रशासन ने कसी कमर

कोरोना संक्रमितों के साथ मरने वालों की संख्या भी हुई कम

प्रयागराज में बीते कई दिनों से संक्रमितों की संख्या 100 से भी कम हो गई है. इसके साथ ही कोरोना से मरने वालों की संख्या घटकर 5 से कम हो गई है. मंगलवार और बुधवार को जिले में 50 से कम संक्रमितों के मिलने के साथ ही मरने वालों की संख्या 3 तक सिमट गई है, जिससे जिले के लोगों ने राहत की सांस ली है. फिलहाल जून माह की शुरुआत के साथ ही संक्रमितों और मृतकों की संख्या लगातार घट रही थी, जो अब पहले के मुकाबले काफी सुकून भरा है.

इसे भी पढ़ें: 'पाकिस्तान में इमरान आया' गाने पर हिंदुस्तान के इस शहर में सामूहिक हर्ष फायरिंग

इसे भी पढ़ें: देखिए ये दुर्लभ जीव, प्रयागराज के अंकित ने कैसे बचाई उसकी जान

घाट पर वसूले गए मनमाने पैसे

अप्रैल महीने के मध्य में जिस वक्त प्रयागराज में कोरोना (Corona in Prayagraj) चरम पर था, फाफामऊ घाट पर अंतिम संस्कार के लिए लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. पहले तो घाट तक शव ले जाने के बदले एम्बुलेंस वालों को हजारों रुपये देने पड़ते थे, वहीं घाट पर अंतिम संस्कार के बदले मुंहमांगी कीमत भी अदा करनी पड़ती थी. एम्बुलेंस ड्राइवरों की मनमानी और घाट पर अंतिम संस्कार करवाने की मनमानी वसूली की शिकायतें मिलने के बाद जिला प्रशासन को घाटों पर अंतिम संस्कार का रेट और एम्बुलेंस वालों का घाट तक का किराया तय करना पड़ा था, जिसके बाद लोगों को इनकी मनमानी वसूली से थोड़ी राहत जरूर मिल गई थी, लेकिन उसके बावजूद भी लोगों की मजबूरी का जमकर फायदा उठाया गया था.

प्रयागराज: फाफामऊ श्मशान घाट (Phaphamau Crematorium) पर अप्रैल महीने में कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार करने के लिए मारामारी हो रही थी. लोगों को अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता था. पिछले महीने तक घाट पर दिन-रात शवों को जलाया जाता था, लेकिन अब इस घाट पर चिता की अग्नि शांत दिख रही है. दिन भर में अब तीन-चार शव ही पहुंच रहे हैं. अप्रैल से मई की शुरुआत तक जहां इस घाट पर चिताओं की भीड़ रहती थी, वहीं अब यहां सन्नाटा छाया हुआ है.

श्मशान घाट पर अब छाया है सन्नाटा.
शहरवासियों को मिली राहत
प्रयागराज में कोरोना महामारी (Corona epidemic in Prayagraj) से जिन लोगों की मौत हो रही थी, उनके शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए फाफामऊ घाट को तय कर दिया गया था. यहां पर कोविड प्रोटोकॉल के तहत शवों का अंतिम संस्कार करने की व्यवस्था की गई थी. अप्रैल महीने में इस घाट पर अचानक से बड़ी संख्या में शव पहुंचने लगे थे. जिले में एक दिन में अधिकतम 25 लोगों की मौत होना ही सरकारी आंकड़ों में बताया गया है, लेकिन वास्तविकता यह है कि इस घाट पर उन दिनों एक दिन में 150 के करीब तक शवों का अंतिम संस्कार किया गया था.

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एक दिन में पहुंचते थे 150 शव

फाफामऊ श्मशान घाट पर शवों को जलाने वाले नरेश का दावा है कि अप्रैल महीने में दिन भर में 150 से भी अधिक शव जलाए जाते थे और शव जलाने के लिए भी कई लोग लगे हुए थे. इतनी अधिक संख्या में चिताएं जलती थी कि लोगों के खड़े होने के लिए भी जगह कम हो जाती थी. मृतक के परिजनों के घंटों इंतजार करने के बाद शव का अंतिम संस्कार करने का नंबर आता था. कई बार तो इस घाट पर अंतिम संस्कार के लिए मारपीट तक की नौबत आ जाती थी, क्योंकि कोविड शव के साथ आने वाले लोग ज्यादा देर तक घाट पर रुकना नहीं चाहते थे. इंतजार करने की दशा में लोग मारपीट करने पर उतारू हो जाते थे.

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श्मशान घाट पर छाया सन्नाटा.

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कोरोना संक्रमितों के साथ मरने वालों की संख्या भी हुई कम

प्रयागराज में बीते कई दिनों से संक्रमितों की संख्या 100 से भी कम हो गई है. इसके साथ ही कोरोना से मरने वालों की संख्या घटकर 5 से कम हो गई है. मंगलवार और बुधवार को जिले में 50 से कम संक्रमितों के मिलने के साथ ही मरने वालों की संख्या 3 तक सिमट गई है, जिससे जिले के लोगों ने राहत की सांस ली है. फिलहाल जून माह की शुरुआत के साथ ही संक्रमितों और मृतकों की संख्या लगातार घट रही थी, जो अब पहले के मुकाबले काफी सुकून भरा है.

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घाट पर वसूले गए मनमाने पैसे

अप्रैल महीने के मध्य में जिस वक्त प्रयागराज में कोरोना (Corona in Prayagraj) चरम पर था, फाफामऊ घाट पर अंतिम संस्कार के लिए लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. पहले तो घाट तक शव ले जाने के बदले एम्बुलेंस वालों को हजारों रुपये देने पड़ते थे, वहीं घाट पर अंतिम संस्कार के बदले मुंहमांगी कीमत भी अदा करनी पड़ती थी. एम्बुलेंस ड्राइवरों की मनमानी और घाट पर अंतिम संस्कार करवाने की मनमानी वसूली की शिकायतें मिलने के बाद जिला प्रशासन को घाटों पर अंतिम संस्कार का रेट और एम्बुलेंस वालों का घाट तक का किराया तय करना पड़ा था, जिसके बाद लोगों को इनकी मनमानी वसूली से थोड़ी राहत जरूर मिल गई थी, लेकिन उसके बावजूद भी लोगों की मजबूरी का जमकर फायदा उठाया गया था.

Last Updated : Jun 18, 2021, 12:00 PM IST
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